माल की कीमत चेक से लेने को बाध्य नहीं है दुकानदार
जिला उपभोक्ता संरक्षण आयोग ने किया कार के्रता का परिवाद खारिज
उपभोक्ता ने सर्विस सेंटर की ओर से नगद राशि की मांग को चुनौती देते परिवाद प्रस्तुत करने पर जिला उपभोक्ता संरक्षण आयोग द्वितीय ने निर्णय में कहा है कि माल के विक्रय के समय कीमत का नगद भुगतान करने के बजाय विक्रेता को चेक लेने के लिए बाध्य करने का ग्राहक को कोई अधिकार नहीं है।
जोधपुर। टाटा कार के शोरूम संचालक ने कार की कीमत का चेक लेकर ग्राहक को नई कार सुपुर्द कर दी, लेनिक सर्विस सेंटर ने उसी ग्राहक से रिपेयर चार्ज का चेक लेने से इंकार कर दिया व नगद भुगतान नहीं देने पर गाड़ी को लौटाने से मना कर दिया। उपभोक्ता ने सर्विस सेंटर की ओर से नगद राशि की मांग को चुनौती देते परिवाद प्रस्तुत करने पर जिला उपभोक्ता संरक्षण आयोग द्वितीय ने निर्णय में कहा है कि माल के विक्रय के समय कीमत का नगद भुगतान करने के बजाय विक्रेता को चेक लेने के लिए बाध्य करने का ग्राहक को कोई अधिकार नहीं है। मामले के अनुसार चौपासनी हाउसिंग बोर्ड निवासी मनीष टाक ने आयोग के समक्ष धूत आटो, प्रतापनगर के विरुद्ध परिवाद प्रस्तुत कर बताया कि उसने नई कार उदयपुर से टाटा कंपनी के शोरूम से खरीद थी। उस समय छह लाख रुपए का चेक देने के बावजूद शोरूम की ओर से उसे तुरंत कार की डिलेवरी दे दी गई थी। इस कार की रिपेयर विपक्षी धूत आटो से करवाने पर उसने रिपेयर राशि 80600 रुपए के भुगतान का चेक देना चाहा तो विपक्षी ने नगद राशि की मांग की तथा चेक बैंक से क्लियर नहीं होने तक कार वापस सुपुर्द करने से मना कर दिया।
परिवादी के अनुसार वह प्रतिष्ठित व्यक्ति होने से चेक लेने से मना नहीं किया जा सकता है।आयोग के अध्यक्ष डा. श्याम सुन्दर लाटा, सदस्य डा.अनुराधा व्यास, आनंद सिंह सोलंकी ने दोनों पक्षों की सुनवाई के बाद अपने निर्णय में कहा कि ग्राहक को उधार या चेक लेकर माल सुपुर्द करना दोनों पक्षों के आपसी संबंध, विश्वास व व्यापारिक शर्तों के आधार पर ही किया जा सकता है। कानूनी रूप से क्रेता को ऐसा कोई अधिकार विक्रेता के विरुद्ध प्राप्त नहीं है। बल्कि माल विक्रय अधिनियम के प्रावधानों के अन्तर्गत कीमत प्राप्त नहीं होने तक विक्रेता को माल अपने पास रोक कर रखने का धारणाधिकार भी प्राप्त है। आयोग ने परिवादी की इस दलील को भी मानने से इंकार कर दिया कि चेक बाउंस होने पर उसके खिलाफ फौजदारी कार्यवाही करने का विक्रेता को अधिकार है। इस प्रकार आयोग ने विपक्षी सर्विस सेंटर की ओर से नगद भुगतान की मांग को जायज ठहरा परिवाद को खारिज कर दिया।
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