रिजल्ट पर बवाल

रिजल्ट पर बवाल

रेलवे की भर्ती परीक्षा रिजल्ट में गड़बड़ियों और अन्य मुद्दों को लेकर छात्र इस कदर आक्रोशित हो गए कि उन्होंने रेल सम्पत्तियों को भारी नुकसान पहुंचाया और रेलों को जला भी दिया।

रेलवे की भर्ती परीक्षा रिजल्ट में गड़बड़ियों और अन्य मुद्दों को लेकर छात्र इस कदर आक्रोशित हो गए कि उन्होंने रेल सम्पत्तियों को भारी नुकसान पहुंचाया और रेलों को जला भी दिया। बिहार और उत्तर प्रदेश में तो आंदोलन ने विस्फोटक रूप धारण कर लिया। शायद ऐसा पहली बार हुआ है, जब किसी परीक्षा के रिजल्ट में गड़बड़ी होने पर छात्र इस कदर भड़के हों। बताया जाता है कि रेलवे भर्ती बोर्ड की अव्यावहारिक पहल के चलते यह विवाद उत्पन्न हुआ। अच्छी बात यह रही कि रेल मंत्रालय ने अपनी सूझबूझ से हालात को संभालने के लिए भर्ती परीक्षा को स्थगित करने का फैसला दे दिया। छात्रों के इस कदर के आक्रोश से जाहिर होता है कि बेरोजगारी भारत में बड़ा संकट बन गई है और बेरोजगार छात्र सरकारों की अव्यावहारिक रोजगार की नीतियों से खासा नाराज हैं। रेलवे भर्ती बोर्ड ने भी रेलवे भर्ती परीक्षा को लेकर इस बार अव्यावहारिक फैसला लिया। रेलवे के विभिन्न वर्गों में भर्ती का विज्ञापन तीन साल पहले निकाला गया था। उसकी परीक्षा को फिर बार-बार टाला जाता रहा, तब उसके लिए भी छात्रों ने व्यापक आंदोलन किया था। फिर परीक्षा आयोजित की गई, मगर उसमें योग्यता का वर्गीकरण ठीक से नहीं किया गया जिसके चलते परीक्षा परिणाम में एक ही अभ्यर्थी को चार-चार पदों के लिए योग्य मान लिया गया। इससे आक्रोश स्वाभाविक रूप से उपजना ही था। पहले रेलवे भर्ती परीक्षा में अलग-अलग श्रेणियों के लिए योग्यता के आधार पर अलग-अलग पेपर तैयार किए जाते थे, लेकिन इस बार ऐसा नहीं किया गया। इसमें दुहराव से बचने के लिए रेलवे बोर्ड ने कहा कि वह बीस गुना अधिक नतीजे देगी, मगर उसने घोषित संख्या से आधे प्रत्याशियों को ही योग्य घोषित किया। इससे भी लाखों प्रत्याशी ठगा सा महसूस करने लगे। अभी छात्र इसे लेकर विरोध जता ही रहे थे कि बोर्ड ने दूसरे चरण की परीक्षा घोषित कर दी। इससे छात्रों की नाराजगी उग्र्र आक्रोश में बदल गई। वैसे भी रेलवे की भर्ती में भारी भ्रष्टाचार और भाई-भतीजावाद का बोलबाला रहता है और इसके चलते भी रेलवे बोर्ड इस तरह प्रतियोगी परीक्षाएं लेगा तो विवाद स्वाभाविक ही बढ़ेगा।

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