कोरोना से ज्यादा खतरनाक है निपाह वायरस

कोरोना से ज्यादा खतरनाक है निपाह वायरस

सबसे बडी चिंता की बात यह है कि संपर्क वाले लोगों की तादाद लगातार बढ़ रही है। शनिवार से पहले जो तादाद 1080 थी, उसमें शनिवार को 130 का इजाफा और हो गया।

पिछले दिनों केरल के कोझिकोड जिले में दो लोगों की निपाह वायरस के संक्रमण से मौत हो गई। अभी एक और 39 वर्षीय व्यक्ति के निपाह वायरस से संक्रमित होने का समाचार है। यह व्यक्ति निपाह वायरस से संक्रमित व्यक्ति के सीधे संपर्क में आया था जिसकी 30 अगस्त को मृत्यु हो गई थी। केरल में अब तक निपाह वायरस से संक्रमण के मामले बढ़कर चार हो गए हैं। निपाह के संक्रमण को देखते हुए राज्य और समीपवर्ती तमिलनाडु तथा कर्नाटक की सीमा से लगे जिलों में अतिरिक्त सतर्कता बरतने के निर्देश जारी कर दिए गए हैं और केरल में मरीजों की बढ़ती संख्या को देखते हुए उन सभी लोगों की जांच का फैसला किया गया है जो संक्रमित व्यक्तियों के संपर्क में आए हैं। अभी निपाह वायरस से संक्रमित एक नौ साल का लड़का वैंटिलेटर सपोर्ट पर है। इसके अलावा अन्य प्रभावित लोगों की हालत स्थिर है। इस वायरस के प्रकोप को फैलने से रोकने के राज्य सरकार हर संभव प्रयास कर रही है। यहां तक कि जिले के सभी पूजा स्थलों सहित किसी भी प्रकार की सार्वजनिक सभाओं या कार्यक्रमों के आयोजन के खिलाफ सख्त निर्देश जारी कर दिए गए हैं। दैनिक आवश्यक सामग्री और मेडीकल की दुकानों को सुबह सात बजे से शाम पांच बजे तक खोले जाने के साथ पूजा स्थलों के बंद रखने के आदेश दिए गए हैं। यहां तक कि कर्नाटक सरकार ने राज्य के लोगों को निपाह वायरस के संक्रमण से बचने की खातिर राज्य के लोगों से अनावशयक रूप से केरल की यात्रा न करने,सीमावर्ती जिलों में बुखार की निगरानी तेज करने, राज्य के स्वास्थ्य कर्मचारियों को इसके बचाव संबंधित प्रशिक्षण देने व आपात स्थिति से निबटने के लिए जिला अस्पतालों में अतिरिक्त बिस्तर तैयार रखने के निर्देश दिए हैं। दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल के वरिष्ठ चिकित्सक डाक्टर जुगल किशोर की मानें तो निपाह वायरस को लेकर सभी राज्यों को सतर्क रहने की बेहद जरूरत है। इसका प्रसार केरल के बाहर भी हो सकता है। खासतौर पर वहां जहां तापमान अधिक है और उमस ज्यादा है। वहां इसके प्रसार की संभावना सबसे अधिक है। आईसीएमआर के महानिदेशक राजीव बहल ने कहा है कि भारत में निपाह वायरस संक्रमण के इलाज के लिए आस्ट्रेलिया से मोनोक्लोनल एंटीबाडी की बीस और खुराक मंगाई जाएंगी। भारत को 2018 में आस्ट्रेलिया से मोनोक्लोनल एंटीबाडी की कुछ खुराकें मिली थीं जो आज केवल 10 रोगियों के लिए ही उपलब्ध हैं। देश में अभी तक किसी को भी यह दवाई नहीं दी गई है।

इस बारे में केरल की स्वास्थ्य मंत्री वीना जार्ज का कहना है कि राज्य में निपाह वायरस से प्रभावित पहले व्यक्ति की पहचान कर ली गई है। इसके बाद उसके मोबाइल टावर लोकेशन के आधार पर उस स्रोत और उसके स्थान की तलाश शुरू कर दी गई है जहां से वह संक्रमित हुआ था। साथ ही केन्द्रीय दल वायरल लोड का पता लगाने के लिए चमगादड़ के नमूने इकट्ठा कर रही है। सरकार छठे व्यक्ति के संपर्क का भी पता लगाने का प्रयास कर रही है जिसके बीते शुक्रवार को इस वायरस से संक्रमित होने की पुष्टि हुई थी। उनके अनुसार कोझिकोड मेडीकल कॉलेज में 21 लोग और मातृ शिशु स्वास्थ्य संस्थान में दो बच्चे पृथक वास यानी क्वाराइंटाइन में हैं। अब संक्रमण का कोई नया मामला प्रकाश में नहीं आया है जबकि 94 नमूनों में संक्रमण की पुष्टि नहीं हुई है जो राहत की बात है। संतुष्टि की बात तो यह है कि ये नमूने उन लोगों के थे जो उच्च जोखिम वाले व्यक्तियों के संपर्क में थे। वीना जार्ज के अनुसार संक्रमित सभी लोग संक्रमण की पहली लहर में प्रभावित हुए हैं। संक्रमण के ये मामले दो समूहों में आये हैं। एक समूह में उस व्यक्ति के परिवार के दो सदस्य हैं जो पहला मामला था और दूसरा वह व्यक्ति है जो अस्पताल में उनके संपर्क में आए थे। यह सभी क्वारांइंटाइन कर दिए गए हैं। पहले मामले में जिस व्यक्ति की पहचान हुई, उसकी 30 अगस्त को मृत्यु हो गई थी। उसके नौ वर्षीय बेटे और दो अन्य का इलाज किया जा रहा है। राज्य में दूसरी मौत 11 सितम्बर को हुई। सबसे बडी चिंता की बात यह है कि संपर्क वाले लोगों की तादाद लगातार बढ़ रही है। शनिवार से पहले जो तादाद 1080 थी, उसमें शनिवार को 130 का इजाफा और हो गया। इनमें 327 स्वास्थ्य कर्मी और 22 मल्लापुरम के लोग शामिल हैं। यदि इतिहास पर नजर दौडाÞएं तो पाते हैं कि निपाह की पहचान सबसे पहले 1998 और 1999 में मलेशिया में हुई थी। वहां जहां सबसे पहले इसके संक्रमित व्यक्ति का पता चला, उस इलाके का नाम निपाह था जिसकी वजह से इसका नाम ही निपाह पड़ गया। उसके बाद से तो इसके मामले सिंगापुर,बांग्लादेश और भारत में सामने आते रहे हैं। इसके अलावा दूसरे देशों में भी इसके मामले सामने आते रहे हैं। 2001 में पहली और 2007 में दूसरी बार देश में पश्चिम बंगाल में इस वायरस ने अपने पैर पसारे। 2018 में भारत में केरल में संक्रमित हुए 23 लोगों में से 21 की मौत हुई। 

-ज्ञानेन्द्र रावत
(ये लेखक के अपने विचार हैं)

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