राजस्थान में वन विभाग के इतिहास में पहली बार किसी चल सम्पति/ पालतू जीव के निलामी के आदेश जारी 

राजस्थान में वन विभाग के इतिहास में पहली बार किसी चल सम्पति/ पालतू जीव के निलामी के आदेश जारी 

वन मण्डल सवाई माधोपुर की रेंज सवाई माधोपुर के वनक्षेत्र भगवतगढ़ के ग्राम बनोटा का टापरा में 09 अगस्त को अवैध चराई कराने के जुर्म में वन विभाग द्वारा मुकदमा दर्ज कर मौके से एक नर बकरा लगभग 3 साल का जब्त कर वन कस्टडी में लिया।

जयपुर। वन मण्डल सवाई माधोपुर की रेंज सवाई माधोपुर के वनक्षेत्र भगवतगढ़ के ग्राम बनोटा का टापरा में 09 अगस्त को अवैध चराई कराने के जुर्म में वन विभाग द्वारा मुकदमा दर्ज कर मौके से एक नर बकरा लगभग 3 साल का जब्त कर वन कस्टडी में लिया। सम्पूर्ण प्रक्रिया की सूचना 24 घंटे के अन्दर सम्बंधी न्यायालय को दी गई। मुकदमा दर्ज करने के कई दिनों बाद मुल्जिम विजयराम मीना व गन्दोडी देवी अपने बकरे को छुड़ाने वन विभाग के पास नहीं आयें उल्टा विभाग के कर्मचारियों पर दबाव डालने की नियत से इसी बकरे का चोरी का मुकदमा वन विभाग के कर्मचारियों के खिलाफ थाना सूरवाल, साथ ही SC-ST का मुकदमा थाना सूरवाल मुल्जिम का अपहरण का मुकदमा थाना मानटाउन सवाई माधोपुर में बकरे के मालिक द्वारा दर्ज करा दिया गया। 3-3 मुकदमे दर्ज होने के बाद रेंजर दीपक शर्मा व उनकी टीम किसी भी दबाव में नहीं आई और बकरे मालिक के खिलाफ विभाग में दर्ज अवैध चराई में किये गये मुकदमे का अनुसंधान करना जारी रखा।

इस दौरान बकरे मालिक को 2 बार नोटिस जारी कर बकरे को नियमानुसार छुड़ाने के लिए अवगत कराया गया, लेकिन 40 दिनों तक बकरा मालिक बकरे को लेने नहीं आया। ऐसे में जब बकरा वन विभाग की कस्टडी में आया तभी विभाग के पास वन मण्डल स्तर पर ब्लॉक स्तर पर जिला हेडक्वाटर व राजधानी जयपुर में भी कांजी आवास की सुविधा नहीं होने की स्थिति में बकरे को अपनी कस्टडी में रखना बहुत चैलेजिंग काम था। लेकिन रेंजर दीपक शर्मा  ने अपने स्तर पर 40 दिन तक बकरे की खाने-पीने, रख-रखाव, दवाई इत्यादि की व्यवस्था की गई।
40 दिन बीत जाने पर सवाई माधोपुर के उप  वन संरक्षक श्रवण कुमार रेड्डी के निर्देशन में रेंजर दीपक शर्मा द्वारा पूरी घटना एवं अनुसंधान प्रक्रिया की तथ्यात्मक रिपोर्ट बनाकर बकरे की निलामी के लिए मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट चौथ का बरवाड़ा के समक्ष प्रार्थना पत्र पेशकर वन विभाग का पक्ष रखा, साथ ही न्यायिक मजिस्ट्रेट को अवगत कराया गया कि विगत 40 दिन से बकरे की कस्टडी में सरकारी स्टॉफ व सरकारी खर्चा व्यय हो रहा है, साथ ही हमारे पास निलामी के अधिकारी नहीं होने व कांजी हाउस की सुविधा नहीं होने का फायदा यह मुल्जिम और राजस्थान में अनके मुल्जिम उठाकर वन सम्पदा को नुकसान पहुंचा रहे है। वन स्टॉफ अपनी मजबूरी के कारण इन अवैध चराई वालों के समक्ष बेबस नजर आता है।

माधवी गोस्वामी,न्यायिक मजिस्ट्रेट चौथ का बरवाड़ा द्वारा वन विभाग की विषम परिस्थितियों को देखते हुए साथ ही प्रकृति व पर्यावरण संरक्षण को देखते हुए नियमानुसार बकरे की निलामी का आदेश दिया।

रेंजर दीपक शर्मा ने बताया कि मेरे द्वारा राजस्थान के वन रक्षक, वनपाल रेंजर, सहायक वन संरक्षक, उप वन संरक्षक एवं समस्त वन अधिकारियों व स्टॉफ के लगभग 5000 कर्मचारियों के बने लगभग 20 वाट्सग्रुप में मैसेज कर पता किया कि आज तक राजस्थान के किसी भी जिले, तहसील या वनपाल नाका या रेंज कार्यालय या वनमण्डल स्तर पर किसी भी प्रकार के न्यायालय द्वारा किसी चल सम्पति / पालतू जानवर की निलामी के आदेश हो, तो अवगत कराया जाये, लेकिन विगत 5 दिनों में एक भी प्रकरण सामने नहीं आने पर यह सम्भवतः माना जा सकता है, कि राजस्थान के वन विभाग के इतिहास में पहली बार किसी पालतू जानवर के निलामी आदेश हुए।

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