आधी आबादी को मिला राजनीति में मौका,लेकिन नहीं छूट रहा चूल्हा चौका
शहरी और ग्रामीण सरकार में 30 फीसदी महिला जनप्रतिनिधियों के पति और पुत्र संभाल रहे काम
नगर निगम कोटा उत्तर व कोटा दक्षिण ही नहीं जिला परिषद तक में महिला जनप्रतिनिधि चुनकर तो आ गई लेकिन उनमें से वास्तविक रूप में काम करने वालों की संख्या काफी कम है।
कोटा। केस 1- नगर निगम कोटा उत्तर के वार्ड 13 से कांग्रेस के टिकट पर जीतकर तो महिला पार्षद बनी हैं मंजू अग्रवाल। वे दूसरी बार पार्षद चुनी गई है। लेकिन उनका सारा कामकाज उनका पुत्र शेखर अग्रवाल ही संभाल रहा है। वार्ड से लेकर निगम तक में हर काम वही करता है।
केस 2- नगर निगम कोटा उत्तर में ही वार्ड 57 से निर्दलीय पार्षद चुनी गई है मेघा गुर्जर। लेकिन उनका सारा काम उनके पति मनीष गुर्जर ही संभाल रहे हैं। मेघा गुर्जर तो निगम की बैठकों में ही शामिल होती है। उनके अलावा जनता से मिलना और निगम में कोई भी काम करवाना हो तो उनके पति ही नजर आते हैं।
केस 3- नगर निगम कोटा दक्षिण में वार्ड 66 से कांग्रेस के टिकट पर पार्षद तो चुनी गई हैं शीला पाठक। लेकिन उनका सारा काम उनका पुत्र प्रफुल्ल पाठक ही कर रहे हैं। वार्ड से लेकर निगम तक में वे ही नजर आते हैं।
ये तो उदाहरण मात्र हैं। नगर निगम कोटा उत्तर व कोटा दक्षिण ही नहीं जिला परिषद तक में महिला जनप्रतिनिधि चुनकर तो आ गई लेकिन उनमें से वास्तविक रूप में काम करने वालों की संख्या काफी कम है। महिला आरक्षण बिल संसद में पारित हो चुका है। जिससे महिलाओं को आने वाले समय में राजनीति में 33 फीसदी आरक्षण का लाभ मिलेगा। वहीं वर्तमान में भी महिलाओं को लोकसभा व विधानसभाओं के साथ ही शहरी व ग्रामीण सरकार में चुनकर आने का मौका मिला है। लेकिन हालत यह है कि उनमें से करीब 30 फीसदी महिलाएं ऐसी हैं जो चुनकर तो आ गई लेकिन उनसे अभी भी चूल्हा चौके का मोह नहीं छूट रहा है। उनके पति और पुत्र ही उनका काम संभाल रहे हैं। नगर निगम कोटा उत्तर व कोटा दक्षिण में कुल निर्वाचित 150 पार्षद हैं। जिनमें से करीब 29 फीसदी 53 महिला पार्षद हैं। जबकि जिला परिषद में 23 सदस्यों में से करीब 50 फीसदी यानि 11 महिला सदस्य हैं।
42 प्रतिशत परिजन कर रहे काम दक्षिण में
40 प्रतिशत परिजन कर रहे उत्तर में
36 प्रतिशत परिजन कर रहे काम जिला परिषद में
कोटा उत्तर में 25 महिला पार्षद
नगर निगम कोटा उत्तर में कुल निर्वाचित पार्षद 70 हैं। जिनमें से 25 महिला पार्षद हैं। इनमें भाजपा व कांग्रेस के अलावा निर्दलीय भी शामिल हैं। कोटा उत्तर में तो महापौर भी महिला ही हैं। वे दूसरी बार पार्षद चुनी गई है। वे अपना काम स्वयं ही कर रही हैं। जबकि इस निगम में करीब 30 फीसदी महिला पार्षदों के पति व पुत्र फील्ड में काम कर रहे हैं। वहीं इस निगम में 12 सहवरित पार्षद भी हैं जिनमें एक भी महिला नहीं है।
कोटा दक्षिण निगम में 28 महिला पार्षद
नगर निगम कोटा दक्षिण में 80 निर्वाचित पार्षद हैं। जिनमें से 28 महिला पार्षद हैं। इनमें से करीब 75 फीसदी महिलाएं तो स्वयं काम कर रही हैं। जबकि भाजपा और कांग्रेस की करीब 25 फीसदी महिला पार्षद ऐसी हैं जिनके पति, जेठ व पुत्र फील्ड में काम कर रहे हैं। यहां 12 सहवरित पार्षद हैं। जिनमें से एक महिला पार्षद भी शामिल है। कोटा में जब एक ही नगर निगम थी। उस समय पहली महापौर भाजपा से महिला थी। उसके बाद कांग्रेस से भी महिला महापौर रह चुकी हैं। इन सभी ने अपना काम स्वयं ही किया था।
जिला परिषद में 11 महिलाएं
शहरी सरकार नगर निगम के अलावा कोटा जिले में ग्रामीण सरकार जिला परिषद भी है। जिला परिषद में कुल 23 निर्वाचित सदस्य हैं। जिनमें से 11 महिलाएं हैं। जिला परिषद में अधिकतर महिलाएं दूर दराज के ग्रामीण परिवेश से हैं। इस कारण से महिला आरक्षण होने से उन्हें टिकट मिला तो वे जीत भी गई लेकिन उनके कल्चर में अभी भी चूल्हा चौके से बाहर आना नहीं लिखा है। जिला परिषद में करीब 50 फीसदी महिलाएं होने के बावजूद उनमें से भी 30 फसिदी महिलाएं सिर्फ बैठकों में ही उपस्थित रहती है। वहां आने के बाद भी वे किसी मुद्दे को नहीं उठाती। जबकि 66 फीसदी महिलाएं पुरजोर तरीके से जनता के मुद्दों को बैठकों में उठा रही हैं। जिला परिषद में कमला मीणा भाजपा की जिला प्रमुख रह चुकी हैं। वे अपना काम स्वयं ं करती थी। पंचायत समिति लाड़पुरा में प्रधान कांति गुर्जर रह चुकी हैं। वे अपना काम स्वयं करती थी।
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