भाजपा-कांग्रेस की नाक का सवाल बनी ओसियां सीट, दोनों प्रत्याशियों के बीच नजर आ रही सीधी टक्कर
वर्तमान विधायक दिव्या मदेरणा पर कांग्रेस ने इस बार भी दांव लगाया है। वे आक्रामक रूप से प्रचार कर रही हैं। कभी परिवार के नाम पर तो कभी खुद को किसान की बेटी बताते हुए वे व्यापक चुनाव प्रचार में जुटी हैं।
जोधपुर। राजस्थान विधानसभा चुनाव की उलटी गिनती शुरू हो गई है और सभी पार्टियों ने चुनाव प्रचार में अपनी पूरी ताकत झोंक दी है। कांग्रेस जहां एक ओर सत्ता बरकरार रखने के लिए दम लगा रही है वहीं भाजपा सत्ता पर काबिज होने के लिए मतदाताओं को लुभाने में लगी है। मारवाड़ में जोधपुर की सरदारपुरा सीट के बाद सबसे अहम सीटों में से एक है ओसियां सीट। राजस्थान की यह सीट जाट राजनीति की धुरी मानी जाती है। हालांकि राजस्थान में कई सीटें ऐसी हैं जो जाट बाहुल्य होने के कारण अहम हैं, लेकिन ओसियां सीट मदेरणा परिवार की परंपरागत सीट रही है। केन्द्रीय नेता रहे परसराम मदेरणा के पुत्र महिपाल मदेरणा इसी सीट से विधायक बनकर मंत्री बने और वर्तमान में महिपाल मदेरणा की बेटी दिव्या मदेरणा भी ओसियां से कांग्रेस की विधायक हैं। यहां कांग्रेस का कब्जा रहा है। 1998 के बाद से यहां सत्ता बदलने का रिवाज है। 2018 में यहां से कांग्रेस प्रत्याशी दिव्या मदेरणा विजयी रहीं। उन्होंने भाजपा के भेराराम सियोल को हराया था। इस बार फिर दोनों आमने सामने है। जाट समाज में मदेरणा परिवार की क्षेत्र में पुरानी साख दिव्या के काम आई।
वर्तमान विधायक दिव्या मदेरणा पर कांग्रेस ने इस बार भी दांव लगाया है। वे आक्रामक रूप से प्रचार कर रही हैं। कभी परिवार के नाम पर तो कभी खुद को किसान की बेटी बताते हुए वे व्यापक चुनाव प्रचार में जुटी हैं। वहीं पिछली बार चुनाव हार चुके भाजपा प्रत्याशी भैराराम सियोल भी इस बार शंभू सिंह खेतासर व महेंद्र सिंह के उनके समर्थन में उतर जाने के बाद पूरे जोश के साथ चुनावी रण में उतरे हैं। पिछले कुछ चुनाव से चले आ रहे सत्ता परिवर्तन के सिलसिले से उन्हें इस बार चुनाव जीतने की उम्मीद जागी है। ऐसे में वे भी समर्थकों के साथ जोर-शोर से चुनाव प्रचार कर रहे हैं। विशेष बात यह है कि वर्तमान में इस सीट से आरएलपी ने कोई उम्मीदवार नहीं उतारा है। इस कारण दिव्या मदेरणा व हनुमान बेनीवाल के बीच तनातनी का वीडियो भी सोशल मीडिया पर काफी वायरल हुआ। हनुमान बेनीवाल अपनी सभाओ में दिव्या को निशाने पर रखे हुए है। दिव्या भी उनको घेरने की कोई कसर नही छोड़ रही है। ऐसे में इस विधानसभा सीट पर कांग्रेस और भाजपा प्रत्याशियों के बीच सीधी टक्कर नजर आ रही है। अब देखना है कि 2023 में दिव्या बीजेपी की चुनौती का किस तरह से जवाब देती है। जनसभाओं में वो शेरनी की तरह दहाड़ रही है और अपने विरोधियों पर ताबड़तोड़ हमले कर रही है।
184831 मतदाताओं ने किया मतदान
वर्ष 2018 के विधानसभा चुनावों के समय ओसियां विधानसभा क्षेत्र में कुल 235303 मतदाता थे। इनमें 124150 पुरुष और 111153 महिला मतदाता थीं। गत चुनाव में 96793 पुरुष और 86350 महिला मतदाताओं ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया। कुल 184831 मतदाताओं ने मतदान किया, यानी 78.55 प्रतिशत मतदान हुआ। कांग्रेस की दिव्या मदेरणा ने 83629 मत हासिल करते हुए बीजेपी के प्रत्याशी भैराराम चौधरी को 27,950 मतों से हराया।
राजनीतिक इतिहास
इस सीट पर राजनीतिक इतिहास की बात करें तो 11 बार कांग्रेस, 2 बार भाजपा और 1 बार जनता दल ने जीत दर्ज की है।1957 में कांग्रेस के परसराम मदेरणा और 1962 में भी परसराम मदेरणा विधायक रहे। वहीं 1967 में आर सिंह, 1972 में रंजीत सिंह,1977 में रणजीत सिंह,1980 में नरेंद्र सिंह भाटी, 1985 में फिर नरेन्द्र सिंह भाटी यहां से विधायक रहे। 1990 में जनता दल के टिकट पर राम नारायण बिश्नोई ने यहां से जीत दर्ज की और फिर 1993 और 1998 में कांग्रेस के नरेंद्र सिंह भाटी यहां से विधानसभा पहुंचे। 2003 में बीजेपी से बन्ने सिंह, 2008 में कांग्रेस से महिपाल मदेरणा, 2013 में भाजपा से भैराराम चौधरी सियोल और 2018 में कांग्रेस से दिव्या मदेरणा जीते। मेघवाल और विश्नोई समाज का वोट इस सीट पर निर्णायक माना जाता है।
12 में से दो की हुई जमानत जब्त
वर्ष 2018 के विधानसभा चुनाव में इस सीट से कुल 12 प्रत्याशियों ने नामांकन दाखिल किया था। इनमें से 4 नामांकन खारिज हो गए, जबकि 3 प्रत्याशियों ने अपने नामांकन वापस ले लिए। ऐसे में कुल 5 प्रत्याशी चुनाव मैदान में बचे। 5 प्रत्याशियों में से 2 प्रत्याशियों की जमानत जब्त हो गई। कांग्रेस की दिव्या मदेरणा को 83629 वोट मिले, जबकि भाजपा के भेराराम चौधरी को 56039 वोट मिले थे। निर्दलीय प्रत्याशी महेन्द्र सिंह भाटी 37,746 वोट हासिल करते हुए तीसरे स्थान पर रहे।
ग्रामीण परिवेश की सीट
ओसियां विधानसभा सीट ग्रामीण परिवेश की सीट है। अब यह क्षेत्र जोधपुर ग्रामीण के हिस्से में आता है. यह एक सामान्य विधानसभा सीट है। पिछले विधानसभा चुनाव की बात करें, तो यहां से कांग्रेस की दिव्या मदेरणा ने भाजपा के भैरा राम सियोल को हराकर जीत हासिल की थी। यहां से 11 बार कांग्रेस ने जीत हासिल की है। वहीं भाजपा सिर्फ दो बार ही इस सीट पर जीत दर्ज करा सकी है। वहीं जीत और हार के अंतर की बात करें तो पिछले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने भाजपा को 27 हजार से अधिक मतों से हराया था। यह सीट राज्य की सियासत में दबदबा रखने वाले मदेरणा परिवार का गढ़ मानी जाती रही है। दिव्या मदेरणा को यह सीट दादा परसराम मदेरणा से विरासत में मिली है। इस सीट पर 2008 में दिव्या मदेरणा के पिता महिपाल मदेरणा भी निर्वाचित होकर विधानसभा पहुंचे थे।

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