जैसलमेर विधानसभा में शहरी वोटर तय करते है हार-जीत का फैसला

जैसलमेर विधानसभा में शहरी वोटर तय करते है हार-जीत का फैसला

राजनीति विश्लेषलकों की माने तो इस जैसलमेर विधानसभा पर चुनावी गणित ने हार-जीत का फैसला शहरी मतदाताओं पर आकर टिक जाता है और शहरी मतदाता ही हार-जीत का फैसला करते है।

नवज्योति/जैसलमेर। राज्य की सबसे बड़ी विधानसभा सीट जैसलमेर जहां भाजपा व कांग्रेस के मध्य सीधा मुकाबला होना तय है । पाकिस्तान की सीमा से लगते इस विधानसभा सीट पर इस बार भाजपा ने दो बार विधायक रहे छोटूसिंह भाटी को  प्रत्याशी बनाकर भाजपा की चुनाव वैतरणी पार करने के लिये चुनावी रण मे उतारा है। वहीं कांग्रेस ने गत विधानसभा में भारी मतों से जीते कांग्रेस प्रत्याशी रूपाराम धनदेव को एक बार फिर कांग्रेस प्रत्याशी बनाकर सामान्य सीट पर उतारा है।

जैसलमेर विधानसभा क्षेत्र मे कांग्रेस व भाजपा का चुनावी गणित जाति से शुरू होकर जाति पर ही जाकर खत्म हो जाता है। यहां पर मुख्यत: राजपूत ,मुस्लिम और अनुसूचित जाति,अनुसूचित जनजाति के मतदाता है इन्हीं को ध्यान मे रखकर हमेशा टिकटों को बंटवारा किया जाता आ रहा है।  राजपूत मतदाताओं को भारतीय जनता पार्टी के परम्परागत तौर से जुड़े हुए वोटर माने जाते है । यही वजह है कि पार्टी गठन के बाद भाजपा राजपूत प्रत्याशी पर ही भरोसा जताते आई है। मुस्लिम ,अनुसूचित जनजाति और अनुसूचित जाति के मतदाता परम्परागत रूप से कांग्रेस से जुड़े हुए मतदाता माने जाते है। वर्ष 2008 से परिसीमन के बाद जिले में पोकरण विधासभा का सृजन होने के बाद मुस्लिम बाहुल्य सीट पर शाले मोहम्मद  को पोकरण से कांग्रेस प्रत्याशी बनाकर उतारा है । तो वहीं भाजपा ने गत विधानसभा चुनाव में मात्र 827 मतों से पराजित हुए मंहत प्रतापपुरी को एक बार फिर पोकरण विधानसभा सीट से अपना प्रत्याशी बनाया है। 

राजनीति विश्लेषलकों की माने तो इस जैसलमेर विधानसभा पर चुनावी गणित ने हार-जीत का फैसला शहरी मतदाताओं पर आकर टिक जाता है और शहरी मतदाता ही हार-जीत का फैसला करते है। भाजपा व कांग्रेस के बीच सीधी टक्कर में जो शहरी मतदाताओं को अपनी ओर अधिक से अधिक खींच पायेगा वही चुनावी वैतरणी पार करने मे कामयाब होगा।

वैसे अभी-तक जैसलमेर शहर के मतदाता साइलेंट में है। इनका रूख अभी-तक स्पष्ट नही है। भाजपा व कांग्रेस शहरी मतदाताओं को अपनी ओर आकृष्ट करने के लिए ऐडी-चोटी का जोर लगा रही है। शहरी मतदाताओं का रूख मतदान के कुछ समय पूर्व ही स्पष्ट हो पायेगा और जिस ओर शहरी मतदाता रूख करेंगे। जीत की वैतरणी वहीं पार कर पायेगा।

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