एससी-एसटी : प्रदेश में हर महीने 3 दलित, एक आदिवासी की हत्या, कुछ संभागों में हालत बदतर 

बदलते हालात में ये हत्याएं लगातार कम भी हुई हैं

एससी-एसटी : प्रदेश में हर महीने 3 दलित, एक आदिवासी की हत्या, कुछ संभागों में हालत बदतर 

दलित अधिकारों की बात करने वालों का तर्क है कि पुलिस सही जॉंच नहीं करती और उसका ऊपरी तंत्र भी प्रभावशाली वर्ग से बना हुआ है तो दलितों के पक्ष में न्याय नहीं होता। 

जयपुर। विधानसभा में प्रदेश के दलित और आदिवासियों पर अत्याचारों को लेकर चल रही बहस के बीच जमीनी तस्वीर बता रही है कि राज्य में औसत रूप से हर महीने तीन दलित और एक आदिवासी की हत्या हो रही है। सुकून की बात ये है कि दलितों और आदिवासियों में आ रही चेतना और बदलते हालात में ये हत्याएं लगातार कम भी हुई हैं। पुलिस इन मामलों में भी कुछ के बारे में कहती है कि ये सच नहीं हैं। लेकिन दलित अधिकारों की बात करने वालों का तर्क है कि पुलिस सही जॉंच नहीं करती और उसका ऊपरी तंत्र भी प्रभावशाली वर्ग से बना हुआ है तो दलितों के पक्ष में न्याय नहीं होता। 

एससी के खिलाफ होने वाले अपराधों को सरकार को गंभीरता से लेना चाहिए। अपराध होने पर तुंरत बिना भेदभाव किए जांच करनी चाहिए और पीड़ित को न्याय देना चाहिए। 
- दयानंद सक्करवाल, कोषाध्यक्ष डॉ. अम्बेडकर वेलफेयर सोसायटी राजस्थान

प्रदेश में मुख्यमंत्री भजनलाल की सरकार बनने के बाद एसटी वर्ग पर अपराध कम हुआ है। पुलिस ने तुरंत कार्रवाई कर अपराधों पर अंकुश लगाया है। सरकार यह भी प्रयास कर रही है कि जहां अपराध होने वाले स्थान हैं, वहां विशेष निगरानी रखी जाए, जिससे अपराधी अपराध नहीं कर सके।
- नारायण मीना, प्रदेशाध्यक्ष भाजपा अनुसूचित जनजाति मोर्चा राजस्थान 

 

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