ये शिक्षा की डगर...पढ़ाई से पहले कीचड़ से सामना

जरा सा डगमगाए तो कीचड़ में हो जाए लथपथ

ये शिक्षा की डगर...पढ़ाई से पहले कीचड़ से सामना

रामगंज-भण्डेड़ा लिकिंग मार्ग बदहाल।

भण्डेड़ा। क्षेत्र के रामगंज गांव से  शिक्षा के लिए दो दर्जन से अधिक स्कूली विद्यार्थियों को दो किमी की भारी कीचड़ भरी राह पार करने की मजबूरी बनी हुई है। घर से निकलते ही एक हाथ में पुस्तकों से भरा का बैग तो एक हाथ में पैरों की चप्पल लिए इस राह से गुजरने की मजबूरी थोड़ी-सी चूक हुई तो कीचड़ में लथपथ हो जाते है। स्कूल यूनिफार्म गंदी हो जाती है। यह समस्या बरसाती दिनो में लंबे समय से चली आ रही है। पर जिम्मेदार विभाग द्वारा स्कूली बच्चों सहित राहगीरों की इस समस्या को गंभीरतापूर्वक नही लिया जा रहा है। जो बहुत से छात्र तो स्कूल की राह देखकर ही पढ़ाई बंद कर देते है। जानकारी के अनुसार रामगंज से भण्डेड़ा की दूरी लिंकिंग मार्ग से लगभग दो किमी है। इस बीच राह पर  विभाग ने ग्रेवल सड़क बना रखी है, जो यहां से ग्रामीण व उच्च शिक्षा के लिए लगभग दो दर्जन से अधिक हर रोज विद्यार्थी व राहगीर भी इसी राह से गुजरते हुए राह पार करते नजर आते है। दो किमी की इस दूरी में ग्रेवल सड़क पर बरसाती माह के समय भारी मात्रा में कीचड़ में तब्दील हो जाती है। 

रामगंज गांव के पास से शुरू होते ही एक से डेढ़ फीट पानी बरसाती समय भरा रहता है। जो लंबे समय तक भरा रहता है। फिर विद्यालय के लिए राह पर लगते ही यही से कीचड़ भरी डगर शुरू हो जाती है, जो पूरे रास्ते यही हाल है। इसी कीचड़ भरी राह में ग्रेवल के दोनों किनारे पर विलायती बबूलों की भरमार है, जो सड़क सीमा को पार करके रास्ते तक पहुंच रहे है। कीचड़ में कांटे तक चुभते हुए राह पार करनी पड़ती है। इसी बीच पशुओं का आनाजाना बना हुआ होता है, तो दस फीट के इस ग्रेवल कीचड़ से निकलने के दौरान कीचड़ से छिट जाते है। जो यूनिफॉर्म पर गंदे कीचड़ के छींटे लगा देते है। बहुत-सी जगह पर चिपकने वाले कीचड़ से फिसलने से बचने के लिए खेतों पर हो रही सड़क पर तारबंदी को पकड़कर गुजरना पड़ता है। फिर राह पार होने पर भण्डेड़ा पहुंचकर पानी की टंकी पर पहुंचकर कीचड़ से भीगे पैर, जूते व चप्पल धोने पड़ते है। स्कूल पहुंचने पर लेट होते है, तो शालाध्यापको ंकी डांट लेटलतीफी की वजह से सुननी पड़ती है। हर वर्ष बरसात के समय तीन माह इसी तरह तय करने की मजबूरी बनी रहती है। सर्दी के समय एक बार बरसात होते ही यह राह बहुत ही कठिन भरी हो जाती है। मौसम के आधार पर पहले ही सर्दी लगती है, फिर यहां से आनेजाने पर पैरों की हालत खराब हो जाती है। पर इस समस्या को सुनने वाला कोई नही है। बहुत से छात्र-छात्राएं तो इस राह के कारण शिक्षा ग्रहण नही कर पाते है।

स्कूली बच्चों की पीड़ा
रामगंज गांव से भण्डेड़ा के राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय में अध्ययनरत छात्र-छात्राओं कक्षा नवीं-बाहरवीं तक शैक्षिक सत्र बड़ी मुश्किल से गुजर पाता है। हमारी इस समस्या को ग्राम पंचायत से लेकर सार्वजनिक निर्माण विभाग तक अनदेखी करते हुए आ रहे है। गांव में राजकीय उच्च प्राथमिक स्कूल है, जो आठवीं तक यही पर शिक्षा लेते हे। उसके बाद उच्च शिक्षा के लिए नजदीकी देखते हुए भण्डेड़ा के उच्च माध्यमिक विद्यालय में प्रवेश लेकर शिक्षाग्रहण करने आते है, जो इस कीचड़ भरी डगर से आवागमन करना पडता है। 

संबंधित विभाग समय रहते हमारी इस समस्या को क्यों नही देखते है। बरसात के समय से पहले इस पर झीकरा भी डाल दे, तो हमे यह समस्या नही हो। पर विभाग की उदासीनता का खामियाजा हम भुगत रहे है। 
- राजवीर बैरवा, कक्षा बाहरवीं का छात्र 

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बरसात के समय स्कूल के रास्ते पर इतना कीचड़ रहता है। जो कभी गिरते है तो कांटे लग जाते है एवं चोटिल हो जाते है, पर शिक्षा जरूरी हैं। लेकिन संबंधित विभाग के जिम्मेदार हमारी परेशानी को नजरअंदाज करते आ रहे है।
- कवीता गुर्जर, कक्षा बाहरवीं की छात्रा 

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हमारे गांव के विद्यालय में शिक्षाग्रहण कर आगे की शिक्षा के लिए कक्षा नौवीं में भण्डेड़ा सरकारी विद्यालय में प्रवेश लिया था। जब से अब बाहरवीं में पहुंच गई हूँ, पर अभी तक इस कीचड की राह से आनाजाना पड़ रहा है। जिम्मेदार हमारी इस कठिन शिक्षा की डगर पर ध्यान नही दे रहे है। 
- रविना गुर्जर, कक्षा बाहरवीं की छात्रा 

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बरसात कभी भी हो एक बार बरसात होते ही इस रास्ते पर लंबे समय तक कीचड़ हो जाता है। जो हम यहां से हररोज गुजरते है। हम ही जानते है, मगर विभाग इस पर ध्यान नही दे रहा है। 
- पूजा गुर्जर, कक्षा बाहरवीं की छात्रा 

उच्च शिक्षा के लिए सरकार बेटियों के लिए बढावा देने की कहते है पर हम भी ग्रामीण क्षेत्र से उच्च शिक्षा करने के लिए भारी समस्या का सामना करते हुए यह तीन वर्ष होने जा रहे है। पर सरकार हमारी इस कीचड़ की राह नही सुधार पाई है। 
- सोना कुमारी गुर्जर, कक्षा बाहरवीं की छात्रा 

विद्यालय आते जाते समय बरसात होते ही इस रास्ते से गुजरना मुश्किल हो जाता है। विलायती बबूल रास्ते पर आ जाते है। उनके नीचे झुककर निकलते है, तो कीचड़ रहता है। इसी दौरान पशु आ जाते है तो बचने के लिए हमें कांटों की बाड पर चढ़कर बचाव करना पडता है। 
- देवलाल गुर्जर, कक्षा बाहरवीं का छात्र 

उच्च शिक्षा के लिए आते हमें दो वर्ष हो गया। इस मार्ग पर बरसात के तीन माह इस तरह से गुजरते है। जैसे एक कंपिटिशन फाइट कर लिया हो, हमारे अभिभावकों ने पंचायत से भी बहुत बार अवगत करवा दिया। पर समस्या को नजरअंदाज करते आ रहे है 
- सुनिल गुर्जर, ग्यारहवीं का छात्र  

छात्र-छात्राओं की समस्या जायज है। यह प्लान में नही आया था, छात्रों की कीचड़ की समस्या को देखते हुए जल्द-ही झीकरा डलवा दिया जाएगा। जिससे विद्यार्थियों को परेशानी का सामना नहीं करना पड़े।
- बीना बाई मीणा, सरपंच ग्राम पंचायत मरां 

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