कांग्रेस ने 2 नियुक्तियों से साधे जातिगत समीकरण, पीसीसी चीफ ने भी की ओबीसी को साधने की जुगत
गुर्जर समुदाय के एमबीसी वर्ग के सचिन पायलट प्रदेशाध्यक्ष थे
ओबीसी के रामेश्वर डूडी और उपनेता प्रतिपक्ष पद पर एसटी वर्ग के रमेश मीणा को जिम्मेदारी सौंपी थी। उस समय गुर्जर समुदाय के एमबीसी वर्ग के सचिन पायलट प्रदेशाध्यक्ष थे।
जयपुर। कांग्रेस ने राजस्थान विधानसभा में उपनेता प्रतिपक्ष और मुख्य सचेतक पद पर नियुक्ति कर परपंरागत वोट बैंक को साधने की रणनीति पर काम किया है। इससे पहले नेता प्रतिपक्ष पद पर नियुक्ति कर एससी वोट बैंक को साधा तो पीसीसी चीफ पद पर ओबीसी को साधने की रणनीति पर कांग्रेस ने कोर वोट बैंक को पार्टी से जोड़े रखने की कोशिश की है। कांग्रेस ने नेता प्रतिपक्ष और उप नेता प्रतिपक्ष दलित वर्ग से बनाकर अपने परपंरागत वोट बैंक को संदेश देने की कोशिश की है। नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली एससी वर्ग और उपनेता प्रतिपक्ष रामकेश मीणा एसटी वर्ग से आते हैं। मुख्य सचेतक रफीक खान अल्पसंख्यक वर्ग से आते हैं, जो कांग्रेस पार्टी का परपंरागत वोट बैंक माना जाता है। पीसीसी चीफ गोविन्द सिंह डोटासरा ओबीसी वर्ग से आने के कारण पार्टी ने एससी, एसटी, ओबीसी और अल्पसंख्यक वर्ग चारों वोट बैंक को साधने की रणनीति पर काम किया है। कांग्रेस ने पिछली बार विपक्ष में रहते हुए नेता प्रतिपक्ष सीट पर ओबीसी के रामेश्वर डूडी और उपनेता प्रतिपक्ष पद पर एसटी वर्ग के रमेश मीणा को जिम्मेदारी सौंपी थी। उस समय गुर्जर समुदाय के एमबीसी वर्ग के सचिन पायलट प्रदेशाध्यक्ष थे।
आजादी के बाद से अब तक इनके रहे लंबे कार्यकाल
सर्वाधिक पायलट के रिकॉर्ड से पहले परसराम मदेरणा ने 6 साल तक कमान संभाली। गिरधारीलाल व्यास ने सवा पांच साल और गिरिजा व्यास चार साल नौ महीने अध्यक्ष रहीं। पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत दो बार पीसीसी चीफ पद पर रहे। वे करीब सात साल तक अध्यक्ष रह चुके हैं। पीसीसी गोविन्द सिंह डोटासरा ने 29 को कार्यकाल के चार साल पूरे कर लिए हैं। उनको यदि पद पर और समय दिया तो वे गिरिजा व्यास का रिकॉर्ड तोड़ सकते हैं।
राहुल गांधी की सोच को साकार करेगी पीसीसी
सबसे बड़े वोट बैंक ओबीसी के अलावा एससी-एसटी और अल्पसंख्यक वर्ग को साधे रखने की कांग्रेस की रणनीति है। राहुल गांधी का भी सबसे ज्यादा फोकस ओबीसी और एससी-एसटी वोट बैंक पर है। लिहाजा कांग्रेस रणनीतिकारों का मानना है कि आगामी विधानसभा उपचुनाव के बाद पंचायत और निकाय चुनावों में भी जातिगत समीकरण महत्वपूर्ण भूमिका में होते हैं। आगामी दिनों में ओबीसी, एससी-एसटी और अल्पसंख्यक वर्ग प्राथमिकता में रहेंगे।
अगले बदलाव में पीसीसी चीफ पद पर निगाहें
कांग्रेस पार्टी में आगामी सभी चुनावों को देखते हुए पीसीसी चीफ पद पर भी जल्दी बदलाव के कयास लगाए जा रहे हैं। अध्यक्ष पद पर नई नियुक्ति की गई तो ओबीसी वर्ग से ही नया चेहरा लाया जा सकता है। फिलहाल गोविन्द सिंह डोटासरा अध्यक्ष पद पर चार साल का कार्यकाल पूरा कर चुके हैं। इससे पहले सचिन पायलट सर्वाधिक करीब साढेÞ छह साल तक पार्टी के प्रदेशाध्यक्ष रहे हैं। भाजपा संगठन में लगातार हो रहे बदलावों को देखते हुए कांग्रेस भी राजस्थान में बदलाव करना चाह रही है। ऐसे में आगामी समय में राजनीतिक प्रेक्षकों की निगाहें बनी हुई हैं कि नए पीसीसी चीफ पद पर आलाकमान का रुख किस वर्ग की तरफ रहेगा।
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