हिंडोली अस्पताल में डॉक्टर और स्टाफ की कमी, मरीजों का बढ़ा रहे दर्द

मरीज बूंदी, कोटा और देवली जाने को मजबूर

 हिंडोली अस्पताल में डॉक्टर और स्टाफ की कमी, मरीजों का बढ़ा रहे दर्द

आॅपरेशन थिएटर के समान जंग खा गए लेकिन डेढ़ दशक में एक भी डॉक्टर नहीं लगाए।

हिंडोली। राज्य सरकार हर बार ग्रामीण अंचल में अच्छी चिकित्सा व्यवस्था उपलब्ध कराने के लिए जनता से वादा करती है लेकिन हिंडोली अस्पताल में तीन दशक से कभी भी पूरा स्टाफ नहीं रहा।  हद तो तब हो गई जब लगभग डेढ़ दशक से आॅपरेशन थिएटर बन चुका है उसके सामान जंग खा रहे हैं लेकिन सरकार एक सर्जन चिकित्सक नहीं लगा पाई। एक भी स्त्री रोग विशेषज्ञ नहीं है। डॉॅक्टरों और स्टाफ  की कमी के चलते मरीजों बूंदी, टोंक और कोटा जाने को मजबूर है। ज्ञात रहे कि हिंडोली कस्बा राष्ट्रीय राजमार्ग 52 पर स्थित है और हिंडोली चिकित्सालय की श्रेणी यहां के नेता समय-समय पर बदलते रहे हैं।  शायद उनके दिमाग में नहीं आई कि जब चिकित्सालय की श्रेणी बदलता है तो चिकित्सक और अन्य स्टाफ की भी जरूरत होती होगी। ऐसा नहीं है कि स्थानीय कार्यकर्ताओं और नेताओं या आम जनता ने उनको समय-समय पर चिकित्सकों की याद नहीं दिलाई हो ? लेकिन इससे लगता है कि सरकार से बड़े तो डॉक्टर हो गए जो अपनी मर्जी से अपनी मनचाही जगह पर रहना चाहते हैं? चेनपुरिया निवासी हरिराम गुर्जर ने बताया कि हिंडोली चिकित्सालय में केवल जुखाम,खांसी बुखार का ही इलाज होता है। छोटे से आॅपरेशन के लिए ही देवली,बूंदी और कोटा जाना पड़ता है  केवल ऐसी चिकित्सालय का भवन बनाने की क्या जरूरत है ,जहां चिकित्सक नहीं हो?

डेढ़ दशक से आॅपरेशन थिएटर के औजार जंग खा रहे 
डेढ़ दशक से हिंडोली सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में आॅपरेशन थिएटर बनकर तैयार हो गया था। आॅपरेशन थिएटर की आवश्यकता अनुसार मशीनरी और औजार लगा दिए गए थे लेकिन एक सोचनीय प्रश्न है कि राज्य सरकार एक सर्जन चिकित्सक हिंडोली चिकित्सालय में नहीं लगा पाई। जो ग्रामीण समय-समय पर अपने जनप्रतिनिधियों से मांग करते आ रहे हैं।

लाखों की सोनोग्राफी मशीन बनी  शो पीस  
ज्ञात रहे की भीलवाड़ा लोकसभा क्षेत्र के सांसद सुभाष बाहेड़िया ने अपने सांसद कोष से बजट स्वीकृत कर आम जनता की मांग पर हिंडोली चिकित्सालय में लाखों रुपए की सोनोग्राफी मशीन लगाई थी लेकिन सरकार है कि एक महिला चिकित्सक भी नहीं लगा पाई और लाखों की सोनोग्राफी मशीन शॉपीस बनकर रह गई है। 

ये पद है खाली
एक सर्जन चिकित्सक, एक स्त्री रोग चिकित्सक, हड्डी रोग चिकित्सक, एक शिशु रोग विशेषज्ञ, दो प्रथम श्रेणी कंपाउंडर, 10 द्वितीय श्रेणी नर्स स्टाफ के पद रिक्त हैं।

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हिंडोली सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र का भवन पर्याप्त है। सुविधाओं के संसाधन भी पर्याप्त हैं लेकिन कमी स्टाफ की है सरकार अगर पूरा स्टाफ उपलब्ध करा देती है तो ग्रामीण अंचल के लोगों को कम पैसे में अच्छी स्वास्थ्य सेवाएं मिल सकती हैं। 
- डॉ रमेश कुशवाहा, चिकित्सा प्रभारी हिंडोली

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हिंडोली चिकित्सालय में महिला चिकित्सक नहीं होने से महिलाओं को छोटी-छोटी बीमारी के लिए बूंदी कोटा जाना पड़ता है जबकि आधा आबादी के लिए राज्य सरकार एक महिला चिकित्सक भी नहीं लगा पाई। यह सबसे बड़ी शर्म की बात है, जबकि  पूर्व सांसद सुभाष बाहेड़िया की महिलाओं की समस्या को जानते हुए हिंडोली चिकित्सालय में सोनोग्राफी मशीन  लगाई थी। 
- अंजना गुर्जर, सुखपुरा निवासी

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हिंडोली चिकित्सालय में सुविधाओं का अभाव है पूरे डॉक्टर नहीं होने से ग्रामीण अंचल के लोगों को बूंदी, देवली और कोटा भागना पड़ता है। सुविधा के नाम पर चिकित्सालय का भवन ही है सरकार को चाहिए कि डॉक्टर लगाएं जिससे ग्रामीण अंचल में लोगों को कम पैसे में अच्छी सुविधा और स्वास्थ्य चिकित्सा मिल सके। 
- दुर्गा लाल कहार, हनुमान जी का झोपड़ा

हिंडोली सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र का भवन पर्याप्त है। सुविधाओं के संसाधन भी पर्याप्त हैं लेकिन कमी स्टाफ की है सरकार अगर पूरा स्टाफ उपलब्ध करा देती है तो ग्रामीण अंचल के लोगों को कम पैसे में अच्छी स्वास्थ्य सेवाएं मिल सकती हैं। 
- डॉ रमेश कुशवाहा, चिकित्सा प्रभारी हिंडोली

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