सुप्रीम कोर्ट ने बाबा रामदेव, बालकृष्ण के खिलाफ अवमानना कार्यवाही की बंद

सुप्रीम कोर्ट ने बाबा रामदेव, बालकृष्ण के खिलाफ अवमानना कार्यवाही की बंद

उच्चतम न्यायालय ने योग गुरु बाबा रामदेव और पतंजलि के प्रबंध निदेशक आचार्य बालकृष्ण के खिलाफ शुरू की गई अवमानना कार्यवाही मंगलवार को बंद कर दी।

नई दिल्ली। उच्चतम न्यायालय ने योग गुरु बाबा रामदेव और पतंजलि के प्रबंध निदेशक आचार्य बालकृष्ण के खिलाफ शुरू की गई अवमानना कार्यवाही मंगलवार को बंद कर दी।

न्यायमूर्ति हिमा कोहली और न्यायमूर्ति अहसानुद्दीन अमानुल्लाह की पीठ ने उनके अपने उत्पादों के विज्ञापन के मामले में दिए गए अपने शपथ के उल्लंघन के लिए माफी मांगने के तथ्य के मद्देनजर यह फैसला किया। पीठ ने कहा कि दोनों अवमाननाकर्ताओं ने अपने कृत्यों के लिए अपनी माफी प्रकाशित की। 

इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) द्वारा 2022 में एक याचिका दायर की गई थी, जिसमें पतंजलि और रामदेव द्वारा कोविड टीकाकरण अभियान और आधुनिक चिकित्सा पद्धति के खिलाफ अभियान चलाकर बदनाम करने का आरोप लगाया गया था।

शीर्ष अदालत ने 27 फरवरी को बाबा रामदेव और बालकृष्ण को कारण बताओ नोटिस जारी किया और विभिन्न बीमारियों के इलाज का दावा करने वाले पतंजलि के भ्रामक और झूठे विज्ञापनों के खिलाफ कार्रवाई न करने के लिए केंद्र की आलोचना की थी और बाबा रामदेव द्वारा संचालित कंपनी को अब से ऐसी घोषणाएं करने से रोक दिया था।

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कंपनी और उसके प्रबंध निदेशक आचार्य बालकृष्ण को कारण बताओ अवमानना नोटिस जारी करते हुए अदालत ने कहा था कि पूरे देश को गुमराह किया जा रहा है। शीर्ष अदालत ने 19 मार्च को रामदेव और बालकृष्ण को उनके खिलाफ अवमानना कार्यवाही में कारण बताओ नोटिस का जवाब दाखिल करने में विफल रहने के लिए व्यक्तिगत रूप से उपस्थित होने का निर्देश दिया था।

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उच्चतम न्यायालय ने 02 अप्रैल को उनकी माफी को यह कहते हुए खारिज कर दिया था कि यह सरल और दिखावटी है तथा उन्होंने पूर्ण अवज्ञा और आक्रामकता दिखाई है।

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शीर्ष अदालत ने विभिन्न बीमारियों के इलाज का दावा करने वाले भ्रामक विज्ञापनों के संबंध में वचनबद्धता की जानबूझकर अवज्ञा के लिए 10 अप्रैल को उनके द्वारा प्रस्तुत माफी को एक बार फिर से स्वीकार करने से इनकार कर दिया था। अदालत ने 16 अप्रैल को उन्हें मामले में खुद को बचाने और अपनी ईमानदारी दिखाने के लिए कदम उठाने के लिए और समय दिया था। इसके बाद उन्होंने देश के प्रमुख राष्ट्रीय दैनिक समाचार पत्रों में माफी प्रकाशित की थी, जिसके बाद अदालत ने माफीनामा स्वीकार कर लिया।

 

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