पाचन की समस्याओं के कारण बढ़ सकता है पार्किंसंस रोग का खतरा, 2 दशक पहले ही दिखने लग जाते है लक्षण
व्यक्ति को चलने में परेशानी का सामना करना पड़ता है
लेखकों ने कहा कि न्यूरोडीजेनेरेटिव डिसऑर्डर से पीड़ित रोगियों में गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल समस्याएं आम है।
वॉशिगंटन। पेट की समस्याओं के कारण व्यक्ति के शरीर में पार्किंसंस रोग का खतरा बढ़ सकता है। एक अध्ययन में यह खुलासा किया गया है। नए अध्ययन के अनुसार फूड पाइप या पेट में अल्सर सहित पाचन संबंधी समस्याओं से पार्किंसंस रोग का खतरा 76 प्रतिशत तक बढ़ सकता है। 9 हजार से भी अधिक रोगियों की एंडोस्कोपी रिपोर्ट का एनालिसिस किया गया। इसमें पाया गया कि अपर गैस्ट्रोइंटेस्टिनल फंक्शन वाले लोग, अल्सर या एसोफेगस, पेट या छोटी आंत के ऊपरी हिस्से की डैमेज परत वाले लोगों में बाद में पार्किंसंस रोग विकसित होने की संभावना अधिक थी। लेखकों ने कहा कि न्यूरोडीजेनेरेटिव डिसऑर्डर से पीड़ित रोगियों में गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल समस्याएं आम है।
अमेरिका के बेथ इजराइल डेकोनेस मेडिकल सेंटर के शोधकर्ताओं के अनुसार पार्किंसंस के मरीजों को गैस्ट्रोइंटेस्टिनल की समस्या अक्सर हाथों या पैरों में कंपन या अकड़न जैसे लक्षण 2 दशक पहले दिखाने लग जाते है। इसके कारण व्यक्ति को चलने में परेशानी का सामना करना पड़ता है।
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