युवाओं में तेजी से हो रहा एंकीलॉजिंग स्पॉन्डिलाइटिस
इससे कमर और पेल्विस में तेज दर्द होता है
एंकीलॉजिंग स्पॉन्डिलाइटिस बीमारी इनफ्लैमेटरी आर्थराइटिस यानि गठिया का एक प्रकार है, जिसमें सूजन आती है। यह मुख्य रूप से रीढ़ और सेक्रोइलियाक जॉइंट्स को प्रभावित करता है।
जयपुर। एंकीलॉजिंग स्पॉन्डिलाइटिस बीमारी इनफ्लैमेटरी आर्थराइटिस यानि गठिया का एक प्रकार है, जिसमें सूजन आती है। यह मुख्य रूप से रीढ़ और सेक्रोइलियाक जॉइंट्स को प्रभावित करता है। इससे कमर और पेल्विस में तेज दर्द होता है। एंकीलॉजिंग स्पॉन्डिलाइटिस खासतौर से युवाओं में होता है। इसके पीछे कारण बदलती जीवनशैली, आलसपन और तनाव है। भारत में लगभग 16.5 लाख लोग इससे पीड़ित हैं। ग्लोबल डेटा के अनुसार यह संख्या 2.95 प्रतिशत की वार्षिक वृद्धि दर से बढ़ रही है। जागरुकता की कमी के कारण इसके 69 प्रतिशत रोगी या तो गलत इलाज कराने वाले हैं या उन्हें इसका पता ही नहीं है।
रीढ़ को पहुंचाता है भारी नुकसान
एसएमएस हॉस्पिटल के क्लिनिकल इम्यूनोलॉजी और रूमैटोलॉजी के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. अविनाश जैन ने बताया कि एंकीलॉजिंग स्पॉन्डिलाइटिस एक पुराना रोग है, जो एक्सियल जॉइंट्स (रीढ़) को प्रभावित करता है। यह जीवनशैली का रोग है, जिसके लिए सही समय पर निदान, नियमित उपचार और व्यायाम जरूरी है। ऐसा नहीं करने से पोश्चर में झुकाव, लचीलेपन में कमी और ज्यादा दर्द हो सकता है। बायोलॉजिक्स थेरैपीज जैसी दवाओं और जीवनशैली में बदलाव करके बीमारी को ठीक कर सकते हैं।
पुरुषों और महिलाओं में अलग प्रभाव
यह बीमारी पुरुषों की रीढ़ और पेल्विस को सबसे ज्यादा प्रभावित करती है, जबकि महिलाओं में हाथों, पैरों या गले के जोड़ों में दर्द होता है। इससे पीड़ित पुरुषों के खून में सूजन के मार्कर ज्यादा उच्च स्तर पर होते हैं, लेकिन महिलाओं में ऐसा नहीं है।
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