लोग कृूट रहे चांदी, नियमों में फंसे निगम के हाथ खाली
विवाह स्थल(मैरिज गार्डन) पंजीयन में नियम आ रहे आड़े
विशेष रूप से पार्किंग स्थान सबसे बड़ी बाधा बन रही है।
कोटा। शहर में विवाह स्थलों की भरमार है लेकिन अधिकतर बिना पंजीयन के ही संचालित हो रहे है। जिससे मैरिज गार्डन संचालक तो हर साल लाखों रुपए कमाई कर चांदी कूट रहे हैंजबकि नगर निगम को राजस्व का नुकसान हो रहा है। कोटा में पहले एक ही नगर निगम था लेकिन परिसीमन के बाद दो निगम कोटा उत्तर व दक्षिण कर दिए गए। ऐसे में शहर में संचालित विवाह स्थलों को भी उत्तर दक्षिण में विभाजित कर दिया गया। शहर में वर्तमान में हर क्षेत्र में और अधिकतर समाजों के मैरिज गार्डन संचालित हो रहे है। जिनमें हर सीजन में शादियों के आयोजन तो हो रहे है लेकिन उनमें से किसी का भी निगम में पंजीयन नहीं है।
पंजीयन में यह नियम आ रहे आड़े
राज्य सरकार के परिपत्र के अनुसार विवाह स्थलों के पंजीयन के लिए आवश्यक है कि उसमें स्वयं का पर्याप्त पार्किंग स्थान होना चाहिए। पर्याप्त नहीं हो तो भी विवाह स्थल की कुल जगह का करीब 25 फीसदी स्थान पार्किंग के लिए होना चाहिए। साथ ही फायर एनओसी हो और विवाह स्थल पर लोगों की क्षमता का प्रमाण पत्र भी होना चाहिए। लेकिन हालत यह है कि वर्तमान में जितने भी विवाह स्थल है उनमें से अधिकतर की न तो स्वयं की पार्किंग है और न ही उनके पास फायर एनओसी है। आयोजनों के समय अधिकतर वाहन मैरिज गार्डनों के बाहर सड़क पर ही खड़े हो रहे है। इस नियम के चलते मैरिज गार्डनों का पंजीयन नहीं हो पा रहा है। बिना इस एक निगम की पालना के अन्य नियमों की भी पालना नहीं हो रही है। जिससे पंजीयन, फायर एनओसी व क्षमता प्रमाण पत्र जारी करने से निगम को हर साल होने वाली आय व राजस्व प्राप्त नहीं हो पा रहा। जिससे लाखों रुपए सालाना राजस्व का निगम को नुकसान भुगतना पड़ रहा है।
सामाजिक कार्यक्रमों के लिए विवाह हो रहे
जानकारों के अनुसार राज्य सरकार द्वारा नगर विकास न्यास के माध्यम से शहर में अधिकतर समाजों को सामाजिक आयोजनों के लिए रियायती दर पर भूखंड दिए गए थे। लेकिन वर्तमान में उन सभी भवनों में विवाह व अन्य आयोजन हो रहे है। जिससे संचालक लाखों रुपए कमा रहे है।
निगम में नहीं है किसी का पंजीयन
नगर निगम राजस्व अनुभाग से प्राप्त जानकारी के अनुसार शहर में विवाह स्थल तो बहुत है। लेकिन उनमें से नगर निगम में एक का भी पंजीयन नहीं है। अधिकारियों का कहना है कि मैरिज गार्डन संचालक पंजीयन करवाना चाहते है लेकिन राज्य सरकार के नियम आड़े आ रहे है। विशेष रूप से पार्किंग स्थान सबसे बड़ी बाधा बन रही है।
पंजीयन से आय का लक्ष्य
नगर निगम कोटा उत्तर व दक्षिण की ओर से हर साल बजट में विवाह स्थल व मैरिज गार्डनों के पंजीयन से आय का प्रावधान किया जाता है। चालू वित्त वर्ष के लिए कोटा उत्तर में एक करोड़ रुपए व कोटा दक्षिण में40 लाख रुपए आय का लक्ष्य रखा गया है। लेकिन हालत यह है कि विवाह स्थलों का पंजीयन नहीं होने से निगम को इस मद में आय ही नहीं हो रही है।
इनका कहना है
शहर में विवाह स्थल तो बहुत है लेकिन निगम में पंजीयन नहीं है। विवाह स्थल पंजीयन में आड़े आ रहे नियमों में संशोधन के लिए पूर्व में रा’य सरकार को कई पत्र लिखे थे लेकिन अभी तक उसमें कुछ भी नहीं हुआ है। जिससे इस मद में निगम कोआय नहीं हो रही है।
- विवेक राजवंशी, नेता प्रतिपक्ष, नगर निगम कोटा दक्षिण
विवाह स्थलों के पंजीयन से निगम कोआय होने का बजट में तो हर साल प्रावधान किया जा रहा है।लेकिन विवाह स्थलों का निगम में पंजीयन नहीं होने से इनसे निगम को राजस्व नहीं मिलने से नुकसान हो रहा है।
- राजीव अग्रवाल, महापौर, नगर निगम कोटा दक्षिण
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