स्टेरॉयड का सेवन शरीर को कर रहा डैमेज

युवाओं में बढ़ी हिप ज्वाइंट की समस्या

स्टेरॉयड का सेवन शरीर को कर रहा डैमेज

रोजाना स्टेरॉयड के सेवन के कारण 12 से 15 नए मरीज इस बीमारी का उपचार कराने के लिए आ रहे हैं।

कोटा । शरीर को सुडौल बनाने की चाहत में अंधाधुंध स्टेरॉयड के प्रयोग ने युवाओं में हिप ज्वाइंट की समस्या को बढ़ा दिया है। इसके कारण कई बार तो हिप को प्रत्यारोपित करना पड़ जाता है। चिकित्सकों के अनुसार हिप ज्वाइंट डैमेज के नाम से जानी जाने वाली इस समस्या के चलते कुछ सालों पहले तक एमबीएस अस्पताल की ओपीडी में रोजाना महज एक या दो केस आते थे, लेकिन अब रोजाना स्टेरॉयड के सेवन के कारण 12 से 15 नए मरीज इस बीमारी का उपचार कराने के लिए आ रहे हैं। वर्तमान में अस्पतालों में पचास फीसदी हिप रिप्लेसमेंट स्टेरॉयड सेवन के कारण हो रहे हैं।

केल्शियम को अवशोषित नहीं कर पाता शरीर 
चिकित्सकों के अनुसार कूल्हे का जोड़ शरीर का वजन सहने वाले प्रमुख जोड़ों में से एक है। यह जांघ की हड्डी (फीमर) व कूल्हे की हड्डी (पेल्विस) से जुड़ा रहता है। यह पैरों या टांगों को मोड़ऩे, घुटनों के बल बैठने या घुमाने में सहायता करता है। आमतौर पर किसी भी कारण से 10 फीसदी भी वजन बढ़ने पर कूल्हे और पर दबाव पड़ने लगता है। चिकित्सकों के अनुसार स्टेरॉइड व ध्रूमपान के कारण शरीर केल्शियम अवशोषित नहीं कर पाता है। कूल्हों में खराबी आर्थराइटिस से भी हो सकती है। रूमेटाइड आर्थराइटिस होने पर जोड़ों में सूजन होती है। इसके बाद से धीरे-धीरे जोड़ खराब हो जाते हैं। कई बार स्थिति ज्यादा गंभीर हो जाती है।

बीमारी बढ़ी तो हिप रिप्लेसमेंट ही विकल्प
चिकित्सकों के अनुसार हिप रिप्लेसमेंट या आॅर्थोप्लास्टी सर्जरी में डैमेज हुए कूल्हे के जोड़ों को हटा दिया जाता है और उसकी जगह आर्टिफिशियल आॅर्गन लगा दिए जाते हैं। इस तरह मरीज का दर्द भी दूर हो जाता है और वह फिर से एक सामान्य जीवन जी सकता है। ऐसे लोग जिनके कूल्हे के जोड़ किसी कारण से डैमेज हो गए हैं और इलाज के बावजूद उनका दर्द कम नहीं हो रहा है, उन्हें रोजमर्रा के कार्य करने में अत्यंत परेशानी होती है। ऐसे में हिप रिप्लेसमेंट सर्जरी इन व्यक्तियों के लिए किसी वरदान से कम नहीं है।

इतना घातक है स्टेरॉयड
स्टेरॉयड के सेवन के कारण हड्डियों में रक्त संचरण प्रभावित हो जाता है, जिसके कारण हड्डियों को काफी नुकसान होने लगता है। इसके बाद समय पर उपचार नहीं मिलने से हड्डियों में गलने की समस्या होने लगती है। इसके अलावा स्टेरायड के कारण शरीर केल्शियम अवशोषित नहीं कर पाता है। जिससे स्टेरायड लेने वाले के हिप कमजोर होने लगते हैं। इसके लगातार सेवन के कारण स्थिति बिगड़ने लगती है। समस्या की जानकारी नहीं मिलने के कारण उपचार संभव नहीं हो पाता है। इसके बाद हिप रिप्लेसेमेंट ही अंतिम उपाय रह जाता है।  
- डॉ. महेंद्र मीणा, आर्थोपेडिक सर्जन

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 स्टेरॉयड का चलन बढ़ने के कारण युवाओं में हिप ज्वाइंट की समस्या होने लगी है। इसके सेवन से कूल्हे की हड्डी को सबसे ज्यादा नुकसान पहुंचता है। कूल्हे के जोड़ में थोड़ी खराबी है तो दवा और फिजियोथैरेपी से आराम मिलता है, लेकिन परेशानी बढऩे पर कूल्हे का जोड़ बदलना पड़ता है। यही कारण है कि ओपीडी में हिप रिप्लेसमेंट सर्जरी कराने वालों में अब युवा वर्ग की संख्या ज्यादा हो रही है।
- डॉ. अजय जौहरी, अस्थि रोग विशेषज्ञ

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