किसानों के साथ एकजुटता दिखाने जंतर-मंतर पहुंचे विपक्ष के नेता, बोले- सरकार को वापस लेने चाहिए तीनों कानून

किसानों के साथ एकजुटता दिखाने जंतर-मंतर पहुंचे विपक्ष के नेता, बोले- सरकार को वापस लेने चाहिए तीनों कानून

कांग्रेस तथा कई अन्य विपक्षी दलों के नेताओं ने संसद से चलकर शुक्रवार को जंतर-मंतर पर आयोजित किसान संसद में हिस्सा लिया और किसानों के साथ उनकी मांगों के समर्थन में एकजुटता का प्रदर्शन किया। उन्होंने कहा कि कृषि सुधार कानून किसानों के हित में नहीं हैं, इसलिए इन तीनों कानूनों को सरकार को वापस लेना चाहिए।

नई दिल्ली। कांग्रेस तथा कई अन्य विपक्षी दलों के नेताओं ने संसद से चलकर शुक्रवार को जंतर-मंतर पर आयोजित किसान संसद में हिस्सा लिया और किसानों के साथ उनकी मांगों के समर्थन में एकजुटता का प्रदर्शन किया। विपक्ष के 14 दलों के नेताओं की सुबह संसद की कार्यवाही शुरू होने से पहले संसद भवन में बैठक हुई, जिसमें निर्णय लिया गया कि उनके सभी प्रमुख नेता किसानों की मांग के साथ एकजुटता दिखाने के लिए जंतर-मंतर जाएंगे। उसके बाद विपक्षी नेता संसद से बस में सवार होकर जंतर-मंतर के लिए रवाना हुए। संसद के मानसून सत्र में पेगासस, किसानों के मुद्दे तथा महंगाई को लेकर विपक्षी दल हंगामा कर रहे हैं जिसके कारण संसद की कार्यवाही नहीं चल पा रही है। संसद की कार्यवाही शुक्रवार को भी विपक्षी दलों के सदस्यों के भारी हंगामा तथा शोरशराबे के कारण दोपहर 12 बजे दिनभर के लिए स्थगित करनी पड़ी।

विपक्ष के जिन नेताओं ने जंतर-मंतर पर किसान संसद में हिस्सा लिया, उनमें कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी, राज्यसभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे, लोकसभा में कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी, पार्टी सांसद मनीष तिवारी, अम्बिका सोनी के अलावा आईएमयूएल के ई टी बशीर, आरएसपी के एन के प्रेमचंद्रन, द्रमुक के तिरुचि शिवा, राजद के मनोज झा, शिव सेना के संजय राउत, नेशलन कांफ्रेंस के हसनैन मसूदी के साथ ही समाजवादी पार्टी, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी, शिवसेना, मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी, आम आदमी पार्टी और कई अन्य दलों के नेता शामिल हुए।

विपक्ष के नेताओं ने यहां प्रदर्शन कर रहे किसानों को संबोधित करते हुए कहा कि वे एकजुट होकर उनके साथ खड़े हैं और जब तक उनकी मांगें नहीं मानी जाती तब तक वे किसानों के साथ मिलकर उनकी लड़ाई लड़ेंगे। उन्होंने कहा कि कृषि सुधार कानून किसानों के हित में नहीं हैं, इसलिए इन तीनों कानूनों को सरकार को वापस लेना चाहिए।

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