सुप्रीम कोर्ट ने रियल इस्टेट (नियमन और विकास) अधिनियम को सही ठहराया
राज्यों को बदलने होंगे अपने नियम
नई दिल्ली। रियल इस्टेट (नियमन और विकास) अधिनियम 2016(रेरा)को सही ठहराने के उच्चतम न्यायालय के फैसले का दूरगामी नतीजा सामने आना निश्चित है। उल्लेखनीय हैम कि यह फैसला उन सभी चालू रियल्टी परियोजनाओं के सम्बंध में है, जिन्हें उक्त कानून के प्रभावी होने तक पूरा होने का प्रमाण पत्र नहीं मिला था। अब उम्मीद जताई जा रही है कि इस कानून में विहित राज्यों से सम्बंधित नियमों में भारी परिवर्तन होंगे।
नई दिल्ली। रियल इस्टेट (नियमन और विकास) अधिनियम 2016(रेरा)को सही ठहराने के उच्चतम न्यायालय के फैसले का दूरगामी नतीजा सामने आना निश्चित है। उल्लेखनीय हैम कि यह फैसला उन सभी चालू रियल्टी परियोजनाओं के सम्बंध में है, जिन्हें उक्त कानून के प्रभावी होने तक पूरा होने का प्रमाण पत्र नहीं मिला था। अब उम्मीद जताई जा रही है कि इस कानून में विहित राज्यों से सम्बंधित नियमों में भारी परिवर्तन होंगे। उच्चतम न्यायालय ने गुरुवार को साफ कर दिया कि इस कानून के लागू होने की तिथि तक अपूर्ण रहे और पूरा होने का प्रमाण पत्र प्राप्त नहीं करने वाली परियोजनाओं पर रेरा कानून लागू होगा। उल्लेखनीय है कि उत्तरप्रदेश, हरियाणा, पंजाब, कर्नाटक, तेलंगाना और तमिलनाडु के नियम इस निर्णय के अनुपकूल नहीं हैं। इन राज्यों को सभी चालू परियोजनाओं को रेरा के अंतर्गत लाने के लिए अपने नियमों में संशोधन करना पड़ सकता है। वर्ष 2017 में तत्कालीन आवासन मंत्री वेंकैया नायडू ने विभिन्न राज्यों द्वारा रेरा कानून को कमजोर करने पर चिंता जताई थी।
उन्होंने उन राज्यों से कहा था कि उन्हें ऐसा करने का कोई अधिकार नहीं है। मंत्रालय ने चालू परियोजनाओं और रेरा के क्षेत्राधिकार में टकराव के सम्बंध में कहा था कि जिन परियोजनाओं को एक मई 2017 तक पूरा होने का प्रमाण पत्र नहीं मिला, उन्हें रेरा के अंतर्गत रहना होगा।
मकान खरीदने वालों की संस्था कलेक्टिव एफोर्ट्स के अध्यक्ष अभय उपाध्याय नेम कहा कि सुप्रीम कोर्ट को फैसले ने इस कानून के लागू होते समय तक अपूर्ण सभी रियल इस्टेट परियोजनाओं पर रेरा के क्षेत्राधिकार की पुष्टि कर दी है।
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