डी. के. शिवकुमार ने किया नफरत वाले भाषणों पर प्रस्तावित विधेयक का बचाव
उपमुख्यमंत्री डी.के. शिवकुमार ने BJP पर साधा निशाना
कर्नाटक के उपमुख्यमंत्री डी.के. शिवकुमार ने भाजपा को नफरत फैलाने वाले भाषणों का जनक बताते हुए प्रस्तावित हेट स्पीच रोक विधेयक का बचाव किया। उन्होंने कहा कि बिल का उद्देश्य संवैधानिक मूल्यों की रक्षा है।
बेलगावी। कर्नाटक के उपमुख्यमंत्री डी के शिवकुमार ने गुरुवार को भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की कड़ी आलोचना करते हुए उसे नफरत फैलाने वाले भाषणों का जनक बताया और विभाजनकारी बयानबाजी पर रोक लगाने के लिए राज्य सरकार के प्रस्तावित विधेयक का बचाव
किया।
शिवकुमार ने सुवर्ण सौध में पत्रकारों से बात करते हुए कहा, वे नफरत फैलाने वाले भाषणों के जनक हैं, जो धर्मों और समुदायों के बीच नफरत फैला रहे हैं। हम यह सब संविधान को बचाने के लिए कर रहे हैं। उन्होंने बेंगलुरु के चिन्नास्वामी स्टेडियम में इंडियन प्रीमियर लीग (आईपीएल) की संभावित मेजबानी पर भी बात की। उपमुख्यमंत्री की यह तीखी टिप्पणी नफरत फैलाने वाले भाषण पर रोक लगाने वाले प्रस्तावित विधेयक पर भाजपा के कड़े विरोध के बीच आई है।
डी के शिवकुमार ने विपक्ष पर पाखंड का आरोप लगाते हुए कहा कि इस विधेयक का मकसद संवैधानिक मूल्यों की रक्षा करना और सांप्रदायिक सदभाव बनाए रखना है और बोलने की आज़ादी को दबाना नहीं है। उप मुख्यमंत्री ने आईपीएल मुद्दे पर कहा कि कर्नाटक राज्य क्रिकेट एसोसिएशन (केएससीए) ने चिन्नास्वामी स्टेडियम में टूर्नामेंट की मेजबानी के लिए मंज़ूरी का अनुरोध करते हुए एक ज्ञापन सौंपा है। उन्होंने कहा, केएससीए के नए चुने गए अध्यक्ष और टीम मुझसे और मुख्यमंत्री से मिलने आए थे।
उन्होंने चिन्नास्वामी स्टेडियम में आईपीएल आयोजित करने के संबंध में एक ज्ञापन दिया है और हमने उनसे कहा है कि हम इस पर कैबिनेट में चर्चा करेंगे और फैसला लेंगे। उन्होंने स्टेडियम में हाल ही में हुई, एक घटना को स्वीकार करते हुए इसे एक दुखद घटना बताया जो नहीं होनी चाहिए थी, लेकिन इस बात पर ज़ोर दिया कि सभी दिशानिर्देशों का पालन किया जाएगा।
उन्होंने राज्य की खेल संस्कृति और सार्वजनिक छवि के लिए इस आयोजन के महत्व का उल्लेख करते हुए कहा, मुझे व्यक्तिगत रूप से लगता है कि यह कर्नाटक के लिए प्रतिष्ठा का मामला है और इसे खराब नहीं किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि नफरत फैलाने वाले भाषण पर रोक लगाने संबंधी विधेयक पर चल रही बहस और आईपीएल के बारे में निर्णय जैसे विषय आने वाले हफ्तों में कर्नाटक के राजनीतिक विमर्श पर हावी रह सकते हैं।

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