खूनी झड़प के 5 साल बाद पर्यटकों के लिए जल्द खुलेगा गलवान, सरकार ने भारत रणभूमि दर्शन प्रोग्राम शुरू किया
वीरगति प्राप्त सैनिकों को श्रद्धांजलि
ईस्टर्न लद्दाख में गलवान में भारत और चीन के सैनिकों के बीच हुई खूनी झड़प को पांच साल हो गए हैं
नई दिल्ली। ईस्टर्न लद्दाख में गलवान में भारत और चीन के सैनिकों के बीच हुई खूनी झड़प को पांच साल हो गए हैं। एलएसी पर तनाव पहले से कुछ कम हुआ है, लेकिन अभी भी दोनों तरफ से सैनिकों की तैनाती पहले की तरह ही है। दोनों तरफ से सैनिकों की संख्या में कोई कमी नहीं आई है। 15 जून 2020 की रात को गलवान में भारत और चीन के सैनिकों के बीच खूनी झड़प हुई थी। जिसमें भारत के 20 सैनिक शहीद हुए और चीन को भी भारी नुकसान उठाना पड़ा।
प्रशासन जुटा तैयारियों में
बॉर्डर इलाकों तक पर्यटकों की पहुंच बढ़ाने के लिए भारत सरकार ने भारत रणभूमि दर्शन प्रोग्राम शुरू किया गया है। प्रोग्राम के तहत ईस्टर्न लद्दाख में गलवान को भी पर्यटकों के लिए खोलने का फैसला हुआ था और भारतीय सेना, स्थानीय प्रशासन के साथ इसकी तैयारी में जुटी है। यहां काम अपने अंतिम चरण में है और बहुत जल्द गलवान पर्यटकों के लिए खुल जाएगा।
वीरगति प्राप्त सैनिकों को श्रद्धांजलि: गलवान में हुई खूनी झड़प के बाद यहां वीरगति प्राप्त सैनिकों को श्रद्धांजलि देने और उनकी वीरता को याद रखने के लिए मेमोरियल बनाया गया है। इसे अब रिनोवेट किया गया है। इस जगह से सिविल आबादी करीब 100 किलोमीटर दूर है। यहां आखिरी गांव श्योक गांव है। यहां से लेकर गलवान तक रास्ते में रहने और खाने का इंतजाम किया जा रहा है। इसके लिए टेंपरेरी स्ट्रक्चर बनाए जा रहे हैं।
पर्यटकों को कहां तक जाने की इजाजत: अभी किलोमीटर-23 तक ही पर्यटकों को जाने की इजाजत है। यहां जगहों के नाम दूरी के हिसाब से रखे गए हैं। दुर्बुक को 0 किलोमीटर कहा जाता है। दुर्बुक से 23 किलोमीटर के आगे का पॉइंट किलोमीटर-23 है और 120 किलोमीटर आगे जाकर जो पॉइंट है उसे किलोमीटर-120 कहते हैं, और यही पर गलवान वॉर मेमोरियल है। किलोमीटर-23 में श्योक रिवर पर ब्रिज है और कैफे है। पर्यटक अभी यहां तक आ जा रहे हैं। जब कंस्ट्रक्शन पूरा हो जाएगा तो फिर पर्यटक गलवान तक जा सकेंगे।

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