असम में बेदखली अभियान के बीच हिमंत ने मियालैंड की मांग को किया खारिज
सीआरपीएफ ने डीएबी क्षेत्र में पूरी तरह से निष्पक्षता सुनिश्चित की
असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने उरियमघाट में राज्य के नवीनतम बेदखली अभियान के बाद एक अलग मियालैंड की कथित मांग को खारिज कर दिया है
गुवाहाटी। असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने उरियमघाट में राज्य के नवीनतम बेदखली अभियान के बाद एक अलग मियालैंड की कथित मांग को खारिज कर दिया है। हालिया बेदखली अभियान के बाद 10,000 बीघा से अधिक भूमि को पुन: प्राप्त किया गया है। सरमा ने संवाददाताओं को संबोधित करते हुए कहा कि इस अभियान के साथ पूरे राज्य में अतिक्रमण से मुक्त किया गया कुल क्षेत्रफल अब लगभग 1,29,000 बीघा या 182 वर्ग किलोमीटर हो गया है। असम-नागालैंड सीमा पर विवादित क्षेत्र बेल्ट (डीएबी) में एक संवेदनशील क्षेत्र उरियमघाट में बेदखली के बाद मीडिया से बात करते हुए सरमा ने पूर्ण सहयोग देने के लिए नागालैंड के मुख्यमंत्री नेफियो रियो के प्रति आभार व्यक्त किया। उन्होंने अभियान के शांतिपूर्ण निष्पादन का श्रेय नागालैंड पुलिस और सीआरपीएफ की निष्पक्षता को दिया। सरमा ने कहा कि नागालैंड पुलिस और सीआरपीएफ ने डीएबी क्षेत्र में पूरी तरह से निष्पक्षता सुनिश्चित की। मैं मुख्यमंत्री रियो को उनके सहयोग के लिए धन्यवाद देता हूँ। इस अभियान की सफलता के लिए समन्वित प्रयास महत्वपूर्ण था। बंगाली मूल के मुसलमानों के लिए एक अलग मातृभूमि की वकालत करने वालों पर कटाक्ष करते हुए, जिन्हें अक्सर मियां कहा जाता है, सरमा ने मियालैंड के विचार को बेतुका एवं अप्राप्य बताया।
सरमा ने कहा ‘‘उनका सपना ज़रूर पूरा होगा लेकिन भारत में नहीं। शायद बांग्लादेश या अफगानिस्तान में। मैं व्यक्तिगत रूप से उन्हें वहां बसने में मदद करूंगा। बांग्लादेश में काफी जमीन उपलब्ध है और अगर नहीं तो अफगानिस्तान एक विकल्प है। असम के राजनीतिक हलकों में मियालैंड शब्द कभी-कभी सुनाई देता है। मिया मुस्लिम समुदाय जिसमें मुख्य रूप से बंगाली भाषी मुसलमान शामिल हैं और जो कई पीढ़ियों से असम में बसे हुए हैं, अक्सर राज्य में अवैध आव्रजन, भूमि अधिकार और पहचान को लेकर बहस के केंद्र में रहे हैं।

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