यूक्रेन को सर्वाधिक डीजल बेचने वाला देश है भारत : भारतीय डीजल से ही चल रही यूक्रेन की गाड़ियां, ट्रंप का नैरेटिव फेल
जुलाई में यूक्रेन के डीजल आयात में भारत का 15.5% हिस्सा
ऐसा माना जा रहा है कि भारत के निर्यात किए गए डीजल में रूसी कच्चे तेल को दोबारा प्रोसेस करके इस्तेमाल किया जा रहा है।
नई दिल्ली। रूस से तेल खरीदने के लिए अमेरिका ने भारत को निशाना बनाया है। लेकिन, उसी तेल से यूक्रेन की अर्थव्यवस्था को बड़ी राहत मिली है। यही कारण है कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का भारत को विलेन बनाने का नैरेटिव फेल हो गया है। इस मोर्चे पर उनकी लगातार भद्द पिट रही है। जुलाई 2025 में भारत यूक्रेन को डीजल सप्लाई करने वाला सबसे बड़ा देश बन गया है। यह तब हुआ है जब अमेरिका ने रूस से तेल खरीदने के कारण भारत पर 50 प्रतिशत का भारी टैक्स लगा दिया है। एक तरफ अमेरिका रूस से भारत के तेल संबंधों पर नाराज है। वहीं दूसरी ओर भारतीय डीजल यूक्रेन की युद्धकालीन अर्थव्यवस्था को चला रहा है। आंकड़ों से इसका पता चलता है। ट्रंप ने आरोप लगाया था कि भारत रूस से तेल खरीदकर रूस की युद्ध मशीनरी चल रहा है।
जुलाई में यूक्रेन के डीजल आयात में भारत का 15.5% हिस्सा
यूक्रेन की ऑयल मार्केट एनालिस्ट कंपनी नैफ्टोरायनॉक के अनुसार, जुलाई में यूक्रेन के डीजल आयात में भारत की हिस्सेदारी 15.5 प्रतिशत थी। यह किसी भी अन्य देश से ज्यादा है। भारत से रोजाना लगभग 2,700 टन डीजल भेजा गया। यह इस साल भारत के सबसे ज्यादा मासिक ईंधन निर्यात में से एक है। जनवरी से जुलाई 2025 तक यूक्रेन को डीजल सप्लाई में भारत की हिस्सेदारी 1.9 प्रतिशत से बढ़कर 10.2 प्रतिशत हो गई है। यह बहुत बड़ी बढ़ोतरी है। रिपोर्ट के अनुसार, डीजल रोमानिया से डेन्यूब नदी के रास्ते और तुर्की में ओपीईटी टर्मिनल के जरिए यूक्रेन पहुंचता है, जबकि इस पर प्रतिबंध लगे हुए हैं। यह सब भारत और अमेरिका के बीच बढ़ते व्यापार तनाव के बीच हो रहा है। ट्रंप प्रशासन ने हाल ही में भारत पर 50 प्रतिशत का टैक्स लगाया है। पहले 25 प्रतिशत का टैरिफ लगाया गया और फिर 25 प्रतिशत और बढ़ा दिया गया। इसका कारण यह है कि भारत रूस से सस्ते कच्चे तेल का आयात कर रहा है। अमेरिका के प्रतिबंध भारत के तेल खरीदने पर हैं। जबकि यूक्रेन के युद्ध के मैदान और शहर भारतीय डीजल से चल रहे हैं।
ऐसा माना जा रहा है कि भारत के निर्यात किए गए डीजल में रूसी कच्चे तेल को दोबारा प्रोसेस करके इस्तेमाल किया जा रहा है। हालांकि, आधिकारिक डेटा अभी तक स्पष्ट नहीं है। जुलाई में यूक्रेन को डीजल सप्लाई करने वाले अन्य प्रमुख देशों में स्लोवाकिया (15 प्रतिशत), ग्रीस (13.5प्रतिशत), तुर्की (12.4प्रतिशत) और लिथुआनिया (11.4प्रतिशत) शामिल हैं। लेकिन, भारत के निर्यात में सबसे ज्यादा तेजी देखी गई है। अमेरिकी दबाव के बावजूद भारत अपनी ऊर्जा जरूरतों को पूरा करने के लिए दृढ़ है। पहले, उसने ईरान और वेनेजुएला के खिलाफ अमेरिकी प्रतिबंधों का पालन किया था। लेकिन, इस बार उसने अलग-अलग जगहों से तेल खरीदने और अपनी ऊर्जा सुरक्षा को प्राथमिकता देने का फैसला किया है।
यूरोप की ऊर्जा सप्लाई में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे
विश्लेषकों का कहना है कि यह स्थिति वैश्विक ऊर्जा के प्रवाह की जटिलता को दिखाती है। यह भी दिखाती है कि एक-तरफा प्रतिबंधों की सीमाएं क्या हैं। वाशिंगटन रूस के तेल पर निशाना साध रहा है, जबकि भारत के तेल रिफाइनरी यूरोप की ऊर्जा सप्लाई में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं। नैफ्टोरायनॉक के अनुसार, भारत ने जुलाई में यूक्रेन के डीजल आयात का 15.5प्रतिशत हिस्सा कवर किया। इसका मतलब है कि यूक्रेन में जितना भी डीजल आया, उसमें से 15.5प्रतिशत भारत से आया था। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि दैनिक शिपमेंट औसतन 2,700 टन था। यानी, हर दिन लगभग 2,700 टन डीजल भारत से यूक्रेन भेजा गया।

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