अब फर्जी वोटरों की पहचान करना होगा आसान, चुनाव आयोग वोटर आईडी को आधार कार्ड करेगा लिंक

उद्देश्य मतदाता सूची से फर्जी एंट्री को हटाकर सटीक और पारदर्शी बनाना

अब फर्जी वोटरों की पहचान करना होगा आसान, चुनाव आयोग वोटर आईडी को आधार कार्ड करेगा लिंक

केंद्रीय गृह सचिव, विधायी विभाग के सचिव और UIDAI के CEO की बैठक होगी, जिसमें चुनाव आयोग वोटर आईडी और आधार को लिंक करने की योजना पर विचार करेगा

नई दिल्ली। मतदाता पहचान पत्रों में गड़बड़ी के आरोपों से निपटने के लिए चुनाव आयोग ने अब देश भर के मतदाता पहचान पत्रों को आधार से जोड़ने का बड़ा फैसला लिया है। चुनाव आयोग ने कहा है कि इसे सुनिश्चित करने के लिए जल्द ही आयोग और आधार तैयार करने वाली संस्था भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण (यूआईडीएआई) के तकनीक विशेषज्ञ मिलकर काम शुरू करेंगे। आयोग का कहना है कि वोटर कार्ड को आधार से जोड़ने का काम मौजूदा कानून और सुप्रीम कोर्ट के निर्देशानुसार किया जाएगा। चुनाव आयोग ने मंगलवार को यह फैसला केंद्रीय गृह सचिव, सचिव विधायी विभाग व यूआईडीएआई के सीईओ के साथ लंबी चर्चा के बाद लिया है। इस चर्चा के दौरान मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार के साथ चुनाव आयुक्त डॉ. एसएस संधू व डॉ. विवेक जोशी मौजूद थे।

फर्जी नामों की होगी पहचान
सूत्रों के मुताबिक बैठक में इससे जुड़े सभी कानूनी और तकनीकी पहलुओं को सामने रखा गया। इस बीच आयोग ने मतदाता पहचान पत्रों को आधार से जोड़ने के लिए तैयार किए एप्लीकेशन के बारे में भी जानकारी दी और बताया कि इससे किसी भी तरह का डाटा एक-एक दूसरे के साथ साझा नहीं होगा। यह सिर्फ मतदाताओं को प्रमाणित करेगी। साथ ही फर्जी और गलत तरीके से कई बार जोड़े गए मतदाताओं की पहचान को सामने लाएगी। आधार से ईपिक के जुड़ने से मतदाताओं को भी लाभ होगा।

ईपिक में बदलाव भी होगा आसान 
दरअसलए मूलभूत सुविधाओं की प्राप्ति के लिए हर व्यक्ति तब आधार में अपना पता बदल लेता है लेकिन ईपिक को बदलने की कोशिश बहुत कम करते हैं। आधार से जुड़ने के बाद ईपिक में बदलाव भी आसान हो जाएगा। आयोग ने बैठक में लोक प्रतिनिधित्व कानून के अनुच्छेद 326 का भी हवाला दिया और कहा कि इसके तहत वोट देने का अधिकार सिर्फ उसी को मिल सकता है जो देश का नागरिक हो। और यह बात सिर्फ आधार से प्रमाणित हो सकती है। यही वजह है कि इसे आधार जोड़ना जरूरी है।

सभी कानूनी पहलुओं को देखा 
आयोग के मुताबिक इस फैसले से पहले संविधान से जुड़ी धारा 23 (4), (5) और (6) के भी कानूनी पहलुओं को देखा गया है। साथ ही इसे लेकर सुप्रीम कोर्ट के 2023 के फैसले को भी ध्यान में रखा गया है जिसमें आधार को आवश्यक नहीं किया गया था।

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यह होगा फायदा

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  • मतदाता सूची में फर्जी नामों से कोई नहीं जुड़ सकेंगे।
  • मतदाता सूची से जुड़ी गड़बड़ियां खत्म होगी।
  • मतदाताओं की एक प्रमाणित सूची देश के सामने आएगी।
  • राजनीतिक दलों की शिकायतें खत्म हो जाएगी।
  •  मतदाता सूची में अलग-अलग जगहों से कोई जुड़ नहीं सकेगा।

66 करोड़ मतदाताओं के आधार आयोग के पास
चुनाव आयोग के मुताबिक देश में मौजूदा समय में 99 करोड़ से अधिक मतदाता हैं। इनमें से 66 करोड़ से अधिक के आधार आयोग के पास स्वैच्छिक रूप से ही उपलब्ध है। ऐसे में इस प्रक्रिया में आयोग को सिर्फ बाकी के 33 करोड़ मतदाताओं के ही आधार जुटाने की नई चुनौती रहेगी।

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