विलय पत्र पर हस्ताक्षर करते एक महाराजा रोने लगे, दूसरे गश खाकर गिरे, एक ने शर्त रखी- मुझे शेरों के शिकार की आजादी मिले

जानिए भारत के एकीकरण के दिलचस्प किस्से 

विलय पत्र पर हस्ताक्षर करते एक महाराजा रोने लगे, दूसरे गश खाकर गिरे, एक ने शर्त रखी- मुझे शेरों के शिकार की आजादी मिले

देशी रियासतों के राजा-महाराजा विलय पत्र पर हस्ताक्षर करने से टालने की कोशिशें करते रहे, लेकिन सरदार पटेल ने उनकी एक चाल को कामयाब नहीं होने दिया

नई दिल्ली। देशी रियासतों के राजा-महाराजा विलय पत्र पर हस्ताक्षर करने से टालने की कोशिशें करते रहे; लेकिन सरदार पटेल ने उनकी एक चाल को कामयाब नहीं होने दिया, इसके बावजूद राजा-महाराजा तरह-तरह के बहाने बनाते रहे, बांसवाड़ा के राजा ने कहा- मैं अपने डेथ वॉरंट पर साइन कर रहा हूं।

भारत की आजादी के सुनहरे सपने को जमीन पर उतारना आसान नहीं था। देशी रियासतों के 562 राजा-महाराजा आजादी की कोशिशें करते रहे, लेकिन उप प्रधानमंत्री और गृह मंत्री सरदार वल्लभभाई पटेल ने उनकी एक भी चाल को कामयाब नहीं होने दिया। पटेल ने किसी को मनाया तो किसी की कनपटी पर पिस्तौल तानी। कुछ महाराजा तो विलय पत्र पर हस्ताक्षर करते हुए बच्चों की तरह रोने लगे। एक गश खाकर गिर पड़े, एक ने शर्त रखी, मुझे स्वतंत्र भारत में शेरों का शिकार करने की आजादी चाहिए। एक महाराजा यूरोप की सैर को निकल गए तो दूसरे ऐसे जहाज पर चले गए, जिसमें मौज-मजे के सब साधन थे। पटेल को वायसरॉय लॉर्ड माउंटबैटन का बहुत सहयोग मिला। उन्होंने मानो सेबों का टोकरा पटेल की झोली में ही रख दिया।

कुछ इतिहासकारों ने मौके की रिपोर्ट देते हुए लिखा है कि माउंटबैटन के भारत में वायसरॉय बनकर आते ही राजा-महाराजाओं के प्रतिनिधि बनकर 75 महाराजा मिलने आए। वायसरॉय हाउस में 'चेम्बर ऑफ प्रिन्सेज' नाम से एक छोटा सा अत्यन्त भव्य कक्ष था, जहाँ ये सब बैठे थे। महाराजाओं को के ऑफिस में एक ताकतवर अधिकारी सर कॉनरैड कॉरफील्ड का बहुत समर्थन मिलता था। वह देशी राजाओं का घोर हिमायती था। लेकिन माउंटबेटन ने आते ही सबसे पहले उसे ही चलता किया। माउंटबैटन ने ये भी कहा कि 'चेम्बर ऑफ प्रिन्सेज की यह आखिरी बैठक है। उन्होंने दो टूक कहा, आप भारत में शामिल हो जाओ। इसी में भलाई है। इतिहासकार लिखते हैं, बांसवाड़ा के महाराजा तो विलय पत्र पर हस्ताक्षर करते हुए कहने लगे- मैं अपने डेथ वॉरंट पर साइन कर रहा हूं।

और राजाओं-महाराजाओं की ऐसी-ऐसी प्रतिक्रिया 
एक महाराजा बोले, मैंने विलय कर लिया तो क्या मैं शेरों का शिकार कर पाऊंगा? एक महाराजा ने दीवान को भेजा और खुद यूरोप की सैर पर निकल गए। एक महाराजा ने इतनी अहम बैठक में भी आना ठीक नहीं समझा और ऐसे जहाज पर चले गए, जिसमें जुआघर और कैबरे-डान्सों के अड्डे थे। 

बताते हैं, विलय की समस्या जितनी जटिल थी, माउण्टबेटन ने उसे सुलझाया भी उतने ही जादूई अंदाज से। उनके सामने कांच-का एक बड़ा पेपरवेट था। तान्त्रिकों जैसी रहस्य-मुद्रा बनाकर माउण्टबेटन ने कहा, यह मेरी क्रिस्टल बॉल है। इसमें देखकर मैं अभी बता देता हूं कि आपके महाराजा की राय क्या है। भौहें सिकोड़ी, आंखों में विचित्र चमक पैदा की और रहस्य भरी आंखों से 'क्रिस्टल-बाल' में घूरकर एक नाटकीय अंदाज में कहा, महाराजा कह रहे हैं, विलय पत्र पर हस्ताक्षर से बड़ी खुशी कुछ नहीं। किसी ने बाद में माउंटबेटन से पूछा तो वे बोले, आपके महाराजा तान्त्रिक विद्या को बहुत मानते हैं। इसलिए मैंने यही तरीका अपनाया।

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एक महाराजा लड़खड़ाकर गिरे 
मध्य भारत के एक राजा विलयपत्र पर हस्ताक्षर करते समय लड़खड़ा कर गिरे। एक गश खा गए। फ्रीडम एट मिडनाइट में ऐसा ही एक किस्सा लिखा है कि धोलपुर के राणा की आंखों से मोटे-मोटे आंसू भर आए और उन्होंने कहा, आप के महान् सम्राट के पुरखों के साथ मेरे पूज्य पुरखों का जो सम्बन्ध इतनी सदियों से चल रहा था, आज टूट गया।

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शिशु की तरह रो पड़े गायकवाड़ 

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  • बड़ौदा महाराजा गायकवाड़ हस्ताक्षर करते ही वीपी मेनन के गले लग शिशु की तरह रो पड़े। 
    वायसराय से एक छोटे रजवाड़े ने बहुत देर जिद की और कहा, ईश्वर आदेश देगा तो हस्ताक्षर करूंगा।
  • आठ महाराजाओं ने पटियाला में समारोह में विलय किया, लेकिन वहॉं उदासी डरावनी थी।
  • कई राजाओं ने संघ बनाए तो कई ने प्रजा को बलवे, घेराव और जुलूसों में लगाया।
  • त्रावणकोर के प्रधानमंत्री पर तो कांग्रेस के एक प्रदर्शनकारी ने सशस्त्र हमला ही कर दिया था।
  • कश्मीर को तत्काल भारत में शामिल होना था लेकिन महाराजा ने पेट दर्द का बहाना बना लिया।
  • ...और जोधपुर महाराजा हो गए सरदार पटेल के सबसे प्रिय
    विलय पर सहमति के बाद पटेल और महाराजा के रिश्ते अचानक बदल गए। पटेल महाराजा को पुत्रवत मानने लगे। उन्हें उनके आवास पर स्थायी निमंत्रण था।

 

  • दो महाराजाओें की जिन्ना से गुप्त बैठकें और मेनन की कनपटी पर 
    जोधपुर महाराजा की ‘पेन-पिस्टल’
    जोधपुर और जैसलमेर के महाराजाओं ने दिल्ली जा कर जिन्ना से गुप्त वार्ता की थी। जिन्ना ने दोनों के सामने कोरा कागज रख कहा कि जो-जो सुविधाएं चाहिए, लिख दीजिए। मैं दस्तखत किए देता हूं। सुविधाओं की तालिका तैयार करने के लिए दोनों महाराजाओं ने थोड़ा समय मांगा और वे दिल्ली के उस होटल की ओर रुखसत हुए, जहां उनका पड़ाव था।  
    और वीपी मेनन की तेज निगाहें 
    दोनों महाराजा होटल के अपने निजी और गोपनीय कक्ष में प्रविष्ट हुए ही थे कि अवाक् रह गए। मिनिस्ट्री ऑव स्टेट्स के सचिव और पटेल के आंख-नाक-कान बने वीपी मेनन मौजूद थे। मेनन ने दोनों से कहा, वायसराय आप दोनों से तुरन्त मिलना चाहते हैं। दोनों महाराजा हैरान और परेशान थे कि उनकी गतिविधियों को लेकर भारत की नई सरकार कितना सजग और सतर्क है। इससे उन्हें गुस्सा भी आ रहा था और जोधपुर महाराजा का युवा खून तो पहले ही बहुत उबाल खा रहा था। 
    वायसराय ने छीन लिया ‘पेन-पिस्टल’
    वायसराय माउण्टबेटन ने जोधपुर महाराजा को समझाया कि बहुसंख्यक हिन्दू प्रजा को पाकिस्तान में घसीट ले जाना मूर्खता है। यह कहकर वायसराय कक्ष से गायब हो गए। जोधपुर-महाराजा ने हस्ताक्षर करने के इरादे से अपना खास फाउण्टेन-पेन निकाला, लेकिन अचानक उसे उन्होंने मेनन की कनपटी पर लगा दिया। दरअसल, यह पेन नहीं, एक छोटा पिस्तौल था, जो देखने में फाउण्टेन पेन जैसा था। महाराजा गरजे, मेनन! ये सब तुम्हारे कारण हुआ है! समझते क्या हो? अचानक माउण्टबेटन आ पहुंचे और उन्होंने महाराजा से पिस्तौल छीन लिया। 

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