यूएस का अदृश्य विनाशक बी-2 बॉम्बर, इसकी पहली इकाई स्पिरिट ऑफ मिसौरी 1993 में वितरित की गई
40 घंटे की उड़ान के बाद हमला
इजरायल और ईरान जंग के बीच अमेरिका द्वारा ईरान की तीन परमाणु साइट्स पर एयर स्ट्राइक की गई है और इससे तनाव और भी चरम पर पहुंच गया है
नई दिल्ली। इजरायल और ईरान जंग के बीच अमेरिका द्वारा ईरान की तीन परमाणु साइट्स पर एयर स्ट्राइक की गई है और इससे तनाव और भी चरम पर पहुंच गया है। इस बीच अमेरिका का वो हथियार भी खासा चर्चा में है, जिसका नाम बी-2 स्पिरिट स्टील्थ और इसने ईरान में पहाड़ों के नीच गहराई में स्थित फोर्डो परमाणु साइट को भी निशाना बनाया। इंडियन एयरफोर्स के पूर्व अधिकारी अजय अहलावत ने रविवार को एक एक्स पोस्ट के जरिए बताया कि अमेरिका के बी-2 बॉम्बर विमानों ने मिसौरी से कैसे ईरान तक उड़ान भरकर हथियार गिराए और इस बॉम्बर की लागत कितनी है?
40 घंटे की उड़ान के बाद हमला
यूएस बी-2 बॉम्बर विमानों ने अमेरिका के मिसौरी से उड़ान भरी और ईरान की तीन परमाणु साइट्स- फोर्डो, नतांज और इस्फहान-के ऊपर हथियार गिराने के बाद सुरक्षित वापस लौट आए। खास बात ये है कि यह सब तब हुआ, जबकि पूरी दुनिया ने इसकी लाइव रिपोर्टिंग की गई। अहलावत ने अपनी एक्स पोस्ट में यूएस एयर स्ट्राइक का जिक्र करते हुए इस बॉम्बर की खासियत बताई। उन्होंने कहा कि बी-2 स्पिरिट स्टील्थ बॉम्बर एक अदृश्य विनाशक है और अमेरिकी वायुसेना का सबसे उन्नत और महंगा हथियार है।
19 हजार करोड़ रुपए बी-2 बॉम्बर की लागत, खासियत- रडार की पकड़ में नहीं आता
बात करते हैं कि अमेरिका के सबसे महंगे हथियारों में शामिल बी-2 बॉम्बर की लागत आखिरी कितनी है, तो अहलावत ने बताया कि ऐसी क्षमता के लिए बहुत अधिक धन की आवश्यकता होती है, इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि हर बी-2 विमान पर 2.2 अरब डॉलर (करीब 19000 करोड़ रुपए) से अधिक की लागत आई। यही नहीं इसके जरिए 200 फीट गहरे कंक्रीट बंकरों को भेदने की क्षमता रखने वाले 13600 किलो के जो बंकर बस्टर बम जीबीयू-57 गिराए गए, उनमें से प्रति बम की लागत करीब 20 मिलियन डॉलर (करीब 173 करोड़ रुपए) है। रिपोर्ट्स के मुताबिक, फिलहाल अमेरिका के पास सिर्फ 20 बी-2 बॉम्बर हैं। शीत युद्ध के बाद लंबी दूरी के बमवर्षकों की डिमांड कम होने के बाद केवल 21 बी-2 बॉम्बर बनाए गए थे और इसकी पहली इकाई, स्पिरिट ऑफ मिसौरी, 1993 में वितरित की गई थी।

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