देवशयनी एकादशी आज, चार महीने क्षीर सागर में विश्राम करेंगे श्री हरि विष्णु
देवशयनी पूजन के समय दर्शन रहेंगे बंद
आराध्य देव गोविंद देवजी मंदिर में सुबह मंगला झांकी के बाद पंचामृत से ठाकुरजी का अभिषेक कर लाल रंग की नवीन नटवर वेशभूषा धारण कराकर गोचारण लीला के आभूषण पहनाएं गए।
जयपुर। आषाढ़ शुक्ल एकादशी देवशयनी एकादशी के रूप में मनाई जा रही है। भगवान श्रीहरि विष्णु आज से 4 महीने क्षीरसागर में योग निद्रा में रहेंगे और ऐसा माना जाता है कि पृथ्वी की सत्ता भगवान शिव के हाथों में रहेगी। विवाह मुंडन जनेऊ गृह प्रवेश जैसे सभी मांगलिक कार्यों पर अब 4 महीने विराम लगा रहेगा। इसके साथ ही आज से चातुर्मास शुरू हो गए हैं, जिसमें भगवान श्रीहरि विष्णु की विशेष आराधना की जाएगी ।
देवशयनी एकादशी मंदिरों में विशेष आयोजन और उत्सव हुए। जयपुर के आराध्य देव गोविंद देवजी मंदिर में सुबह मंगला झांकी के बाद पंचामृत से ठाकुरजी का अभिषेक कर लाल रंग की नवीन नटवर वेशभूषा धारण कराकर गोचारण लीला के आभूषण पहनाएं गए। ठाकुरजी को 1100 किलो फलों का भोग अर्पित किया गया।
शाम को ग्वाल झांकी के बाद पौने 5 से साढ़े 5 बजे तक देवशयनी पूजन होगा। इस दौरान ठाकुरजी के दर्शन पट बंद रहेंगे। मंदिर के प्रवक्ता मानस गोस्वामी ने बताया कि शालिग्राम भगवान को चांदी के रथ में विराजमान कर दक्षिण-पश्चिम कोने स्थित तुलसा मंच ले जाया जाएगा। यहां मंदिर महंत अंजन कुमार गोस्वामी पंचामृत से शालिग्रामजी का अभिषेक करेंगे। पूजा, भोग, आरती के बाद मंदिर महंत अंजन कुमार गोस्वामी शालिग्रामजी और तुलसी महारानी की चार पक्रिमा करेंगे। इसके बाद शालिग्रामजी भगवान को चांदी के खाट पर शयन कराकर पुन: मंदिर की परिक्रमा कर गर्भगृह में शयन का भाव कराया जाएगा। इसके बाद श्रद्धालुओं को संध्या झांकी के दर्शन होंगे। इसके बाद एकादशी पर ठाकुरजी को बिजौना दाल, पंच मेवा और फलों का भोग अर्पित होगा।

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