गंगानगर को हरा जयपुर बना कॉल्विन शील्ड चैंपियन, मूल शील्ड खेल परिषद के ताले में बन्द, विजेता टीम को दी गई दूसरी ट्रॉफी

सुमित गोदारा रहे सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ी 

गंगानगर को हरा जयपुर बना कॉल्विन शील्ड चैंपियन, मूल शील्ड खेल परिषद के ताले में बन्द, विजेता टीम को दी गई दूसरी ट्रॉफी

मेजबान जयपुर ने गंगानगर को पहली पारी की बढ़त के आधार पर हराकर कॉल्विन शील्ड सीनियर स्टेट चैंपियनशिप का खिताब अपने नाम किया।

जयपुर। मेजबान जयपुर ने गंगानगर को पहली पारी की बढ़त के आधार पर हराकर कॉल्विन शील्ड सीनियर स्टेट चैंपियनशिप का खिताब अपने नाम किया। हालांकि, विजेता टीम को मूल कॉल्विन शील्ड प्रदान नहीं की जा सकी, क्योंकि यह ट्रॉफी पिछले डेढ़ साल से राजस्थान क्रिकेट संघ (आरसीए) के कार्यालय में राजस्थान खेल परिषद के ताले में बंद है। आरसीए एडहॉक कमेटी के सदस्य और जैसलमेर जिला क्रिकेट संघ के सचिव  विमल शर्मा, सिरोही के सचिव राजेश माथुर और राजसमन्द डीसीए के सचिव गिरिराज सनाढ्य ने विजेता जयपुर टीम को प्रतीक स्वरूप नई खरीदी गई ट्रॉफी प्रदान की। ठीक ऐसी ही ट्रॉफी गत वर्ष की विजेता सीकर टीम को भी दी गई थी।

जयपुर ने पहली पारी में 301 रन बनाए थे, जिसके जवाब में गंगानगर की टीम 175 रनों पर सिमट गई। गुरुवार को गंगानगर ने दो विकेट पर 35 रन से अपनी पारी आगे बढ़ाई, लेकिन जयपुर के गेंदबाजों ने उन्हें ज्यादा देर टिकने नहीं दिया। दीपक चौधरी ने शानदार प्रदर्शन करते हुए 28 रन देकर 4 विकेट लिए, जबकि रोहन राजभर ने 20 रन देकर 2, आयुष अमेरिया ने 31 रन देकर 2 विकेट हासिल किए। कप्तान मानेन्द्र सिंह ने भी एक बल्लेबाज को आउट किया। आखिरी दिन जयपुर ने अपनी दूसरी पारी में 1 विकेट पर 28 रन बनाए।

सुमित गोदारा रहे सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ी :

  • गंगानगर के सुमित गोदारा को टूनार्मेंट का सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ी और सर्वश्रेष्ठ बल्लेबाज चुना गया। उन्होंने 6 मैचों में 826 रन बनाए, जिसमें दो दोहरे शतक और दो शतक शामिल थे। उनका सर्वश्रेष्ठ स्कोर 261 रन रहा। उन्होंने कुल 76 चौके और 39 छक्के लगाए।
  • अजमेर के साहिल दीवान को सर्वश्रेष्ठ गेंदबाज चुना गया, जिन्होंने 6 मैचों में 18 विकेट चटकाए।
  • फाइनल मैच के सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ी जयपुर के दीपक चौधरी रहे, जिन्होंने 4 विकेट झटके।
    ऐसी है मूल कॉल्विन शील्ड :

कॉल्विन शील्ड का इतिहास आधिकारिक रूप से राजस्थान क्रिकेट संघ के पास भी नहीं है, लेकिन माना जाता है कि इसकी शुरूआत 1960 के दशक से पहले हुई थी, जब उदयपुर के महाराणा भगवत सिंह आरसीए अध्यक्ष बने थे। उस समय इसे मेवाड़ ट्रॉफी के नाम से जाना जाता था। पूर्व क्रिकेटरों के अनुसार 1982 में इसका नाम बदलकर कॉल्विन शील्ड रखा गया और तब से यह सीनियर स्टेट चैंपियनशिप की विजेता टीम को दी जाती रही है। पिछले वर्ष आरसीए को भंग कर एडहॉक कमेटी का गठन किया गया था। परिषद और आरसीए के बीच एमओयू समाप्त होने के बाद खेल परिषद ने आरसीए कार्यालय को अपने कब्जे में लेकर उस पर ताला लगा दिया। तभी से मूल कॉल्विन शील्ड उसी दफ्तर में बंद पड़ी है।

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