असम में बाल विवाह में 81 प्रतिशत की कमी

असम में बाल विवाह में 81 प्रतिशत की कमी

असम सरकार की सख्त और त्वरित कार्रवाई से राज्य में बाल विवाह में 81 प्रतिशत की कमी दर्ज की गई है।

नई दिल्ली। असम सरकार की सख्त और त्वरित कार्रवाई से राज्य में बाल विवाह में 81 प्रतिशत की कमी दर्ज की गई है। अंतरराष्ट्रीय न्याय दिवस के अवसर पर बुधवार को यहां जारी की गई रिपोर्ट टूवार्ड्स जस्टिस : इंडिंग चाइल्ड मैरेज के अनुसार असम में कानूनी कार्रवाई से बाल विवाह में  81 प्रतिशत की कमी आई है।

राज्य के 30 प्रतिशत गांवों में बाल विवाह के पूरी तरह खत्म हो गए हैं और 40 प्रतिशत गांवों में इसमें उल्लेखनीय कमी आई है। यह रिपोर्ट गैर सरकारी संगठन इंडिया चाइल्ड प्रोटेक्शन के एक अध्ययन दल ने तैयार की है। असम और देश के बाकी हिस्सों से जुटाए गए आंकड़ों के अध्ययन के बाद तैयार की गई इस रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2021-22 से वर्ष 2023-24 के बीच असम में बाल विवाह के मामलों में 81 प्रतिशत की कमी आई है।

यह रिपोर्ट राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (एनसीपीसीआर) के अध्यक्ष प्रियंक कानूनगो और बाल विवाह मुक्त भारत (सीएमएफआई) के संस्थापक और बाल अधिकार कार्यकर्ता भुवन ऋभु ने यहां जारी की।

इस अध्ययन में राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) और असम के 20 जिलों के 1,132 गांवों से आंकड़े जुटाए गए जहां कुल आबादी 21 लाख है जिनमें आठ लाख बच्चे हैं। बाल विवाह के खिलाफ जारी असम सरकार के अभियान के नतीजे में राज्य के 30 प्रतिशत गांवों में बाल विवाह पर पूरी तरह रोक लग चुकी है जबकि 40 प्रतिशत उन गांवों में इसमें उल्लेखनीय कमी देखने को मिली जहां कभी बड़े पैमाने पर बाल विवाह का चलन था। 

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रिपोर्ट यह भी बताती है कि बाल विवाह के मामलों में एफआईआर और गिरफ्तारी जैसी कानूनी कार्रवाइयों से बाल विवाह की कारगर तरीके से रोकथाम की जा सकती है।  

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रिपोर्ट के अनुसार 2022 में देश भर में बाल विवाह के कुल 3,563 मामले दर्ज हुए, जिसमें सिर्फ 181 मामलों का सफलतापूर्वक निपटारा हुआ। यानी लंबित मामलों की दर 92 प्रतिशत है। मौजूदा दर के हिसाब से इन 3,365 मामलों के निपटारे में 19 साल का समय लगेगा।       

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