हसीना विरोधी छात्र नेता का दावा : बांग्लादेश आर्मी चीफ ने मुख्य सलाहकार का किया था विरोध
सेना के अंदर बने हुए हैं गुट
इसके साथ ही बीएनपी ने इन आरोपों को सेना को बदनाम करने का कोशिश कहा है, जिससे सैन्य बलों और जनता के बीच दूरी बढ़े।
ढाका। बांग्लादेश में शेख हसीना को सत्ता से हटाने वाले आंदोलन का नेतृत्व करने वाले छात्र नेताओं और सेना के बीच विवाद खुलकर सामने आ गया है। बांग्लादेश की नई गठित जातीय नागरिक पार्टी के मुख्य आयोजक हसनत अब्दुल्ला ने देश के सेना प्रमुख के बारे में एक बड़ा दावा किया है। एक वीडियो में हसनत ने कहा कि सेना प्रमुख जनरल वकार उज-जमान नोबेल पुरस्कार विजेता मोहम्मद यूनुस को मुख्य सलाहकार नियुक्त करने के इच्छुक नहीं थे। इसके अलावा युवा और खेल सलाहकार आसिम महमूद शाजिब भुइयां का 28 सेकंड का एक वीडियो सामने आया, जिसमें उन्होंने कहा कि सेना प्रमुख ने यूनुस के बारे में अपनी शंका जाहिर की थी। वीडियो के अनुसार, जनरल जमान ने यूनुस की साख पर सवाल उठाया और कहा कि नोबेल पुरस्कार विजेता होने और सुधारवादी साख के बावजूद वह इस भूमिका के लिए सही व्यक्ति नहीं थे। सूत्रों के अनुसार, सेना प्रमुख ने देश को सही हाथों में सौंपने का आग्रह किया था।
सेना के अंदर बने हुए हैं गुट
न्यूज 18 ने अपनी रिपोर्ट में भारतीय खुफिया सूत्रों के हवाले से बताया है कि यूनुस और देश में राजनीतिक गठबंधन के बारे में बांग्लादेश की सेना के अंदर दो गुट बने हुए हैं। इनमें एक गुट जमात-ए-इस्लामी जैसे आईएसआई से जुड़े तत्वों का समर्थन करता है और दूसरा अवामी लीग के साथ जुड़ा हुआ है। इन गुटों के उभार ने सेना के अंदर तनाव को गहरा दिया है।
जमान के खिलाफ हो रही साजिश
बांग्लादेश की सेना के क्वार्टर मास्टर जनरल लेफ्टिनेंट जनरल मोहम्मद फैजुर रहमान और सेना प्रमुख जनरल वकार उज-जमान के बीच मतभेदों ने अस्थिरता को बढ़ा दिया है। रिपोर्ट के अनुसार, हाल ही में फैजुर रहमान के नेतृत्व में जमान के विरोधी जनरलों ने उन्हें हटाने के लिए समर्थन जुटाने का प्रयास किया था, लेकिन असफल रहे। बांग्लादेश की सेना के पेशेवर रैंक जनरल जमान के पीछे मजबूती से खड़े हैं। जनरल जमान को भारत समर्थक रुख वाले एक संतुलित नेतृत्व के रूप में देखा जाता है।
सेना के साथ आई बीएनपी
इस बीच खबर आई थी कि लेफ्टिनेंट जनरल फैजुर रहमान को नजरबंद कर दिया गया है। पाकिस्तान के इंटर-सर्विसेज इंटेलिजेंस प्रमुख के साथ उनकी बातचीत को कथित तौर पर सेना प्रमुख के अधिकार को कमजोर करने के प्रयास के रूप में देखा गया था। पाकिस्तानी आईएसआई चीफ से रहमान की मुलाकात को जमान के प्रति अपमान के रूप में देखा गया। इस बीच बांग्लादेश नेशलिस्ट पार्टी ने सेना प्रमुख के ऊपर लग रहे आरोपों को देश में चुनावों की टालने की साजिश बताया है। इसके साथ ही बीएनपी ने इन आरोपों को सेना को बदनाम करने का कोशिश कहा है, जिससे सैन्य बलों और जनता के बीच दूरी बढ़े।
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