कांग्रेस विधानसभा चुनाव की हार को छोड़ अब करेगी आम चुनाव पर फोकस

चुनावी हार पर हुआ करीब दो घंटे से ज्यादा मंथन

कांग्रेस विधानसभा चुनाव की हार को छोड़ अब करेगी आम चुनाव पर फोकस

बैठक में विधानसभा चुनाव में हुई इस हार पर मंथन के साथ ही लोकसभा चुनाव की रणनीति पर भी चर्चा की गई है। क्योंकि चार माह बाद ही देश में आम चुनाव होने वाले हैं। इस लिहाज से राजस्थान की 25 लोकसभा सीटें काफी महत्वपूर्ण हैं। साल 2014 और 2019 के आम चुनाव में कांग्रेस सभी सीटों

नई दिल्ली। राजस्थान में कांग्रेस अब विधानसभा चुनाव में हुई हार से आगे बढ़ कर अगले साल होने वाले आम चुनाव पर फोकस करेगी। शनिवार को कांग्रेस आलाकमान के साथ प्रदेश के सभी वरिष्ठ नेताओं के साथ हुए दो घंटे से ज्यादा के मंथन से यह संकल्प लिया गया। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे और पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी की मौजूदगी में हुई बैठक में हार की समीक्षा के दौरान इस बात पर संतोष जताया गया कि राजस्थान में पार्टी को मिलने वाले वोट में कमी नहीं आई है। बल्कि इसे लोकसभा चुनाव में और बढ़ाना है। ताकि पार्टी बेहतर प्रदर्शन कर सके। सूत्रों के अनुसार बैठक अच्छे माहौल में हुई और सभी मौजूद नेताओं ने अपनी अपनी बात खुलकर रखी। किसी एक नेता पर हार का ठीकरा नहीं फोड़ा गया। पर हार गई थी। इसीलिए कांग्रेस के सामने आम चुनाव 2024 में बेहतर प्रदर्शन की चुनौती है।

प्रदेश के यह नेता रहे मौजूद 
निवर्तमान मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट, पीसीसी चीफ गोविंद सिंह डोटासरा, प्रभारी महासचिव एसएस रंधावा, पूर्व मंत्री महेंद्रजीत मालवीय, हरीश चौधरी, वरिष्ठ नेता मोहन प्रकाश, तीनों एआईसीसी सचिव एवं सहप्रभारी, स्क्रीनिंग कमिटी के चेयरमैन गौरव गोगोई, इसके दोनों सदस्य आदि मौजूद रहे। 
इसी प्रकार केंद्रीय नेताओं में पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे, पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी, संगठन महामंत्री के सी वेणुगोपाल और पूर्व केंद्रिय मंत्री जितेंद्र सिंह आदि मौजूद रहे।

रंधावा ने दिया संकेत
इस बीच, बैठक के बाद प्रदेश के प्रभारी महासचिव एसएस रंधावा ने संकेत दिया कि उन्हें विधानसभा चुनाव तक ही यह जिम्मेदारी सौंपी गई थी। अब अगले साल आम चुनाव हैं और उन्हें पंजाब में भी काम करना है।

यह कारण गिनवाए गए हार के

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समय पर पार्टी संगठन और सरकार द्वारा सामाजिक कल्याण और जनता के हित में लिए गए निर्णयों और योजनाओं को जमीन पर नहीं पहुंचा पाना। चुनाव भियान कर्नाटक की तर्ज पर चलता तो शायद बेहतर परिणाम आते। 
चुनाव अभियान के दौरान जमीनी कार्यकर्ता से तालमेल का अभाव महसूस किया गया। चुप रहे पायलट ,सूत्रों के अनुसार पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट बैठक के दौरान ज्यादा नहीं बोले बल्कि चुप रहे। हालांकि उन्होंने अपनी बात रखी लेकिन संक्षेप में। 

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