देश में आत्महत्या के 50 फीसदी मामले सिर्फ 5 राज्यों से, जानिए कौनसे राज्य और क्या कारण है इन आत्महत्याओं के

2021 में देश में आत्महत्याएं के मामलों की कुल संख्या 1,64,033 थी

देश में आत्महत्या के 50 फीसदी मामले सिर्फ 5 राज्यों से, जानिए कौनसे राज्य और क्या कारण है इन आत्महत्याओं के

देश में आत्महत्या के 50 प्रतिशत से अधिक मामले पांच प्रमुख राज्यों महाराष्ट्र, तमिलनाडु, मध्य प्रदेश, पश्चिम बंगाल और कर्नाटक में दर्ज किए जाते हैं।

कोलकाता। देश में आत्महत्या के 50 प्रतिशत से अधिक मामले पांच प्रमुख राज्यों महाराष्ट्र, तमिलनाडु, मध्य प्रदेश, पश्चिम बंगाल और कर्नाटक में दर्ज किए जाते हैं।

राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) के अनुसार, 2021 में देश में आत्महत्याएं के मामलों की कुल संख्या 1,64,033 थी। एनसीआरबी रिपोर्ट ने अगस्त 2022 में इस चौंकाने वाले डेटा का खुलासा किया। सोलास नामक एक गैर-लाभकारी गैर सरकारी संगठन (एनजीओ) ने यहां एक मीडिया सम्मेलन के दौरान भारत सरकार के आंकड़ों का हवाला देते हुए बताया कि आंकड़े चिंताजनक हैं, 2021 में देश में दर्ज की गई आत्महत्याओं में 7.2 प्रतिशत की चिंताजनक वृद्धि हुई है और कुल संख्या 1,64,033 मामलों तक पहुंच गई है।

इन दुखद घटनाओं का महत्वपूर्ण हिस्सा मुख्य रूप से पांच राज्यों, महाराष्ट्र, तमिलनाडु, मध्य प्रदेश, पश्चिम बंगाल और कर्नाटक में दर्ज किया गया था। रिपोर्ट में कहा गया है, कुल मिलाकर, सभी आत्महत्याओं के 50.4 प्रतिशत मामले देश के इन पांच राज्यों में दर्ज किए गए। 

नई दिल्ली स्थित एनसीआरबी के आंकड़ों के अनुसार, आत्महत्या कई कारकों से हो सकती है, जैसे किसी के पेशे या करियर से संबंधित मुद्दे, अलगाव की भावना, दुव्र्यवहार, हिंसा, पारिवारिक संघर्ष, मानसिक स्वास्थ्य विकार, शराब की लत, वित्तीय असफलताएं, क्रोनिक दर्द, और भी बहुत कुछ।

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सोलास संकटग्रस्त लोगों को परामर्श देकर आत्महत्या से निपटने का प्रयास कर रहा है। इसने कहा कि एनसीआरबी केवल पुलिस को रिपोर्ट किए गए मामलों से आत्महत्याओं के बारे में जानकारी इकट्ठा करता है। आत्महत्या के मामलों से निपटने के लिए काम कर रहे गैर सरकारी संगठनों और विशेषज्ञों का मानना है कि आत्महत्या के विचार वाले व्यक्ति अपने जीवन को समाप्त करने की इच्छा के बजाय अपने दर्द से राहत चाहते हैं।

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प्रसिद्ध मनोचिकित्सक जय रंजन राम ने विश्व आत्महत्या रोकथाम दिवस के वार्षिक समारोह को चिह्नित करने के लिए लाइफलाइन फाउंडेशन के सोलास का अनावरण किया, जो आत्महत्या से बचे लोगों और उनके परिवारों के लिए एक नई सहायता समूह पहल है।

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यहां प्रेस क्लब, कोलकाता में अनावरण कार्यक्रम में एक पैनल चर्चा भी हुई, जिसमें किसी प्रियजन की आत्महत्या के परिणामस्वरूप हुए आघात से निपटने में लोगों की मदद करने में सहायता समूहों की भूमिका पर ध्यान केंद्रित किया गया।

लाइफलाइन फाउंडेशन की ओर से संस्थापक और निदेशक सुक्षम ङ्क्षसह ने कहा कि आत्महत्या की प्रवृत्ति से जूझ रहे व्यक्ति संगठन के अनुभवी स्वयंसेवकों के साथ अपनी भावनाओं को खुलकर साझा कर सकते हैं।

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