सुप्रीम कोर्ट ने नागम जनार्दन रेड्डी की याचिका खारिज की : पलमूरु-रंगारेड्डी परियोजना में सीबीआई जांच से इनकार
सरकारी कार्रवाई की निगरानी कोर्ट द्वारा नहीं की जा सकती
न्यायमूर्ति नागरत्ना ने पूछा कि दरों में संशोधन को धोखाधड़ी घोषित करने की प्रार्थना कैसे की जा सकती है, जो राज्य सरकार का वाणिज्यिक निर्णय हो सकता है।
नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने पूर्व मंत्री डॉ. नागम जनार्दन रेड्डी द्वारा दायर विशेष अनुमति याचिका को खारिज कर दिया। याचिका में पलमूरु-रंगारेड्डी लिफ्ट सिंचाई योजना में वित्तीय अनियमितताओं का आरोप लगाया गया था। न्यायमूर्ति बी.वी. नागरत्ना और न्यायमूर्ति सतीश चंद्र शर्मा की पीठ ने स्पष्ट किया कि तेलंगाना हाईकोर्ट ने पहले ही तीन दिसंबर 2018 को इस मामले में जनहित याचिका को खारिज कर दिया था और उसमें हस्तक्षेप करने का कोई आधार नहीं है। कोर्ट ने यह भी उल्लेख किया कि डॉ. नागम द्वारा इसी परियोजना पर दायर चार अन्य मामले भी पहले ही खारिज या निपटाए जा चुके हैं, जिनमें अब कोई अपील लंबित नहीं है। सुप्रीम कोर्ट ने यह भी दर्ज किया कि केंद्रीय सतर्कता आयोग ने भी डॉ. नागम की शिकायतों की जांच के बाद आरोपों को निराधार बताया था। न्यायमूर्ति नागरत्ना ने पूछा कि दरों में संशोधन को धोखाधड़ी घोषित करने की प्रार्थना कैसे की जा सकती है, जो राज्य सरकार का वाणिज्यिक निर्णय हो सकता है।
उन्होंने कहा कि हर सरकारी कार्रवाई की निगरानी कोर्ट द्वारा नहीं की जा सकती। मेघा इंजीनियरिंग एंड इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता और पूर्व अटॉर्नी जनरल मुकुल रोहतगी ने याचिका की वैधता पर सवाल उठाए और कहा कि डॉ. नागम पिछले 10 वर्षों से हाईकोर्ट, सीवीसी आदि के समक्ष लगातार मामले दर्ज करवा रहे हैं जिससे यह प्रताड़ना का मामला बन गया है। दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हाईकोर्ट द्वारा मामले को सीबीआई को सौंपने से इनकार करना उचित था और याचिका को निराधार मानते हुए खारिज कर दिया।

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