कनाडा आने से भारतीयों को रोकने के कई उपाय कर रही वहां की सरकार : वीजा आवेदन तेजी से किए जा रहे खारिज, पति या पत्नी को नहीं आने देने के भी प्रबंध
दबावों के कारण अधिकारी जल्दबाजी में निर्णय लेने को मजबूर हो सकते हैं
कनाडा में पिछले दो वर्षों से स्थायी और अस्थायी निवासी कैटेगरी के आवेदनों को रिजेक्ट किए जाने में काफी तेजी देखी गई है
ओटावा। कनाडा में पिछले दो वर्षों से स्थायी और अस्थायी निवासी कैटेगरी के आवेदनों को रिजेक्ट किए जाने में काफी तेजी देखी गई है। विशेष रूप से भारतीयों के कनाडा आने पर कड़े प्रतिबंध लगाए जा रहे हैं। वीजा के लिए उनके आवेदन तेजी से खारिज किए जा रहे हैं। कनाडाई मीडिया और कई पश्चिमी देशों के न्यूज चैनलों की रिपोर्ट में शनिवार को संघीय आंकड़ों के हवाले से बताया गया है कि यह वृद्धि अस्थायी निवासी कार्यक्रमों में सबसे अधिक दिखाई दे रही है। विशेष तौर पर भारतीयों को कनाडा आने से रोकने के कई उपाय किए जा रहे हैं। इसके पीछे पात्रता नियमों में बदलाव, सख्त नीतिगत उपाय और अधिकारियों पर मामलों को जल्दी निपटाने का दबाव प्रमुख वजह है। आलोचकों का कहना है कि इन दबावों के कारण अधिकारी जल्दबाजी में निर्णय लेने को मजबूर हो सकते हैं। समझा जाता है कि कनाडा में रहने वाले खालिस्तान समर्थक नहीं चाहते कि वहां हिन्दुओं की संख्या बढ़े। इसलिए वे कनाडा सरकार पर हर वह उपाय करने का दबाव बढ़ रहे हैं, जिससे कनाडा में हिन्दुओं की संख्या कम की जा सके।
हाल के वर्षों में कनाडा इमिग्रेशन विभाग ने लंबित मामलों को कम करने का प्रयास किया है। संघीय सरकार ने देश में अस्थायी निवासियों की संख्या को कम करते हुए आव्रजन को आर्थिक प्राथमिकताओं के साथ जोड़ने के उद्येश्य से उपाय शुरू किए हैं। सितम्बर 2024 में 2025 के स्टडी परमिट की मंजूरी में 10 प्रतिशत की कटौती की गई, जो 485000 से घटकर 437000 हो गया। इसी तरह कनाडा जाना चाहने वाले भारतीयों के आवेदन तेजी से खारिज किए जा रहे हैं।
इसके अलावा 1 नवम्बर 2024 से पोस्ट-ग्रेजुएशन वर्क परमिट आवेदकों के लिए नई भाषा आवश्यकता लागू हो गईं। इसके तहत विश्वविद्यालय के स्नातकों के लिए कनाडाई भाषा बेंचमार्क स्तर 7 और कॉलेज के स्नातकों के लिए उछइ स्तर 5 अनिवार्य कर दिया गया।
इसी साल 21 जनवरी को पारिवारिक ओपन वर्क परमिट में बदलाव किए गए, जिसने विदेशी कर्मचारियों और अंतरराष्ट्रीय छात्रों के जीवनसाथी और बच्चों के लिए पात्रता को कड़ा कर दिया गया। छात्रों के जीवनसाथी अब केवल तभी पात्र होंगे, जब मुख्य आवेदक कम से कम 16 महीने के मास्टर प्रोग्राम, डॉक्टरेट प्रोग्राम या विशिष्य व्यावसायिक प्रोग्राम में हो। इस तरह कनाडा में अस्थायी वीजा पर पहुंचने वाले भारतीयों को अपने पति या पत्नी के बिना ही वहां रहना होगा। एक न्यूज चैनल ने बताया कि इससे वहां जाने की इच्छा वाले भारतीयों में गहरी निराशा है।

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