उत्तराखंड में पंचायत चुनाव पर रोक : हाईकोर्ट ने आरक्षण में गड़बड़ी बताई, सरकार से जवाब तलब; जानें वजह
उच्चतम न्यायालय के आदेश के अनुसार इसमें अदालत हस्तक्षेप नहीं कर सकती
उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने सोमवार को अपने महत्वपूर्ण निर्णय में प्रदेश में चल रहे त्रिस्तरीय पंचायत चुनावों की पूरी प्रक्रिया पर रोक लगा दी
नैनीताल। उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने सोमवार को अपने महत्वपूर्ण निर्णय में प्रदेश में चल रहे त्रिस्तरीय पंचायत चुनावों की पूरी प्रक्रिया पर रोक लगा दी। साथ ही सरकार से जल्द से जल्द जवाब देने को कहा है। मुख्य न्यायाधीश जी. नरेन्दर और न्यायमूर्ति आलोक महरा की खंडपीठ ने वीरेन्द्र सिंह बुटोला और गणेश दत्त कांडपाल की ओर से दायर याचिकाओं पर सुनवाई के बाद आज यह आदेश जारी किए।
याचिकाकर्ताओं की ओर से पृथक पृथक रूप से दायर याचिकाओं में कहा गया कि सरकार ने प्रदेश में चल रहे त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव के लिए जो आरक्षण तय किया है वह गलत है। सरकार की ओर से जो आरक्षण नियमावली बनाई गई है, उसे गजट नोटिफिकेशन नहीं किया गया है। इसलिए आरक्षण की प्रक्रिया गलत है। इस बिन्दु पर खंडपीठ ने विगत 20 जून को सुनवाई करते हुए सरकार से स्थिति स्पष्ट करने को कहा था।
आज सरकार इस मामले में कोई संतोषजनक जवाब नहीं दे पाई। दूसरी ओर सरकार की तरफ से कहा गया कि त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव घोषित हो गए हैं। उच्चतम न्यायालय के आदेश के अनुसार इसमें अदालत हस्तक्षेप नहीं कर सकती है। महाधिवक्ता एसएन बाबुलकर की ओर से कहा गया कि पूरी मशीनरी चुनावी प्रक्रिया में व्यस्त है। ऐसे में रोक लगाना गलत है। अधिवक्ता अनिल जोशी ने बताया कि अदालत ने अंत में पूरी चुनावी प्रक्रिया पर रोक लगा दी है। साथ ही सरकार से कहा है कि वह जल्द से जल्द जवाब पेश करे। उल्लेखनीय है कि प्रदेश में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव चल रहे हैं। सरकार ने दो दिन पूर्व चुनाव को लेकर अधिसूचना जारी कर दी है।
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