फूड डिलीवरी में अतिरिक्त सावधानी जरूरी
अपने ग्राहकों की भावनाओं का आदर करते हुए अतिरिक्त सावधानी बरतने की आवश्यकता
पिछले दिनों ग्रेटर नोएडा की एक शुद्ध शाकाहारी युवती का वीडियो सोशल मीडिया खूब वायरल हो रहा था।
पिछले दिनों ग्रेटर नोएडा की एक शुद्ध शाकाहारी युवती का वीडियो सोशल मीडिया खूब वायरल हो रहा था, जिसके द्वारा उसने अपने साथ घटित हुई एक गंभीर घटना का वर्णन करते हुए बताया कि नवरात्रों के दौरान एक रेस्टोरेंट से ऐप के माध्यम से वेज बिरयानी ऑर्डर किया था, लेकिन डिलीवरी के बाद उसे यह जानकर गहरा आघात लगा कि उसके पास जो बिरयानी पहुंची है, वह वेज नहीं बल्कि नॉनवेज थी। युवती ने रोते हुए सोशल मीडिया पर एक वीडियो पोस्ट किया जो उसकी आस्था और भावनाओं पर हुए आघात को दर्शाता है। यद्यपि युवती की शिकायत पर पुलिस कार्यवाही कर रही है। प्रशासन की ओर से रेस्टोरेंट व फूड डिलीवरी प्लेटफॉर्म के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जा सकती है। कोविड महामारी के बाद से जो जिंदगी एक बार ऑनलाइन हुई वो आज हमारी दिनचर्या का अभिन्न अंग बन गई है। सुई से लेकर हवाई जहाज,ज्योतिष से लेकर डॉक्टर सलाह तक, ट्यूशन से लेकर स्कूल की कक्षाएं सब कुछ ऑनलाइन उपलब्ध है।
इस डिजिटल और ऑनलाइन दिनचर्या ने जहां एक और जिंदगी की सुविधाओं से भर दिया है, वहीं दूसरी ओर आदमी की आदमी पर निर्भरता को लगभग खत्म सा कर दिया है। जहां पहले एकाकी जीवन एक बड़ी चुनौती से कम नहीं था, आज ऑनलाइन उपलब्ध सुविधाओं के चलते वही संभव होने लगा है। इतना सब होने पर डिजिटल और ऑनलाइन होती जिंदगी में जोखिम भी उतने ही बढ़ गए हैं जैसा कि ऊपर की घटना में हुआ। एक ऑनलाइन फूड डिलीवरी प्लेटफॉर्म ने किस तरह से अपनी एक उपभोक्ता की आस्था और भावनाओं को मानसिक आघात पहुंचाया। इससे पता चलता है ऑनलाइन डिलीवरी प्लेटफॉर्म कितने सुरक्षित और अपने उपभोक्ताओं के हितों का ध्यान रखते हैं।
एक रिपोर्ट के अनुसार 2024 में, चीन दुनिया भर में ऑनलाइन खाद्य वितरण के लिए सबसे बड़ा बाजार बन कर सामने आया, जिसने लगभग 450 बिलियन अमेरिकी डॉलर का राजस्व उत्पन्न किया। अमेरिका दूसरे स्थान पर था, जहां उस वर्ष ऑनलाइन खाद्य वितरण राजस्व लगभग 353 बिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुंच गया था। 2023 में भारतीय ऑनलाइन फूड डिलीवरी बाजार का मूल्य 7.4 बिलियन अमेरिकी डॉलर था। डिलीवरी बाजार के 2026 तक बढ़कर 24 बिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुंचने की उम्मीद है। हमारे देश में ऑनलाइन फूड डिलीवरी प्लेटफॉर्म्स की बाढ़ से आ गई है कुछ बहुराष्ट्रीय कंपनियों की तर्ज पर काम कर रहे है तो कुछ ने छोटे स्वदेशी उद्योग के रूप में इसे अपना रखा है। अब तो कुछ बड़े होटल और ब्रांडेड रेस्तरां भी ऑनलाइन फूड डिलीवरी के क्षेत्र में उतर आए हैं।
ये ऑनलाइन फूड डिलीवरी प्लेटफॉर्म्स भले ही उपभोक्ताओं को उनके पसंद के भोजन के विकल्प देते हैं जैसे शुद्ध वेज या फिर नॉन वेज। ये वेज और नॉन वेज होटलों का विकल्प भी उपलब्ध करवाते हैं। परंतु हमारे देश में ऐसे होटलों की कमी नहीं है, जो वेज और नॉन वेज दोनों तरह के भोजन एक ही किचेन में तैयार करते हैं। इस बात की क्या गारंटी ही कि रसोइ, की जो कड़छी मटन बनाने में चल रही है वो मटर पनीर पकाने में नहीं चलेगी, ऐसे कितने होटल होगे जिनमें वेज और नॉन वेज के किचेन, उनके बर्तन और रसोइ, अलग अलग होंगे शायद आर्थिक रूप से यह होटल मालिकों को नुकसानदायक लगेगा इसी लिए ऐसी गलतियां होती हैं। परंतु ऑनलाइन फूड डिलीवरी प्लेटफॉर्म्स को अगर अपने शुद्ध वेज और नॉन वेज ग्राहकों का विश्वास अर्जित करना है, तो उन्हें अपनी सेवाओं में सुधार करना होगा। अपने ऑनलाइन प्लेटफॉर्म्स पर सिर्फ शुद्ध वेज वाले होटल की लिस्ट में उन्हीं होटलों को रखना चाहिए, जो सिर्फ वेज भोजन ही परोसते हैं।
लोगों का विश्वास हासिल करने के लिए, अपने डिलीवरी पर्सन भी वेज और नॉन वेज फूड की डिलीवरी के अलग अलग ही नियुक्त करने चाहिए। अन्यथा भविष्य में एक बड़ा उपभोक्ता वर्ग ऑनलाइन फूड डिलीवरी प्लेटफॉर्म्स से नाता तोड़ सकता है तथा अन्यों को भी ऐसा करने के लिए समझा सकता है। ट्रेनों में भी शुद्ध वेज यात्रियों को इसी तरह की असुविधा का सामना करना पड़ता है, क्योंकि ट्रेन में लगी एक ही पेंट्री से वेज और नॉन वेज फूड का वितरण किया जाता है। उसी पेंट्री में वेज बिरयानी बनती है और उसी में अंडा बिरयानी, ऐसे में शुद्ध शाकाहारी यात्री की अंतरात्मा उसे ऐसा भोजन करने के लिए कैसे अनुमति दे सकती है। आज जब शाकाहार के प्रति लोगों का रुझान बढ़ रहा है, तो ऐसे में ऑनलाइन फूड डिलीवरी सेवा प्रदाताओं और रेलवे को अपनी सेवाओं में बदलाव लाने के साथ ही अपनी सोच में भी बदलाव लाना होगा। शुद्ध वेज भोजन पसंद करने वाले अपने ग्राहकों की भावनाओं को आदर करते हुए अतिरिक्त सावधानी बरतने की आवश्यकता है।
-राजेंद्र कुमार शर्मा
यह लेखक के अपने विचार हैं।
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