जानें राज काज में क्या है खास
माला पहनने की होड़
सचिवालय के गलियारों में इन दिनों अर्जी के साथ लड्डुओं की टोकरी बड़ी चर्चा में है।
अर्जी के साथ लड्डू :
सचिवालय के गलियारों में इन दिनों अर्जी के साथ लड्डुओं की टोकरी बड़ी चर्चा में है। कोई भी इसकी चर्चा किए बिना नहीं रहता। तीनों मंजिलों में अर्जी के साथ लड्डुओं की टोकरी का बेसब्री से इंतजार रहता है। राज का काज करने वालों में चर्चा है कि सूबे की सबसे बड़ी पंचायत के पंच हवामहल वाले भाई साहब जब भी कोई अर्जी लेकर आते हैं, तो लड्डुओं की टोकरी लाए बिना नहीं रहते। बेचारे कई बार तो अर्जी के साथ लड्डुओं की टोकरी को ऐसे हाथों में सौंप देते हैं, जिनका उनके काम से दूर-दूर तक कोई वास्ता नहीं होता। भगवाधारी भाई साहब को भी बड़ी उम्मीद रहती है कि लड्डुओं की टोकरी की करामात से ही उनकी फाइल की स्पीड चार गुणा हुए बिना नहीं रहेगी। अब भोले-भाले संजय जी भाई साहब को कौन समझाए कि लड्डुओं की टोकरी से ही काम होते तो, अब तक अर्जी लेकर घूमने की कतई जरूरत नहीं पड़ती।
...और मुन्नी बदनाम हो गई :
बेचारी मुन्नी 15 सालों से बदनाम हो रही है। सलमान खान की दबंग फिल्म में मलाइका अरोड़ा पर फिल्माया गया यह गाना सबसे हिट गानों में से एक है। फिल्म में मुन्नी सिर्फ एक बार बदनाम हुई थी, लेकिन अब तो कई बार हो रही है। अब देखो न पिंकसिटी में दशहरे के दिन भगवा वाले भाई लोगों ने रावण दहन के बाद मुन्नी को बदनाम कराया, तो बवेला मच गया। बवेला मचाने वाले और कोई नहीं, बल्कि भगवा वाले भाई लोग ही थे। वो तो भला हो कि ठुमका लगाने में माहिर राज के एक रत्न कुछ देर पहले ही निकल लिए, वरना उनको भी भगवा वाले भाई लोग मुन्नी की बदनामी से जोड़े बिना रहते। सीधे-सादे आमेर वाले भाई साहब के साथ दिल्ली दरबार में पिंकसिटी की नुमाइंदगी कर चुके तुला राशि वाले राम के चरण भी लपेटे में आए बिना नहीं रहते।
माला पहनने की होड़ :
सूबे में इन दिनों माला पहनने की होड़ मची हुई है। माला पहनने के लिए कइयों को पापड़ तक बेलने पड़ रहे हैं। सरदार पटेल मार्ग स्थित बंगला नंबर 51 में बने भगवा वाले ठिकाने पर इसकी चर्चा हुए बिना नहीं रहती। चर्चा होनी भी लाजिमी है, चूंकि इन दिनों जमीन से जुड़े भगवा वाले भाई लोगों में ही माला पहनने की होड़ कुछ ज्यादा ही मची हुई है। वे एक दूसरे को नीचा दिखाने में भी कोई कसर नहीं छोड़ रहे। और तो और बेचारे माला के साथ उनको पहनाने वालों का इंतजाम भी खुद ही करते हैं। चाल-ढाल और हाव-भाव बदलने की ट्रेनिंग के लिए ट्रेनर तक का जुगाड़ कर रहे हैं। माला पहनने में कई बार तो उनके आगे मुखिया जी भी पीछे रह जाते हैं। अब उनकी मालाओं से लदे होने की मंशा को समझने वाले समझ गए, ना समझे वो अनाड़ी है।
एक जुमला यह भी :
सूबे में इन दिनों एक जुमला जोरों पर है। जुमला भी छोटा-मोटा नहीं बल्कि फाइलों की स्पीड को लेकर है। इंदिरा गांधी भवन में बने हाथ वालों के ठिकाने पर जुमले की चर्चा कुछ ज्यादा ही है। ठिकाने पर सालों आने वाले बुजुर्गवार ने जुमले के बारे में हमें भी बताया, हम आपको बताय देते हैं। जुमला है कि सचिवालय में आज फिर फाइलों ने अपनी रोज की यात्रा पूरी की। सुबह दफ्तर पहुंची, दोपहर तक तीन टेबिलों पर घूमी और शाम होते-होते वापस वहीं लौट आई। राज का काज करने वालों ने भी संतोष जताया कि प्रगति हो रही है, कम से कम फाइलें तो घूम रही हैं। राजकाज अब योजनाओं से नहीं, घोषणाओं की गति से मापा जा रहा है।
-एल.एल. शर्मा
(यह लेखक के अपने विचार हैं)

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