जानें राज काज में क्या है खास 

गले नहीं उतर रही बात 

जानें राज काज में क्या है खास 

सूबे में होने जा रहे उप चुनाव के बीच थ्री पॉवर सेंटर की भी चर्चा जोरों पर है।

चर्चा में थ्री पॉवर सेंटर :

सूबे में होने जा रहे उप चुनाव के बीच थ्री पॉवर सेंटर की भी चर्चा जोरों पर है। हो भी क्यों न, मामला जीत-हार और मूंछ के सवाल से जुड़ा हुआ है। दोनों दलों के ठिकानों पर वर्कर्स में खुसरफुसर है कि जिस सेंटर का कैंडीडेट जीत का सेहरा पहनेगा, वह सबसे बड़ा पॉवर सेंटर बनेगा। राज का काज करने वालों में चर्चा है कि हाथ वाले दल के तीनों पॉवर सेंटरों पर लोग दिन-रात जोड़-बाकी और गुणा-भाग करने में पसीने बहा रहे हैं। वर्कर्स की मानें तो जोधपुर, लक्ष्मणगढ़ और टोंक वाले भाई साहबों के सेंटरों पर आने वाली भीड़ से भी मायने निकालने वाले अपनी गणित को अपने हिसाब से समझा रहे हैं, लेकिन जीत का दावा करने से पहले अगल-बगल में देखे बिना नहीं रहते।

गले नहीं उतर रही बात :

कोई बात किसी के गले उतरे या नहीं उतरे, यह सब सामने वाले पर निर्भर करता है, कि उसका गला कितना चौड़ा है, जिससे बातें आसानी से उतर सके। लेकिन हमारे सूबे में भगवा वाले कई नेताओं का गला इतना संकड़ा है कि कोई भी बात उनके गले ही नहीं उतरती, चाहे वह सौ टका सही हो। अब देखो न, बुध को एक वर्कर ने संगठन वाले भाई साहब को एक बात बताई, तो उनके गले नहीं उतरी। पार्टी के लिए सालों से पसीना बहा रहे वर्कर की जुबान से निकला कि 16 महीने पहले तक सबकुछ हमारे पक्ष में था, लेकिन आज की महंगाई, राहत कैम्पों ने अपनी गणित बिगाड़ दी। अब वर्कर की बात हवा में उड़ाने वाले भाई साहब के गले नहीं उतर रही।

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तीतर और बटेर :

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सूबे में इन दिनों हाथ वालों में गोविन्दजी की नई टीम को लेकर चिंतन-मंथन करने वालों का दिन का चैन और रातों की नींद गायब है। गोलियां और स्कॉच भी उन पर असर नहीं कर रहीं। डॉक्टरों ने कई तरह की जांचें भी की, मगर पार नहीं पड़ी। भाई साहब की टीम को लेकर दो तरह की बातें बाजार में हैं, लेकिन नींद उड़ाने के लिए सिर्फ एक ही कारण काफी है। टीम में आगामी चुनाव लड़ने की कतार में लगे नेताओं को शामिल करे, तो चुनावों के बीच संगठन की जिम्मेदारी किसके कंधों पर होगी। इंदिरा गांधी भवन में बने हाथ वालों के ठिकाने पर चर्चा है कि इस ऊहापोह में किसी के हाथ तीतर तो किसी के हाथ बटेर लगेगा।

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तरीका-ए-मैसेज :

इन दिनों राज के एक रत्न का बात करने का तरीका काफी फेमस हो रहा है। राज का काज करने वालों के साथ पार्टी के वर्कर भी उन्हें मैसेज वाले मं़त्री के नाम से जानते हैं। शेखावाटी की माटी में जन्मे राज के यह रत्न खो-खो के बडे शौकीन हैं और मालधड़ी से मारने में माहिर। चर्चा है कि वे मोबाइल पर बात करने के बजाय सिर्फ टेक्स्ट मैसेज को ही तवज्जो देते हैं। अब बेचारे वे भी क्या करें, उनके पास कोई चारा भी तो नहीं है। एक बार मोबाइल टेप के फेर में आकर बिना मतलब पसीने बहा चुके हैं, सो दूध का जला, छाछ भी फूंक-फूंक कर पीता है।

एक जुमला यह भी :

सरदार पटेल मार्ग स्थित बंगला नंबर 51 में बने भगवा वालों के ठिकाने पर इन दिनों एक जुमला जोरों पर है। जुमला भी छोटा-मोटा नहीं बल्कि मान-सम्मान से ताल्लुक रखता है। कई सालों से रोजाना ठिकाने की चौखट पर आने वाले एक बुजुर्गवार अचानक गायब हो गए, चूंकि बुजुर्गवार भी ठिकाने के चीफ रहे भाई साहब के इलाके से जुड़े हुए हैं, तो मामला और भी गंभीर हो गया। जांच पड़ताल में सच्चाई से पर्दा उठा कि बुजुर्गवार भाई साहब ने तवज्जो नहीं मिलने से आहत होकर खुद ही कदम थाम लिए। ऐसे लोगों की संख्या भी कम नहीं है।

-एल. एल. शर्मा
(यह लेखक के अपने विचार हैं)

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