हर बूंद में जीवन, हर जन में भागीदारी

जन जल अभियान, एक महत्वपूर्ण अभियान 

हर बूंद में जीवन, हर जन में भागीदारी

क्षेत्रफल के हिसाब से भारत का सबसे बड़ा राज्य राजस्थान अपनी शुष्क जलवायु, अनियमित वर्षा और घटते भूजल के कारण गंभीर जल संकट का सामना कर रहा है।

क्षेत्रफल के हिसाब से भारत का सबसे बड़ा राज्य राजस्थान अपनी शुष्क जलवायु, अनियमित वर्षा और घटते भूजल के कारण गंभीर जल संकट का सामना कर रहा है। जन जल अभियान, एक महत्वपूर्ण अभियान है, जिसका उद्देश्य सामुदायिक भागीदारी, वैज्ञानिक नियोजन और विकेंद्रीकृत शासन के माध्यम से राज्य में जल प्रबंधन को बदलना है, जिसे राजस्थान सरकार ने सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरनमेंट और पीपुल्स ऑर्गनाइजेशन के साथ साझेदारी में शुरू किया था। राजस्थान ऐतिहासिक रूप से जल-संकटग्रस्त राज्य रहा है, जहां कई जिलों को भूजल के अत्यधिक दोहन की श्रेणी में चिह्नित किया गया है। वर्षा न केवल कम होती है, बल्कि असमान रूप से वितरित होती है, जिससे सतही जल की उपलब्धता भी बेहद कम हो जाती है। राजस्थान में बावड़ी, कुंड, जोहड़ और टांका जैसे पारंपरिक जल-संग्रहण प्रणालियों की समृद्ध विरासत रही है, किंतु इनका अधिकांश हिस्सा अब जर्जर अवस्था में है या उपयोग से बाहर हो चुका है। इसके अतिरिक्त, अतिक्रमण, उपेक्षा और सामुदायिक उत्तरदायित्व की कमी ने इन संरचनाओं की प्रभावशीलता को घटा दिया है। 

यह अभियान जनसहभागिता के माध्यम से इन प्राचीन जल-संरचनाओं का पुनरुद्धार और पुनरजीवन करने का प्रयास है। यह अभियान मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा द्वारा 5 जून 2025 को औपचारिक रूप से प्रारंभ किया गया था। यह अभियान आधिकारिक रूप से 5 जून से 20 जून 2025 तक चलेगा, जो 15 दिनों तक जनभागीदारी की सघन गतिविधियों से भरपूर होगा। जल जन अभियान का मूल उद्देश्य सामुदायिक स्वामित्व, वैज्ञानिक जल बजट निर्धारण और पारंपरिक जल के पुनरुद्धार जैसे सिद्धांतों में निहित है। यह अभियान कई महत्वपूर्ण लक्ष्यों की रूपरेखा प्रस्तुत करता है। बावड़ियों, कुंडों, जलाशयों, जोहड़ों और बांधों जैसे पारंपरिक जल स्रोतों का संरक्षण और पुनर्जीवन किया जाएगा। इसमें रामगढ़ बांध जैसे ऐतिहासिक स्थलों को भी शामिल किया गया है। इसका उद्देश्य राज्य में जल धारण क्षमता और भूजल स्तर में वृद्धि सुनिश्चित करना है। अगले चार वर्षों में 45,000 से अधिक संरचनाएं मरम्मत की जाएंगी, जिसमें पहले वर्ष में 5,000 निर्माण का लक्ष्य है। शुष्क और अति-शोषित क्षेत्रों में भूजल स्तर को स्थिर और मजबूत करने के लिए सतही जल का बहाव रोकना, जलाशयों की गाद हटाना, और बोरवेल पुनर्भरण को प्रोत्साहित किया जाएगा। 

जल स्रोतों की सफाई और संरक्षण नदियों, झीलों, कुओं और बावड़ियों की सफाई के लिए राज्यव्यापी अभियान में बड़े संस्थानों और नगरों में अपशिष्ट जल उपचार परियोजनाएं शामिल हैं। जन सहभागिता के लिए श्रमदान, नुक्कड़ नाटक, गीत, फिल्में, वृक्षारोपण, कलश यात्राएं और सामुदायिक संकल्प कार्यक्रम के अलावा नागरिकों को अभियान से जोड़ा जा रहा है। पंचायतों, स्कूलों, महिला समूहों और दानदाताओं की भागीदारी सुनिश्चित की जा रही है। प्रत्येक ग्राम पंचायत को पानी योजना तैयार करने का दायित्व दिया गया है, जो स्थानीय जल विज्ञान और मांग के अनुसार आधारित होगी। ग्रामीणों को जल लेखा, जल संतुलन और जलवायु-प्रतिकारक योजना में प्रशिक्षित किया जा रहा है। अभियान की पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए प्रतिदिन प्रगति का मूल्यांकन, विभागीय समन्वय और सोशल मीडिया पर प्रचार किया जा रहा है।

जल संकटग्रस्त क्षेत्रों और पुनर्भरण स्थलों की पहचान रिमोट सेंसिंग तकनीकों से की जा रही है। जल उपयोग और कार्य प्रगति की निगरानी के लिए मोबाइल ऐप्स और डैशबोर्ड भी शुरू किए गए हैं। जल सुरक्षा को स्थायी बनाने के लिए इस अभियान को प्रमुख दीर्घकालिक परियोजनाओं से जोड़ा जा रहा है, जैसे कि पार्वती-कालीसिंध-चंबल नदी जोड़ परियोजना। मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा के नेतृत्व में इस योजना का पहला चरण 9,400 करोड़ की लागत वाला एलिवेटेड कैनाल प्रोजेक्ट वन विभाग से स्वीकृत हुआ है, जिससे 17 जल-संकटग्रस्त जिलों को चंबल का जल मिलेगा। जल जन अभियान 2025 केवल एक सरकारी योजना नहीं, बल्कि एक परिवर्तनकारी आंदोलन है,जो यह परिभाषित करता है कि राजस्थान जल को कैसे मूल्य देता है, संरक्षित करता है और भावनात्मक रूप से उससे जुड़ता है। उस प्रदेश में जहां हर वर्षा की बूंद आशा और अस्तित्व का प्रतीक है, यह पहल न केवल सदियों पुरानी परंपराओं को फिर से जीवित कर रही है, बल्कि नवाचार को गांव-गांव तक पहुंचा रही है और लाखों लोगों को जल संरक्षण,जल जीवन के एकजुट ध्येय में बांध रही है। 

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मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा के दृढ़ और दूरदर्शी नेतृत्व में यह अभियान केवल फाइलों और वादों तक सीमित नहीं रहा। इसने जीवन को छुआ है, नदियों को फिर से जीवंत किया है, भूले-बिसरे जल स्रोतों को पुनर्जीवित किया है और सबसे महत्वपूर्ण बात सामूहिक उत्तरदायित्व की भावना को जाग्रत किया है। सरकारी कर्मचारियों से लेकर किसानों तक, विद्यार्थियों से लेकर संतों तक,ग्राम पंचायतों से लेकर शहरी नागरिकों तक हर कोई इस मिशन का भागीदार बन चुका है। हर साफ की गई टंकी, हर मरम्मत हुआ एनीकट और हर संजोई गई बूंद यह सभी सामूहिक प्रयासों की शक्ति का प्रमाण हैं। श्रमदान, वृक्षारोपण, कलश यात्रा, नुक्कड़ नाटक और जागरूकता रैलियों के माध्यम से यह अभियान केवल जल स्रोतों को नहीं, बल्कि सामाजिक ताने-बाने, सांस्कृतिक गौरव और पर्यावरणीय चेतना को भी पुनर्जीवित कर रहा है। 

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यह केवल ढांचागत विकास नहीं यह मानसिकता का परिवर्तन है। यह लोगों को अपने संसाधनों का स्वामी बनाने का आंदोलन है, यह युवाओं को प्रकृति का रक्षक बनने की प्रेरणा देता है, यह दिखाता है कि स्थायी विकास की नींव गांवों से शुरू हो सकती है। जल है तो कल है। जल ही जीवन है, जल ही भविष्य है। हर नागरिक जल संरक्षक बने। हर गांव में गूंजे जल रक्षा की भावना। समय अब है। मिशन हमारा है।

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-मीनल जींगर
यह लेखक के अपने विचार हैं।

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