राजकाज

काज करने वालों के पेट में यह बात हजम नहीं हो पाई और इसके पीछे का राज तलाशने में जुट गए।

राजकाज

बेगारी के नाम पर जब से खाकी वाले साहब लोगों पर गाज गिरी है, तब से राज का काज करने वालों में काफी चर्चाएं हैं। इन चर्चाओं के बाद झंडे के नीचे बैठने वाले साहब भी काफी चिंतित है। पीएचक्यू का एक खेमा तो इस सुलटाऊ राजनीति तक से जोड़कर देख रहा है।

बढ़ रही है सूची 
राज और काज करने वालों की बीच छत्तीस का आंकड़ा बढ़ता जा रहा है। जोधपुर वाले भाई साहब तो खाई पाटने की जुगत में हैं, लेकिन उनके नवरत्न कुछ समझना ही नहीं चाहते। काज करने वाले कायदे कानूनों की दुआई देकर सुशासन के नारे की याद दिलाते हैं। अब देखो ना प्रशासन शहरों के संग अभियान को सफल बनाने में जुटे साहब लोगों को ऊपर वालों ने आंख के इशारे से समझा दिया, लेकिन उनके समझ में नहीं आई। गुजरे जमाने में माथुर आयोग के चक्कर लगा चुके अफसरों से उम्मीद कर रहे हैं कि आंख बंद कर चिड़िया बिठा दें, चाहे दाल में काला ही क्यू ना हो। ऐसे में नवरत्नों से पिंड छुड़ाने वालों की सूची लंबी होती जा रही है।


चर्चा में साहब के लड्डू
राजधानी के विकास का ठेका लेने वाले महकमें में इन दिनों लड्डूओं की बड़ी चर्चा है। चर्चा भी क्यों ना हो लड्डू और वो भी चौगुनी के। बदली होने पर साहब को इतनी खुशी हुई कि उन्होंने हर आने वालों का चौगुनी के लड्डूओं से मुंह मीठा कराया। काज करने वालों के पेट में यह बात हजम नहीं हो पाई और इसके पीछे का राज तलाशने में जुट गए। प्राधिकरण के कामों के तौर तरीकों की नस नस से वाकिफ बाबूओं को यह समझ में नहीं आया कि साहब इतने खुश क्यों है, वरना यहां से हर कोई मुंह लटका कर ही जाता है। हमने भी माथा लगाया तो पता चला कि हॉट सीट पर दो साल बैठने के बाद बेदाग होकर निकलने से साहब कुछ ज्यादा ही कुछ थे।


इंतजार मैसेज का
बेगारी के नाम पर जब से खाकी वाले साहब लोगों पर गाज गिरी है, तब से राज का काज करने वालों में काफी चर्चाएं हैं। इन चर्चाओं के बाद झंडे के नीचे बैठने वाले साहब भी काफी चिंतित है। पीएचक्यू का एक खेमा तो इस सुलटाऊ राजनीति तक से जोड़कर देख रहा है। सचिवालय के लंच केबिनों में साहब लोग बतियाते हैं कि राज ने छोटी सी बात को लेकर मैसेज तो सही दिया, लेकिन काश ऐसा ही संदेश दोनों हाथों से लूटने वालों के लिए देते तो बल्ले-बल्ले में कोई कसर नहीं रहती। खान और भूमाफियाओं से हाथ से हाथ मिलाकर चलने वालों की सीएमओ तक पहुंची सूची घटने का नाम ही ले रही। और तो और रिटायर्ड साहबों के घरों पर सालों से बेगारी में लगे रंगरुटों का तो कोई धणी धौरी नहीं है। 


फैसले का इंतजार
 सूबे में भगवा वाले को अब जेपी साहब के फैसले का बेसब्री से इंतजार है। हाथ वालों की नजरें भी उधर ही टिकी है। इंतजार भी क्यों ना हो भगवा में भीतरखाने जो कुछ चल रहा है, वो खुलकर सामने आने लगा है। जब मैडम के श्रीमुख से चुनौतियां बहुत है का जुमला निकला, तो भाई लोगों ने भी अपने अपने हिसाब से मायने निकाल लिए। भगवा के दोनों खेमों के बीच उपजे विवाद के निपटारे के लिए नड्डा साहब जज की भूमिका निभा रहे हैं। सरदार पटेल मार्ग स्थित बंगला नंबर 51 में रवि को भी दिन भर चर्चा रही कि मैडम के मूड और जेपी के निर्णय से भगवा की भावी रणनीति तय होगी।

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दबदबा नागपुर का
भगवा में आमूलचूल परिवर्तन के संकेतों को लेकर कइयों के चेहरों पर चिंता की लकीरें साफ दिखाई देने लगी है। सरदार पटेल मार्ग पर स्थित बंगला नंबर 51 में आने वालों में चर्चा है कि पिछली बार से सबक लेते हुए इस बार किसी भी असंतुष्ट को निराश नहीं करेंगे। आथूणी और अगूणी के रूठे नेताओं की मान मनुहार कर उनके जनाधार के क्षेत्र में पहले सीटों का बंटवारा कर दिया जाएगा। आखिर में भगवा में नागपुर का दबदबा ही रंग जो जमाएगा।

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एक जुमला यह भी
ब्यूरोक्रेसी में इन दिनों एक जुमला जोरों पर है। हो भी क्यू ना मामला राज के मूड से जुड़ा है। जब से भाई साहब की नजरे फ्लैगशीप पर टिकी है, तब से ब्यूरोक्रेसी में स्टीम भी बढ़ा है। सत्ता के साथ संगठन वालों का मुंह खुलने से अमल का असर साफ दिखने लगा है।
एल. एल. शर्मा, पत्रकार

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