यूरिया खाद और कीटनाशक दवाई युक्त पानी पीने से 20 बकरियों की मौत

यूरिया खाद और कीटनाशक दवाई युक्त पानी पीने से 20 बकरियों की मौत

बकरियों को बचाने के लिए फ्लुड थेरेपी एवं पॉइजनिंग को डिस्ट्रॉय करने के लिए विनेगर आदि उपचार विधि का प्रयोग कर बचाव के भरसक प्रयास किए परंतु बकरियों को बचाया नहीं जा सका।

लालसोट। उपखंड क्षेत्र की ग्राम पंचायत रतनपुरा के गांव उदयपुरिया में शनिवार देर शाम को यूरिया खाद एवं कीटनाशक दवा युक्त पानी पीने से 20 बकरियों की मौत हो गई। गांव उदयपुरिया के किसान परिवार के श्योराम मीणा कृषि कार्य एवं बकरी पालन कर अपने परिवार का जीवन यापन करते थे। श्योरम प्रतिदिन अपनी बकरियों को दिन में जंगल में चराने के लिए लेकर जाते थे एवं शाम को घर लेकर आते थे। शनिवार को खेत पर खेती संबंधित कार्य होने की वजह से उनकी पत्नी नाथी देवी बकरियां चराने के लिए गई थी। श्योरम ने खेत में खीरे की फसल में यूरिया खाद एवं कीटनाशक दवाई देने के लिए पानी में एक घोल बनाया लेकिन लाइट नहीं आने की वजह से उसे फसल में नहीं दे पाया और उसको वैसे ही रख कर किसी निजी कार्य से बाहर चला गया। उसी दौरान श्योराम की पत्नी नाथी देवी उम्र 70 वर्ष बकरियां चराकर घर लौटी। उम्र के पड़ाव के कारण नाथी देवी को आंखों से कम दिखाई देता था। उसने सोचा की यह सफेद रंग का छाछ का पानी रखा हुआ है तो उसने बकरियों को पिला दिया। थोड़ी देर बाद अचानक से एक के बाद एक बकरियां धरती पर गिरकर तड़पती नजर आई। ऐसी स्थिति को देखकर परिवार जनों ने पशु चिकित्सक को बुलाया। श्यामपुरा कलां में कार्यरत पशु चिकित्सक डॉ.रमेश मीना मौके पर पहुंचे। उन्होंने मौके पर स्थिति को देखकर बकरियों का इलाज करना प्रारंभ किया परंतु पॉइजनिंग की मात्रा अधिक होने के कारण बकरियों को बचाया नहीं जा सका। पशु चिकित्सक रमेश मीना का कहना था कि अगर बकरियां में प्वाइजनिंग की मात्रा 40 से 50 ग्राम की होती तो बकरियों को बचाया जा सकता था लेकिन बकरियां में प्वाइजनिंग की मात्रा अधिक होने के कारण बकरियों को बचाया नहीं जा सका। उन्होंने बकरियों को बचाने के लिए फ्लुड थेरेपी एवं पॉइजनिंग को डिस्ट्रॉय करने के लिए विनेगर आदि उपचार विधि का प्रयोग कर बचाव के भरसक प्रयास किए परंतु बकरियों को बचाया नहीं जा सका।

इस अवसर पर मौके पर राष्ट्रीय जन समर्थन पार्टी के जिलाध्यक्ष सुखराम मीना भी मौके पर पहुंचे और उन्होंने बताया कि गत वर्ष भी इस गरीब परिवार पर दुखों का पहाड टूटा और इस वर्ष भी। गत वर्ष शॉर्ट सर्किट होने की वजह से उनके खेतों की फसल जलकर नष्ट हो गई थी और इस वर्ष बकरियों के मरने से इस परिवार पर दुखों का पहाड़ टूटा। उन्होंने पीड़ित परिवार को इस दुख की घड़ी में संभाला और कहा कि पशुपालन जैसी सरकारी योजनाओं का लाभ दिलाने का प्रयास कर पीड़ित परिवार को लाभान्वित करवाने का प्रयास किया जाएगा। घटनास्थल पर इस दौरान रतनपुरा सरपंच गिर्राज मीणा, पुखराज, धनराज, मनराज, बलराम, शंभू लाल अध्यापक, शंकर लाल, मन्नालाल, रामकरण गोठवाल, कजोड़, जयराम, हनुमान, कुंदन गोठवाल एवं ग्रामीण मौजूद रहे तथा पीड़ित परिवार को ढांढस बंधाया।

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