बंगाल एसआईआर: गड़बड़ी वाले वोटर्स की सत्यापन प्रक्रिया शुरू, मतदाताओं को सुनवाई नोटिस जारी
बंगाल में मतदाता सूची सत्यापन तेज
पश्चिम बंगाल में मतदाता सूची के विशेष गहन संशोधन के तहत ईआरओ गुरुवार से सुनवाई नोटिस जारी करेंगे। पहले चरण में 32 लाख ‘अनमैप्ड’ मतदाताओं का सत्यापन होगा। प्रक्रिया 7 फरवरी 2026 तक चलेगी।
कोलकाता। पश्चिम बंगाल में चुनावी मतदाता सूची के सत्यापन की प्रक्रिया अहम चरण में प्रवेश करने वाली है। चुनाव पंजीकरण अधिकारी (ईआरओ) गुरुवार से मतदाताओं को सुनवाई नोटिस जारी करेंगे। सात दिनों के बाद सुनवाई शुरू होगी और शुरुआत में करीब 32 लाख 'अनमैप्ड' मतदाताओं पर केंद्रित होगी, जिनके नाम 2002 के विशेष गहन संशोधन (एसआईआर) के रिकॉर्ड से मेल नहीं खाते, लेकिन हाल में प्रकाशित मतदाता सूची के प्रारूप में शामिल हैं। पूरे राज्य में 294 ईआरओ हैं। वे हर विधानसभा क्षेत्र के लिए नोटिस जारी करने और सुनवाई प्रक्रिया की देखरेख करेंगे।
अधिकारियों ने स्पष्ट किया कि मतदाता सूची के प्रारूप में नाम शामिल होना योग्य होने की अंतिम पुष्टि नहीं है। बंगाल के मुख्य चुनाव अधिकारी (सीईओ) कार्यालय के एक अधिकारी ने बताया, किसी नाम का प्रारूप सूची में होना यह नहीं दर्शाता कि उस मतदाता को सुनवाई के लिए नहीं बुलाया जायेगा।
प्रत्येक सुनवाई नोटिस की दो प्रतियां तैयार की जायेगी। एक संबंधित मतदाता को दी जायेगी और दूसरी बूथ स्तर अधिकारी (बीएलओ) के पास रहेगी, जिन पर मतदाता रसीद मिलने की पुष्टि के लिए हस्ताक्षर करेगा। सुनवाई संबंधित सरकारी कार्यालयों में आयोजित की जायेगी। इनमें जिला चुनाव अधिकारी (डीईओ), उप विभागीय अधिकारी (एसडीओ) या प्रखंड विकास अधिकारी (बीडीओ) शामिल हैं। यह उस खास इलाके के प्रशासनिक इंतजाम पर निर्भर करेगा।
सूत्रों के अनुसार, राज्य के मुख्य निर्वाचन अधिकारी ने चुनाव आयोग को प्रस्ताव दिया है कि 85 वर्ष से ऊपर के मतदाताओं को उम्र और आने-जाने की परेशानियों के मद्देनजर घर पर सुनवाई का विकल्प दिया जायेगा। मुख्य निर्वाचन अधिकारी कार्यालय ने यह भी सुझाव दिया है कि संबंधित बीएलओ को सुनवाई के दौरान उपस्थित रहने की इजाजत दी जाए, ताकि वे सत्यापन में मदद कर सकें और बुजुर्ग या कमजोर मतदाताओं की मदद कर सकें।
'अनमैप्ड' मतदाताओं के अलावा, सत्यापन प्रक्रिया में अन्य को भी बड़ी संख्या में शामिल किया जायेगा। अधिकारियों के मुताबिक रिकॉर्ड में 1.69 करोड़ से अधिक मतदाता ऐसे हैं, जिनमें 'तार्किक विसंगतियां' हैं। इन गड़बड़यिों में आयु, पता या अन्य विवरण आदि हैं। चुनाव आयोग के अधिकारियों के अनुसार, ऐसे कई मतदाताओं को भी स्क्रीनिंग प्रक्रिया के तहत सुनवाई के लिए बुलाया जायेगा। सुनवाई के दौरान मतदाताओं को यह साबित करने के लिए कि वे भारतीय नागरिक और योग्य मतदाता हैं, दस्तावेज पेश करने होंगे।
चुनाव आयोग ने सत्यापन के लिए 11 दस्तावेजों को शामिल किया है। इनमें राज्य या केंद्रीय सरकारी कर्मचारियों या पेंशनधारियों का पहचान पत्र, डाकघर, बैंक, जीवन बीमा निगम या 1987 से पहले स्थानीय प्राधिकरण की ओर से जारी किये गये दस्तावेज, जन्म प्रमाण पत्र, पासपोर्ट, माध्यमिक या अन्य शैक्षणिक योग्यता प्रमाणपत्र, राज्य सरकार की ओर से जारी आवासीय प्रमाण पत्र, वन अधिकार प्रमाण पत्र, जाति प्रमाण पत्र, राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (केवल असम में लागू), स्थानीय प्रशासन की ओर से जारी किये गये परिवार रजिस्टर और सरकार की ओर से जारी भूमि या आवास आवंटन प्रमाण पत्र शामिल हैं।
नोटिस, सुनवाई और सत्यापन चरण 7 फरवरी 2026 तक जारी रहेगा। सुनवाई के परिणामों और आवश्यक सुधारों को शामिल करने के बाद अंतिम मतदाता सूची 14 फरवरी को प्रकाशित की जायेगी, जो राज्य में विशेष गहन संशोधन प्रक्रिया के समापन का संकेत होगा।

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