खंडेवला सरकारी स्कूल में दो कमरों की छत ढही: तीन महीने पुरानी तकनीकी रिपोर्ट पर उठे सवाल, रिवेरिफिकेशन के पत्र के बाद भी नहीं हुई कार्रवाई।

जर्जर स्कूल भवनों की छत गिरी, बड़ा हादसा टला

खंडेवला सरकारी स्कूल में दो कमरों की छत ढही: तीन महीने पुरानी तकनीकी रिपोर्ट पर उठे सवाल, रिवेरिफिकेशन के पत्र के बाद भी नहीं हुई कार्रवाई।

खंडेवला के राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय में रात के समय दो पुराने भवनों की छत ढह गई। दिन में हादसा होता तो बच्चों की जान जोखिम में पड़ सकती थी। ग्रामीणों ने समय रहते कमरों को खाली करवाया था। प्रशासन की अनदेखी पर अभिभावकों में नाराजगी है।

खंडार। बहरावंडा खुर्द कस्बे के समीप ग्राम पंचायत खंडेवला स्थित राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय में देर रात बड़ा हादसा होते-होते टल गया। विद्यालय के दो जर्जर भवनों की छत अचानक भरभराकर गिर गई। घटना रात में होने से कोई जनहानि नहीं हुई, लेकिन यदि यह हादसा दिन में होता तो बच्चों की जान जोखिम में पड़ सकती थी। गिरी हुई छत के साथ दीवार का बड़ा हिस्सा भी ढह गया, जहां पर दीवार में लगे नलों से बच्चे रोजाना पानी पीते थे। घटना से विद्यालय प्रबंधन, ग्रामीणों और अभिभावकों में गहरी नाराजगी व्याप्त है। ग्रामीणों का कहना है कि प्रशासन को समय रहते अवगत कराने के बावजूद रिवेरिफिकेशन टीम क्यों नहीं भेजी गई।

1985 से पहले बने हुए थे भवन, बारिश के बाद बढ़ गई थी दरारें:-

ये दोनों कमरे 1985 से पूर्व निर्मित थे और लंबे समय से जर्जर अवस्था में थे। बरसात के दौरान कमरों में आई नई दरारों को देखते हुए ग्रामीणों ने प्रधानाचार्य को चेताया था कि इन कमरों में बच्चों को बिठाया न जाए। ग्रामीणों की समझाइश व जागरूकता के चलते विद्यालय प्रशासन ने दो महीने पहले ही इन भवनों में कक्षाएं बंद कर दी थीं। यही निर्णय अब बच्चों की सुरक्षा के लिए वरदान साबित हुआ।

3 महीने पहले आई थी तकनीकी टीम, रिपोर्ट पर उठे सवाल:-

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प्रधानाचार्य संदीप सिंह के अनुसार, लगभग तीन महीने पहले पीडब्ल्यूडी विभाग की दो-सदस्यीय टीम विद्यालय में जर्जर भवनों का सर्वे करने आई थी। टीम ने दो जुड़वां भवनों में से एक को 'कंडम' और दूसरे को 'मरम्मत योग्य' बताया, लेकिन यह स्पष्ट नहीं किया कि कौन-सा भवन किस श्रेणी में आता है। इस अस्पष्ट रिपोर्ट ने विद्यालय स्टाफ और ग्रामीणों को असमंजस में डाल दिया। ग्रामीणों का आरोप है कि रिपोर्ट वास्तविकता के अनुरूप नहीं थी और टीम ने भवनों की वास्तविक हालत को ठीक से नहीं समझा। देर रात छत गिरने की घटना से ग्रामीणों के आरोप और भी मजबूत हो गए हैं।

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एसएमसी और एसडीएमएसी ने जताई थी असंतुष्टि, 4 अक्टूबर को भेजा गया था रिवेरिफिकेशन का पत्र:-

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विद्यालय की एसएमसी समिति के अध्यक्ष रामबलवान मीना और सदस्य मेमराज गुर्जर ने बताया कि टीम की रिपोर्ट अधूरी और अस्पष्ट होने के कारण एसएमसी व एसडीएमएसी सदस्यों ने असंतोष जताया था। ग्रामीणों की मांग पर विद्यालय के प्रधानाचार्य ने 4 अक्टूबर 2025 को सीबीईओ खंडार को पत्र भेजकर भवनों का पुनः निरीक्षण कराने की मांग की थी। पत्र में साफ लिखा गया था कि तकनीकी रिपोर्ट पर एसएमसी और एसडीएमएसी ने असंतोष जताया है और बरसात के बाद भवनों को और अधिक नुकसान हुआ है। इसके बावजूद खंडार प्रशासन ने रिवेरिफिकेशन टीम नहीं भेजी और न ही किसी प्रकार की कार्रवाई की। ग्रामीणों का कहना है कि प्रशासन की लापरवाही आज किसी बड़े हादसे का कारण बन सकती थी।

ग्रामीणों ने प्रशासन पर उठाए सवाल “क्या गरीब बच्चों की जान की कोई कीमत नहीं?”

घटना के बाद ग्रामीणों ने प्रशासन पर तीखे सवाल उठाए हैं। उन्होंने कहा कि जब भवनों में गहरी दरारें थीं तो टीम ने उन्हें मरम्मत योग्य कैसे बताया। प्रधानाचार्य द्वारा पत्र भेजने के बाद भी रिवेरिफिकेशन की कार्रवाई क्यों नहीं हुई क्या सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले गरीब बच्चों की कोई अहमियत नहीं है।ग्रामीणों ने खंडार प्रशासन के खिलाफ नाराजगी जताते हुए कहा कि समय रहते कार्रवाई की जाती तो आज इस स्थिति का सामना नहीं करना पड़ता।

प्रधानाचार्य बोले "समय रहते कमरे खाली करवाए, बड़ा हादसा टल गया:-

प्रधानाचार्य संदीप सिंह ने बताया कि ग्रामीणों की मांग पर उन्होंने 4 अक्टूबर को सीबीईओ को पत्र लिखकर भवनों के पुनः सर्वे की मांग की थी, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई।उन्होंने कहा रात को छत गिरने से बड़ी अनहोनी टल गई। हम पहले से ही इन कमरों को बंद करवा चुके थे, वरना दर्जनों बच्चों की जान जोखिम में पड़ सकती थी। फिलहाल जर्जर भवन के आसपास तारबंदी करवा दी गई है ताकि कोई निकट न जाए।

ग्रामीणों की मांग जल्द हो नए भवन मंजूर, दोषी अधिकारियों की जिम्मेदारी तय हो:

छत गिरने की घटना के बाद ग्रामीणों ने प्रशासन से मांग की है कि जर्जर भवनों का तुरंत पुनः निरीक्षण कराया जाए और नए भवन निर्माण की स्वीकृति जल्द दी जारी हो। तकनीकी रिपोर्ट में लापरवाही करने वाले अधिकारियों की जिम्मेदारी तय की जाए व विद्यालय के बच्चों की सुरक्षा सर्वोच्च प्राथमिकता पर रखी जायें रात में गिरी छत ने प्रशासन की ढीली व्यवस्था और लापरवाही को उजागर कर दिया है। गनीमत है कि यह घटना दिन में नहीं हुई, अन्यथा स्थिति बेहद भयावह हो सकती थी। ग्रामीणों ने साफ कहा है कि अब वे इस मुद्दे को आगे तक उठाएंगे ताकि भविष्य में बच्चों की जान इस तरह की लापरवाही की भेंट ना चढ़े।

इनका कहना...

खंडार सीबीईओ ने बताया कि हमने पत्र आने के तुरंत बाद ही उच्च अधिकारियों को रिवेरिफिकेशन टीम भेजने के लिए अवगत करवा दिया था। उच्च लेवल पर ही टीम गठित नहीं की गई।

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