अदालत ने दिया धौलपुर जिला वन अधिकारी की गाड़ी को जब्त करने का आदेश

अवैध खनन से लोड मानकर जब्त कर लिया

अदालत ने दिया धौलपुर जिला वन अधिकारी की गाड़ी को जब्त करने का आदेश

उक्त मामले को लेकर पीड़ित अनिल गोयल ने 15 जनवरी 2013 को न्याय के लिए बाड़ी सिविल न्यायाधीश वरिष्ठ खण्ड एक में प्रार्थना पत्र,(दावा) पेश किया।

बाड़ी। सिविल न्यायालय वरिष्ठ खण्ड संख्या एक ने पत्थर ट्रक से वन विभाग द्वारा जबरन वसूली से जुड़े एक मामले में धौलपुर जिला वन अधिकारी की गाड़ी को जब्त करने और ब्याज सहित राशि वसूली करने के आदेश दिए है। बाड़ी कोर्ट के वरिष्ठ अभिवक्ता रामनिवास मित्तल ने बताया बर्ष 2012 में एक ट्रक जिसमें पोलिश कटिंग पत्थर भरा हुआ था, को पुलिस विभाग ने एम वी एक्ट के तहत सरमथुरा रोड गडरपुरा पर रोककर बंद कर दिया। उक्त ट्रक को 5 घंटे बाद वन विभाग के अधिकारियों को सौंपा गया। जिन्होंने आरएफए 1953 एक्ट की धारा 32, 33, 41, 42 के तहत अवैध खनन से लोड मानकर जब्त कर लिया और पीड़ित को धमकाकर जबरदस्ती 21000 रुपये की रसीद बतौर जुर्माना भरने के बाद गाड़ी को छोड़ा गया।

उक्त मामले को लेकर पीड़ित अनिल गोयल ने 15 जनवरी 2013 को न्याय के लिए बाड़ी सिविल न्यायाधीश वरिष्ठ खण्ड एक में प्रार्थना पत्र,(दावा) पेश किया। जिसमें न्यायालय ने 27 अप्रैल 2016 को वन विभाग को आदेश दिए कि पीड़ित को मय व्याज जुर्माना राशि लौटाई जाए। इस आदेश के खिलाफ वन विभाग द्वारा एडीजे बाड़ी में 26 मई 2016 को अपील की। जिसमें एडीजे ने 2021 में अपील को खारिज कर सिविल न्यायालय वरिष्ठ बाड़ी के आदेश को यथावत रखा और पीड़ित को मय व्याज व खर्चा के रकम (डिग्री) देने के आदेश दिए। जब पीड़ित को काफी समय निकलने के बाद भी कोई राशि प्राप्त नहीं हुई तो पीड़ित ने पुन: एसीजेएम कोर्ट की शरण ली। 

कोर्ट ने वन विभाग द्वारा न्यायालय के आदेश की पालना नही करने पर अब रकम वसूली के लिये उप वन संरक्षक धौलपुर डीएफओ के वाहन संख्या फ ख-11/वअ 1704 को कुर्क करने के आदेश डीजे कोर्ट के शैल अमीन धौलपुर को प्रदान किये है। जिला न्यायालय के शैल अमीन द्वारा उक्त वाहन को उप वन संरक्षक चेतन कुमार की मोजुदगी में जब्त कर लिया है जिसे आदेश की पालना होने तक वन विभाग रेंजर के सुपुर्द किया है। 21 अगस्त को इस मामले में कोर्ट ने आगे सुनवाई होगी। 

मामले को लेकर बाड़ी निवासी पीड़ित अनिल गोयल आरटीआई ने बताया की लंबी लड़ाई के बाद न्याय तो प्राप्त हुआ है लेकिन अन्याय करने बाले अधिकारियों पर कोई कार्यवाही नही हुई। जिन्होंने द्वेषपूर्ण एवं गैर कानूनी कार्यवाही करके मुझे आर्थिक और मानसिक रूप से प्रताड़ित किया। आगे में दोषी अधिकारियों के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्यवाही के लिए न्यायालय में प्रार्थना पत्र (याचिका) दाखिल करुंगा। 

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