लोकसभा में 3 कांग्रेस सांसद विधानसभा में मजबूत, चौरासी में बीएपी का जनाधार बरकरार
धानसभा खींवसर में मुकाबला झेलना पड़ सकता है
बीएपी सांसद भी मजबूती बरकरार रखे हुए हैं, लेकिन आरएलपी सांसद हनुमान बेनीवाल को अपनी विधानसभा खींवसर में मुकाबला झेलना पड़ सकता है।
जयपुर। लोकसभा चुनाव में पांच विधायकों के सांसद बनने के बाद पांच विधानसभा उपचुनाव में वर्तमान सांसदों का प्रभाव प्रमुख रूप से नजर आएगा। पांचों सीटों में तीन सीटों पर कांग्रेस सांसद अपनी विधानसभा में भाजपा की तुलना में मजबूत रहे। कांग्रेस-इंडिया गठबंधन की दो विधानसभा में बीएपी सांसद भी मजबूती बरकरार रखे हुए हैं, लेकिन आरएलपी सांसद हनुमान बेनीवाल को अपनी विधानसभा खींवसर में मुकाबला झेलना पड़ सकता है।
दौसा विधानसभा
दौसा लोकसभा चुनाव के विधानसभावार परिणामों में भाजपा को दौसा विधानसभा से 54,114 (36.79 प्रतिशत) वोट और कांग्रेस को 90,904 (61.79 प्रतिशत) वोट मिले, यानि कांग्रेस को 25 प्रतिशत ज्यादा वोट मिले। कांग्रेस सांसद मुरारीलाल मीणा यहां से विधायक हैं और लोकसभा में वोटिंग के आधार पर वे अपनी विधानसभा में आज भी भाजपा की तुलना में मजबूत हैं। इस सीट पर प्रत्याशी तय करने में मुरारी लाल मीणा की भूमिका ही रहेगी और उनके परिवार से किसी को टिकट मिल सकता है।
झुंझुनूं : झुंझुनूं लोकसभा में निर्वाचित सांसद बृजेन्द्र ओला झुंझुनूं विधानसभा से विधायक हैं। ओला परिवार का गढ़ रही इस विधानसभा सीट पर बृजेन्द्र ओला आज भी मजबूत नजर आ रहे हैं। लोकसभा चुनाव परिणामों में झुंझुनूं विधानसभा में भाजपा को 68,659 (43.67 प्रतिशत) वोट और कांग्रेस को 84,701 (53.15 प्रतिशत) वोट मिले, यानि कांग्रेस को 9.48 प्रतिशत वोट अधिक मिले। इस सीट पर बृजेन्द्र ओला की सिफारिश पर बने प्रत्याशी के मजबूत रहने की संभावना है।
देवली-उनियारा: इस सीट से विधायक हरीश चन्द्र मीणा अब टोंक-सवाई माधोपुर सीट से सांसद बन चुके हैं। उपचुनाव के हिसाब से यह सीट भी कांग्रेस की मजबूत सीट मानी जा रही है। लोकसभा चुनाव में यहां भाजपा को 85,597 (47.55 प्रतिशत) वोट और कांग्रेस को 87,935 (48.85 प्रतिशत) वोट मिले। कांग्रेस को भाजपा की तुलना में 1.3 प्रतिशत वोट अधिक मिले। यहां भाजपा से चुनौती जरूर है, लेकिन हरीश चन्द्र मीणा के दो बार से विधायक और इस बार सांसद बनने का प्रभाव कांग्रेस प्रत्याशी को मजबूत करेगा। इस सीट पर सांसद हरीश चन्द्र मीणा और कांग्रेस महासचिव सचिन पायलट उम्मीदवार चयन में भूमिका निभाएंगे।
चौरासी: इस सीट पर भारतीय आदिवासी पार्टी (बीएपी) के दो बार से विधायक राजकुमार रोत ने इस बार डूंगरपुर-बांसवाड़ा सीट से लोकसभा चुनाव जीता है। यहां बीएपी भाजपा और कांग्रेस दोनों पार्टियों पर भारी पड़ी है। लोकसभा चुनाव में भाजपा को यहां 47,201 (26.24 प्रतिशत) वोट मिले। कांग्रेस ने इस सीट पर बीएपी से गठबंधन किया, लेकिन सिंबल ले चुके कांग्रेस प्रत्याशी ने नाम वापस नहीं लेकर चुनाव लड़ा ओर 6,560 (3.65 प्रतिशत) वोट हासिल किए। वहीं, बीएपी ने एक लाख से अधिक करीब 58 प्रतिशत से अधिक वोट लेकर यहां से जीत हासिल की। इस हिसाब से विधानसभा उपचुनाव में यहां बीएपी पार्टी का रुतबा बरकरार रह सकता है।
खींवसर: इस सीट पर आरएलपी प्रमुख हनुमान बेनीवाल विधायक हैं और इस बार नागौर लोकसभा चुनाव से सांसद चुनाव जीते हैं। हालांकि, बेनीवाल ने भी कांग्रेस के साथ गठबंधन कर चुनाव लड़ा है, लेकिन यहां खींवसर को भाजपा से चुनौती बनी हुई है। खींवसर विधानसभा में भाजपा को 76, 372 (45.71 प्रतिशत) वोट मिले तो आरएलपी को 80,531 (48,20 प्रतिशत) वोट मिले, यानि भाजपा और आरएलपी के बीच वोटिंग प्रतिशत में 2.49 प्रतिशत का अंतर रहा। यह अंतर इसलिए कमजोर माना जा रहा है, क्योंकि कांग्रेस प्रत्याशी नहीं होने से कांग्रेस का वोट भी बेनीवाल को मिला। पिछले विधानसभा चुनाव में भी बेनीवाल का यहां तीन प्रतिशत वोट कम हुआ था। ऐसे में उपचुनाव में बेनीवाल और भाजपा के बीच कड़ी टक्कर दिखाई दे सकती है।
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