जैसलमेर बस हादसे के बाद पंजीयन प्रक्रिया पर उठे सवाल : नई गाइडलाइन की अनदेखी, कई आरटीओ पुरानी प्रक्रिया से कर रहे बसों का पंजीयन
बस निर्माता का केवल सेल्फ डिक्लेरेशन पर्याप्त
जैसलमेर बस हादसे के बाद पंजीयन प्रक्रिया पर उठे सवाल। सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय (MORTH) ने 1 सितंबर 2025 से नई गाइडलाइन लागू की थी, जिसके तहत बस बॉडी बिल्डर को फॉर्म 22-ए जारी करना अनिवार्य किया गया। बस निर्माता का केवल सेल्फ डिक्लेरेशन पर्याप्त माना जाता था। सूत्रों के अनुसार अब भी कई आरटीओ पुरानी प्रक्रिया से बसों का पंजीयन कर रहे हैं, जो नियमों का उल्लंघन है।
जयपुर। जैसलमेर बस हादसे के बाद अब बसों के पंजीयन प्रक्रिया पर गंभीर सवाल उठ रहे हैं। सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय (MORTH) ने 1 सितंबर 2025 से नई गाइडलाइन लागू की थी, जिसके तहत बस बॉडी बिल्डर को फॉर्म 22-ए जारी करना अनिवार्य किया गया है। इस फॉर्म में एआरएआई (ARAI) जैसी अधिकृत एजेंसियों से सेफ्टी अप्रूवल जरूरी होता है। इससे पहले 31 अगस्त तक आरटीओ अधिकारी फॉर्म 22-बी के आधार पर पंजीयन करते थे, जिसमें बस निर्माता का केवल सेल्फ डिक्लेरेशन पर्याप्त माना जाता था।
हालांकि, सूत्रों के अनुसार अब भी कई आरटीओ पुरानी प्रक्रिया से बसों का पंजीयन कर रहे हैं, जो नियमों का उल्लंघन है। जैसलमेर हादसे के बाद जोधपुर डीटीओ पी.आर. जाट के नेतृत्व में परिवहन विभाग की टीम जैनम कोच क्राफ्टर्स (जैन ट्रेवल्स) के पास जांच के लिए पहुंची। यह वही फैब्रिकेटर है जिसने हादसे में शामिल बस तैयार की थी। टीम यह जांच कर रही है कि क्या बस निर्माता ने फॉर्म 22-ए की शर्तों का पालन किया और क्या उसे केन्द्रीय एजेंसी से मान्यता मिली थी। अब सवाल यह है कि क्या परिवहन मुख्यालय इस गंभीर लापरवाही की व्यापक जांच कराएगा?

Comment List