संशोधित पार्वती-कालीसिंध-चम्बल लिंक परियोजना : चंबल नदी पर बनेगा एक्वाडक्ट, वन्यजीव बोर्ड से मिली मंजूरी

2.3 किलोमीटर लंबाई का होगा एक्वाडक्ट

संशोधित पार्वती-कालीसिंध-चम्बल लिंक परियोजना : चंबल नदी पर बनेगा एक्वाडक्ट, वन्यजीव बोर्ड से मिली मंजूरी

इसके लिए आवश्यक 328 हैक्टेयर भूमि अवाप्ति का अवार्ड शीघ्र जारी कर प्रभावितों को जल्द नियमानुसार मुआवजा दिया जाएगा। 

जयपुर। संशोधित पार्वती-कालीसिंध-चम्बल लिंक परियोजना के प्रथम चरण के पैकेज-2 में 2330 करोड़ की लागत से चम्बल नदी को पार करने के लिए नदी पर एक्वाडक्ट बनेगा। यह करीब 2.3 किलोमीटर लम्बाई में बनेगा। यह एक छोर में पीपलदा समेल गांव और दूसरे छोर में गोहाटा गांव से जुड़ेगा। एक्वाडक्ट के माध्यम से कालीसिंध से पानी लिफ्ट कर मेज नदी में छोड़ा जाएगा। साथ ही नवनेरा बैराज से मेज एनिकट तक फीडर निर्माण कार्य भी शीघ्र शुरू होगा। इसके लिए आवश्यक 328 हैक्टेयर भूमि अवाप्ति का अवार्ड शीघ्र जारी कर प्रभावितों को जल्द नियमानुसार मुआवजा दिया जाएगा। 

कास्टिंग यार्ड, बैचिंग प्लांट का निर्माण शुरू 
एक्वाडक्ट निर्माण में वन्यजीव सुरक्षा की दृष्टि से राष्ट्रीय वन्यजीव बोर्ड (एनबीडब्ल्यूएल) से स्वीकृति प्राप्त हो गई है। साथ ही 24.05 हैक्टेयर वन भूमि प्रत्यावर्तन की कार्रवाई अंतिम चरण में है। कार्य स्थल पर संबंधित एजेंसी की ओर से कैम्प स्थापित कर लिया गया है। चम्बल एक्वाडक्ट के लिए कास्टिंग यार्ड, बैचिंग प्लांट इत्यादि का निर्माण कार्य शुरू कर दिया गया है। कार्यों की मजबूती के लिए सर्वे और अनुसंधान पूर्ण कर डिजायन-ड्राइंग तैयार कर ली गई है।

जीवनदायिनी परियोजना से 17 जिलों को मिलेगा पानी
मुख्यमंत्री के निर्देशन में ईआरसीपी को वृहद रूप देते हुए संशोधित पीकेसी (ईआरसीपी एकीकृत योजना : लगभग 90 हजार करोड़ रुपए) तैयार की गई है। परियोजना के प्रथम चरण में राज्य के 17 जिलों को पेयजल सुविधा के साथ ही उद्योगों के लिए जल उपलब्ध होगा। मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा के भागीरथी प्रयासों से महत्वाकांक्षी संशोधित पार्वती-कालीसिंध-चम्बल लिंक परियोजना को समयबद्ध पूर्ण करने के लिए मिशन मोड पर कार्य किए जा रहे हैं। परियोजना के प्रथम चरण के अंतर्गत 9,400 करोड़ के कार्यादेश दिए जा चुके हैं।

परियोजना का कार्य प्रगतिरत है। इसमें एक्वाडक्ट का निर्माण कार्य समयबद्ध और मजबूती से पूर्ण हो, इसकी सुनिश्चितता की जाएगी। हमारा प्रयास है कि परियोजना से पूर्वी राजस्थान को शीघ्र जल उपलब्ध हो।
-सुरेश सिंह रावत, जल संसाधन मंत्री

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