प्रदेश में बिजली संकट के बीच एक्सचेंज से खरीदी जा रही बिजली भी पर्याप्त नहीं

उधार की बिजली लौटाने से बिगड़ा मैनेजमेंट

प्रदेश में बिजली संकट के बीच एक्सचेंज से खरीदी जा रही बिजली भी पर्याप्त नहीं

ऊर्जा विभाग के अनुसार गहलोत सरकार ने पिछले साल रबी सीजन में बिजली डिमांड पूरी करने के लिए अन्य राज्यों से करीब 34,800 लाख यूनिट बिजली का एग्रीमेंट किया था।

जयपुर। प्रदेश में बिजली संकट और कटौती के बीच ऊर्जा विभाग बिजली की कमी से जूझ रहा है। डिमांड और सप्लाई में 500 लाख यूनिट से ज्यादा अंतर को पाटने के लिए एक्सचेंज से महंगी दरों पर खरीदी जा रही बिजली से भी पर्याप्त सहारा नहीं मिल रहा,ऊपर से पिछले साल अन्य राज्यों से एग्रीमेंट के तहत खरीदी गई बिजली इस साल लौटाने के कारण बिजली लोड मैनेजमेंट गड़बड़ाया हुआ है। ऊर्जा मंत्री हीरालाल नागर बिजली कुप्रबंधन के लिए पूर्ववर्ती गहलोत सरकार को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं तो फिलहाल कटौती से परेशान लोगों की पीड़ा को तत्काल राहत देने का कोई प्लान भी उनके पास नहीं है।

ऊर्जा विभाग के अनुसार गहलोत सरकार ने पिछले साल रबी सीजन में बिजली डिमांड पूरी करने के लिए अन्य राज्यों से करीब 34,800 लाख यूनिट बिजली का एग्रीमेंट किया था। ऊर्जा विभाग को यह बिजली अक्टूबर 2023 से फरवरी 2024 तक मिली थी। एग्रीमेंट से बंधे होने के कारण पीक सीजन में भी राजस्थान को यह बिजली लौटानी पड़ रही है। ऊर्जा विभाग रोजाना 200 से 225 लाख यूनिट बिजली लौटा रहा है,जो रोजाना डिमांड का करीब पांच प्रतिशत है। अब तक 13,264 लाख यूनिट बिजली लौटाई जा चुकी और 21,536 लाख यूनिट लौटाना शेष है।

आकड़ों पर नजर
बिजली लौटाने के बीच संकट से निपटने के लिए रोजाना एक्सचेंज से महंगी दरों पर बिजली खरीदी जा रही है। आंकड़ों के अनुसार 17 मई को 569 लाख यूनिट, 18 को 523 लाख यूनिट, 19 को 571 लाख यूनिट, 20 को 497 लाख यूनिट, 21 को 631 लाख यूनिट, 22 को 467 लाख और 23 मई को 665 लाख यूनिट बिजली खरीदी गई। डिमांड-सप्लाई में अंतर अधिक होने से खरीदी बिजली भी फिलहाल अपर्याप्त है।

सरकारी विभागों में फिजूलखर्ची रुके, खाली कमरों में नहीं चलें एसी
ऊर्जा मंत्री हीरालाल नागर ने कहा है कि बिजली संकट की एक वजह यह भी है कि हर साल 10 से 12 प्रतिशत तक बढ़ने वाली डिमांड इस बार 20 प्रतिशत तक बढ़ी है। गहलोत सरकार में कुप्रबंधन के चलते आज ऐसे हालात बने, लेकिन हमने उत्पादन क्षमता को 65 प्रतिशत से बढ़ाकर 73 प्रतिशत कर दिया है। उत्पादन क्षमता बढ़ाने के लिए हमने काम शुरू कर दिया है और आगामी वर्षों में ऐसी परेशानी के हालात नहीं बनेंगे। सरकारी विभागों में बिजली की फिजूलखर्ची पर कहा कि इस पर अंकुश लगना जरूरी है। अफसर सीट पर नहीं है, फिर भी लाइट, पंखे, एसी चलते रहते हैं। इसके लिए सभी में जागरूकता आना जरूरी है, ताकि बिजली संकट को कम किया जा सके। कोटा और भरतपुर में प्राइवेट बिजली कंपनियों को लेकर कहा कि कंपनियों को लोगों की सुनवाई के निर्देश दिए जा रहे हैं। राहत नहीं देने पर सरकार कठोर कदम उठाएगी।

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