कचरे से न बिजली बन रही और न ही हो रहा निस्तारण, करोड़ों रुपए खर्च करने के बाद भी ट्रेचिंग ग्राउंड में लगे कचरे के पहाड़
गर्मी में आग लगने से जहरीला धुआं बनेगा परेशानी
शहर में रोजाना घरों और व्यवसायिक प्रतिष्ठानों से निकल रहे सैकड़ों टन कचरे का बरसों से न तो कोई निस्तारण हो रहा है और न ही इसका उपयोग बिजली बनाने में किया जा रहा है
कोटा। शहर में रोजाना घरों और व्यवसायिक प्रतिष्ठानों से निकल रहे सैकड़ों टन कचरे का बरसों से न तो कोई निस्तारण हो रहा है और न ही इसका उपयोग बिजली बनाने में किया जा रहा है। कचरे के निस्तारण पर अब तक करोड़ों रुपए खर्च किए जा चुके हैं उसके बाद भी नांता स्थित ट्रेचिंग ग्राउंड में कचरे के पहाड़ लगे हुए हैं। करीब 10 लाख से अधिक की आबादी वाले कोटा शहर से रोजाना 500 टन से अधिक कचरा निकल रहा है। जिसमें गीला और सूखा दोनों तरह का कचरा शामिल है। साथ ही पॉलिथीन और डिस्पोजेबल व पैकिंग फूड का कचरा अधिक है। यह कचरा नगर निगम के माध्यम से घरों व दुकानों से एकत्र कर नांता स्थित ट्रेचिंग ग्राउंड में पहुंचाया जा रहा है। इस कचरे का नगर निगम की ओर से न तो कोई निस्तारण किया जा रहा है और न ही वेस्ट टू एनर्जी के तहत इससे बिजली बनाई जा रही है। हालांकि पूर्व में यहां कचरे से बिजली बनाने समेत कई प्रयास किए गए लेकिन वे सफल नहीं हुए। जबकि जयपुर समेत कई बड़े शहरों में वेस्ट टू एनर्जी के तहत कचरे से बिजली बनाई जा रही है।
करीब 20 साल से अधिक का ढेर
नांता स्थित ट्रेचिंग ग्राउंड में करीब 20 साल से अधिक समय से कचरा डाला जा रहा है। जिससे यहां बड़े-बड़े और ऊंचे-ऊंचे पहाड़ कचरे के लग चुके है। जिससे वहां पूरे समय दुर्गंध आती रहती है। हालांकि वहां बड़ी संख्या में श्रमिक व कर्मचारी काम में जुटे हुए हैं। हालत यह है कि गर्मी के सीजन में पिछले कई सालों से ट्रेचिंग ग्राउंड के कचरे में आग लगने की घटनाएं हो रही है। जिससे उससे निकलने वाला जहरीला धुआं आस-पास रहने वाले लोगों के लिए परेशानी का कारण बना हुआ है। नांता व करनी नगर समेत कई क्षेत्रों के लोगों का यहां रहना मुश्किल हो जाता है। इस बार भी कचरे में आग लगने पर निगम के फायर अनुभाग की ओर से लगातार दमकलें भेजकर आग पर काबू पाने का प्रयास किया जा रहा है। लेकिन आग कचरे में नीच से सुलगने के कारण धुंआ उठता ही रहता है। कभी आग अधिक हो जाती है तो कभी कम लेकिन लगातार लगी हुई है।
कचरे का हो स्थायेी समाधान
शहर की आबादी बढ़ने के साथ ही घरों व दुकानों से निकलने वाले कचरे की मात्रा भी बढ़ेगी। लेकिन नगर निगम को उस कचरे का स्थायी समाधान करने का प्रयास किया जाना चाहिए। कई बड़े शहरों की तर्ज पर इस कचरे से बिजली बनाई जाए तो कचरा भी खत्म होगा और उस बिजली का उपयोग निगम में ही किया जा सकता है।
- जगदीश गुप्ता, खेड़ली फाटक
इंदौर से लें सीख
नांता स्थित ट्रेचिंग ग्राउंड का कचरा नदी पार क्षेत्र के लोगों के लिए परेशानी का कारण बना हुआ है। हर साल गर्मी में लगने वाली आग से यहां का जहरीला धुंआ जानलेवा हो जाता है। नगर निगम अधिकारियों को इंदौर शहर से सीख लेते हुए कचरे के निस्तारण का प्रयास करना चाहिए। इस कचरे का उपयोग किया जाए तो निगम को दोहरा लाभ और लोगों को इससे राहत मिल सकती है।
- विनोद गौड़, नांता
इनका कहना है
शहर से रोजाना निकल रहे कचरे को बरसों से ट्रेचिंग ग्राउंड पर डाला जा रहा है। यहां पुराना व नया दो तरह का कचरा है। पुराने कचरे के निस्तारण के लिए पूर्व में 16 करोड़ का टेंडर किया था। उसके बाद उसे बढ़ाकर 23 करोड़ का कर दिाय है। 16 करोड़ से 5 लाख क्यूविक घन मीटर कचरा साफ किया जा चुका है। अब शेष राशि से पुराने कचरे का निस्तारण किया जाएगा। हालांकि पूरे कचरे के निस्तारण में करीब 50 से 60 करोड़ रुपए खर्च होंगे। इसके लिए रा’य सरकार से राशि की मांग की गई है। वहीं नए आनेी वाले कचरे के निस्तारण के लिए डीएलबी के स्तर पर टेंडर हो चुके है। कुछ समय बाद इसका काम शुरु हो जाएगा। जिससे पुराने कचरे के साथ ही नए कचरे का निस्तारण होगा तो आने वाले समय में यहां कचरा कम दिखेगा। बरसों के कचरे को साफ करने में समय तो लगेगा। हालांकि यह कोटा की ही नहीं पूरे देश व विश्व की समस्या है।
- अशोक त्यागी, आयुक्त नगर निगम कोटा उत्तर
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