धनखड़ का अपमान राजस्थान की 36 कौम का अपमान : गोविन्द डोटासरा भाजपा सरकार पर भी हमला बोला, कहा- डबल इंजन की सरकार संविधान को नहीं मानती
लोकतंत्र प्रणाली के ऊपर सवाल खड़े हो रहे
तत्कालीन उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के इस्तीफे पर सियासत जारी है। पीसीसी चीफ गोविन्द डोटासरा ने भाजपा सरकार पर हमला बोलते हुए राज्य की भाजपा सरकार पर भी हमला बोला है
जयपुर। तत्कालीन उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के इस्तीफे पर सियासत जारी है। पीसीसी चीफ गोविन्द डोटासरा ने भाजपा सरकार पर हमला बोलते हुए राज्य की भाजपा सरकार पर भी हमला बोला है। डोटासरा ने गुरुवार को पीसीसी में मीडिया से वार्ता करते हुए कहा कि ऐसी क्या बात हो गई कि उपराष्ट्रपति को बीच में त्यागपत्र देना पड़ा। लोकतंत्र प्रणाली के ऊपर सवाल खड़े हो रहे हैं। बात जाति की नहीं है, लेकिन राजस्थान का बेटा था उससे जिस तरीके से इस्तीफा लिया गया उसका जिस तरीके से इस्तीफा लिया गया, यह लोकतंत्र के लिए खतरनाक है, 36 कोम इस बात पर विचार करेगी।
यह डबल इंजन की सरकार संविधान को नहीं मानती है, लोकतंत्र को नहीं मानती है तानाशाही के रास्ते पर चलती है, और लोकतंत्र को कुचलना का काम करते हैं। इनका पैटर्न पर काम करे जब तक उसे रखो और फेंक दो। काम करने वाले राजेंद्र राठौड़, सतीश पूनिया, सीपी जोशी या जो अन्य नेता वसुंधरा राजे थी उनमें से क्यों मुख्यमंत्री नहीं बना, उनकी मेहनत में कमी थी क्या? भाजपा का यह है कि जनता को चाहने वाला नेता नहीं होना चाहिए और जनता जिसे चाहती है पसंद करती है वह काम नहीं होना चाहिए, हम दो और हमारे दो के पैटर्न पर काम चल रहा है। वह खतरनाक है, आज 3 दिन हो गए हैं। उनका(धनकड) कोई बयान नहीं आया है कि मैं दवाई ले रहा हूं या कुछ भी, क्या एक भी भाजपा का नेता उनसे स्वास्थ्य की जानकारी लेने गया है, एक मंत्री का नाम बता दो?भाजपा का मॉडल यही है कि हर स्टेट में संवैधानिक संस्था पर पपेट बैठाओ जब वह अपने विवेक से संविधान के तहत काम करने लगे तो उसे रास्ते से हटा दो यही राजस्थान में हो रहा है यही दिल्ली में हो रहा है।
इस संविधान में इस कॉन्स्टिट्यूशन में यह है कि एमएलए एमपी के चुनाव तय अवधि में होंगे, इस संविधान के 73वें संशोधन में है कि पंचायती राज और निकाय चुनाव 5 साल में होंगे तो बताएं क्यों नहीं करवा रहे या तो मुख्यमंत्री को ऊपर से कोई कड़ा संदेश है कि आप शब्द नहीं बोलेंगे गवर्नेंस को लेकर पंचायती राज या निकाय चुनाव को लेकर अविनाश गहलोत बोल रहे हैं आप हो क्या क्या? "चाक भात में मूसल" पंचायत राज मंत्री और नगर निकाय मंत्री हो या मुख्यमंत्री हो या मोदी हो जो तमाशा बना रखा है वह कह रहे हैं कि दिसंबर में चुनाव करवा लेंगे मैं लिख कर दे रहा हूं कि जो ओबीसी आयोग बना है, उसकी रिपोर्ट ही नहीं आएगी दिसंबर तक और अगर कराएंगे तो फिर एक राज्य एक चुनाव का क्या होगा? आईएएस आईपीएस और लिस्ट में बड़ी पर्चियां कट रही है लेकिन यह पैसा कहां जा रहा है। कांग्रेस के 5 साल बनाम भाजपा के डेढ़ साल के मुददे पर कहा कि चर्चा करने के लिए मुख्यमंत्री एक महीने तैयारी कर ले और मुझे कभी भी आधी रात को जगा लें और आंकड़ों के साथ आ जाए कि हमने क्या किया और इन्होंने क्या किया, 5 साल की बात छोड़ें यह हमारे एक साल और अपने 2 साल को जोड़ ले। पहला सवाल यही है कि समय पर चुनाव क्यों नहीं करवा रहे हैं पंचायती राज नगर निकाय के चुनाव समय पर नहीं कर पा रहे हैं। जो काम हमारे समय पूरे हो चुके हैं उनके पेमेंट भी यह सरकार नहीं कर पा रही है। इसी दिसंबर के बाद इस प्रदेश की नौबत आएगी कि सरकार कर्मचारियों की तनख्वाह भी नहीं दे पाएंगे।

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