पुरातत्व विभाग ने प्रदेश के 342 स्थलों को पुरा महत्व का मानकर किया संरक्षित, लाखों की संख्या में आते है पर्यटक
पुरातत्व विभाग को करीब 35 निदेशक भी मिले
विभिन्न जिलों में विभाग की ओर से पुरा महत्व का मानकर कई किले, महल, स्मारकों सहित अन्य स्थलों को संरक्षित किया है। इसके अतिरिक्त इन सालों के दौरान पुरातत्व विभाग को करीब 35 निदेशक भी मिले।
जयपुर। पुरातत्व एवं संग्रहालय विभाग के प्रदेश में संरक्षित स्मारकों, संग्रहालयों और किले-महलों की सुंदरता को निहारने और इनके इतिहास से रूबरू होने के लिए हर साल लाखों की संख्या में देशी और विदेशी पर्यटक आते हैं। पुरातत्व विभाग के अधिकारियों से मिली जानकारी के अनुसार साल 1950 में इस विभाग की स्थापना की गई थी। ऐसे में इस साल पुरातत्व विभाग की स्थापना के 75 वर्ष पूरे हो गए हैं। इन सालों के दौरान प्रदेश के विभिन्न जिलों में विभाग की ओर से पुरा महत्व का मानकर कई किले, महल, स्मारकों सहित अन्य स्थलों को संरक्षित किया है। इसके अतिरिक्त इन सालों के दौरान पुरातत्व विभाग को करीब 35 निदेशक भी मिले।
21 संग्रहालयों और 2 कला दीर्घा में प्रदर्शित लाखों पुरावस्तुएं
पुरातत्व एवं संग्रहालय विभाग के प्रदेश में करीब 21 संग्रहालय एवं 2 कला दीर्घाएं हैं। जहां देशी और विदेशी पर्यटकों के अवलोकनार्थ सालों पुरानी वस्तुओं को प्रदर्शित किया गया है। इन संग्रह में सालों पुराने सिक्के, कॉरपेट, हैंडी क्राफ्ट, मेटल, पाषाण प्रतिमाएं, वाद्य यंत्र, विभिन्न तरह के हथियार सहित अन्य चीजें प्रदर्शित हैं।
जयपुर में सबसे अधिक संरक्षित स्थल
पुरातत्व विभाग से मिली जानकारी के अनुसार प्रदेश के 30 जिलों में करीब 342 पुरा स्थल आदि संरक्षित हैं। इनमें सबसे पहला नाम जयपुर का आता है। यहां सबसे अधिक पुरास्थल संरक्षित हैं। इसके बाद भरतपुर, जोधपुर, बारां, नागौर, जैसलमेर जैसे जिलों का नाम आता है।
इन्हें किया संरक्षित
प्रदेश के विभिन्न जिलों में कई स्थलों को पुरा महत्व का मानकर संरक्षित किया गया है। इनमें प्राचीन महल, मंदिर, कुण्ड, बाग, मकान, गुफा, छतरियां, भित्ति चित्र, अकबर के कोस चिन्ह, दुर्ग, पुरानी विधानसभा, शिलालेख, बावड़ियां, मस्जिद, शैल चित्र, प्राचीन कुएं, कीर्ति स्तंभ, हवेलियां सहित अन्य जगह शामिल हैं।
30 जिलों में इतने संरक्षित स्थल और स्मारक
प्रदेश में 30 जिलों में करीब 342 स्थलों, स्मारकों, भवनों, बावड़ियों सहित अन्य जगहों को पुरामहत्व का मानकर संरक्षित किया गया है। इनमें जयपुर में 65, बारां में 22, कोटा में 14, बूंदी में 16, जोधपुर में 34, सिरोही में 2, नागौर में 19, जालौर में 3, पाली में 3, करौली में 3, अलवर में 12, अजमेर में 20, झालावाड़ में 8, भरतपुर में 27, धौलपुर में 8, जैसलमेर में 16, भीलवाड़ा में 12, बीकानेर में 15, राजसमंद में 2, उदयपुर में 19, प्रतापगढ़ में 1, टोंक में 1, सीकर में 3, दौसा में 1, चित्तौड़गढ़ में 2, बांसवाड़ा में 1, हनुमानगढ़ में 1, चुरू में 4, झुंझूनूं में 5 और सवाईमाधोपुर में 3 स्थल शामिल हैं।
प्रदेश के विभिन्न जिलों में विभिन्न स्थलों, जगहों, स्मारकों सहित अन्य जगहों को पुरा महत्व का मानकर संरक्षित किया जाता है। इससे पहले विभाग के अधिकारी उन जगहों का निरीक्षण करते हैं। उनकी रिपोर्ट के आधार पर आगे कार्य किया जाता है। अब तक विभाग द्वारा 342 स्मारक संरक्षित किए गए हैं।
- डॉ. पंकज धरेन्द्र, निदेशक, पुरातत्व एवं संग्रहालय विभाग
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